डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर और मट्ठा(छाछ) प्रोटीन और फैट के प्रमुख सोर्स में से एक हैं। लोग अपने शरीर के हिसाब से इनका इस्तेमाल करते हैं। दूध में जहां कैल्शियम है, वहीं पनीर में कार्ब व प्रोटीन और दूध में विटामिन-सी है। पर आज हम बात सिर्फ दही, छाछ या मट्ठे की करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियां आ चुकी हैं और अब ज्यादातर लोग अपने बालों के टूटने और डैंड्रस से परेशान हो जाएंगे। बहुत से लोगों को मानना है कि मट्ठे यानी कि छाछ या दही से बाल धोने से उनके बालों से रूसी (ड्रेंड्रफ) गायब हो जाता है और उनके बाल सिल्की और चमकदार हो जाते हैं। पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है। उल्टा छाछ या दही का बालों पर कोई भी प्रयोग और नुकसानदायक हो सकता है। हम अक्सर आपको बालों से जुड़े कई घरेलु नुस्खे बताते रहते हैं इसलिए आज 'ऑन्ली माई हेल्थ' ने बालों पर दही या छाछ के प्रयोग की पड़ताल करते हुए डॉ. रचना देसाई, जो आयुर्वेद व शल्य चिकित्सा (बीएएमएस) विशेषज्ञ से बातचीत की।
डॉ. रचना देसाई की मानें तो छाछ, दहूी या मट्ठे को भी एक वे-प्रोटीन के रूप में देखा जाता है। ये वो दूधिया तरल पदार्थ है, जो पनीर बनाने की प्रक्रिया में दही से अलग हो जाता है। मट्ठा का प्रोटीन आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में एमिनो एसिड प्रदान करता है, जो एक्टिव बनाता है और आपकी मांसपेशियों के निर्माण और ताकत बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए इसका इस्तेमान ज्यादात एथलीट या पहलवान करते हैं। ये लोग बॉडी-बिल्डिंग के लिए मट्ठा प्रोटीन को अपने डाइट में हमेशा शामिल करते हैं। पर इसके अलावा लड़कियां अपने बालों को अक्सर मट्ठे यानी कि छाछ से धोती हैं। ये साचती हैं कि मट्ठे के खट्टेपन यानी कि विटामिन सी से उनके बाल ड्रेंड्रफ फ्री हो जाएंगे, जबकि इससे बालों का नुकसान होता है। डॉ. रचना के अनुसार वे-प्रोटीन के इस्तेमाल से बाल झड़ने लगते हैं।
दही और छाछ कैसे बाल झड़ने को ट्रिगर करता है?
डॉ. रचना बताती हैं कि मट्ठा प्रोटीन में डीएचईए और क्रिएटिन जैसे इनऑर्गेनिक गोर्थ हार्मोन होते हैं, जो न केवल आपकी मांसपेशियों के बनने को बढ़ावा देते हैं, बल्कि ब्लड में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा को बढ़ा देते हैं। टेस्टोस्टेरोन डीएचटी नामक केमिकल कंपाउंड में परिवर्तित हो जाता है, जो नए बालों के विकास को पूरी तरह से रोक देता है। डा, रचना बताती हैं कि मट्ठे के इस्तेमाल से हमारे स्केल्प के पोर्स पर मट्ठे के कुछ मोल्यूकुल्स जम जाते हैं, जो रोम छिद्रों के विकास को बाधित करता है। इससे बालों का झड़ना और गंजापन बढ़ता है। इस तरह के वे-प्रोटीन के इस्तेमाल से समय के साथ, बालों के विकास में कमी के कारण धीरे-धीरे हम सारे बालों को खो सकते हैं।डॉ. रचना बताती हैं कि टेस्टोस्टेरोन का एक उच्च स्तर का मतलब है कि इसका अधिक एण्ड्रोजन डीएचटी में बदल जाता है, जो कि बाल झड़ने के कु प्रमुख कारणों में से एक है।
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इसके साथ ही डॉ. रचना ने ये भी बताया कि आयुर्वेद बालों के झड़ने से रोकने में कैसे मदद करता है। उन्होंने कहा कि प्रोटीन यूं तो बालों के लिए अच्छा होता है पर वे-प्रोटीन का इसके लिए इस्तेमाल न करें। साथ ही आप इन बालों को झड़ने से बचाने के लिए इन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भृंगराज - जो आपके बालों के स्वास्थ्य के लिए ओम्पटीन लाभों के कारण है, भृंगराजा सफेद बालों को रोकने और गंजेपन को रोकने में मदद करता है। आप बस जड़ी बूटी के अर्क से तैयार हर्बल तेल लगा सकते हैं, या इसके पत्तों से बने पेस्ट को स्कैल्प पर लगा सकते हैं।
आंवला - आंवला में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन है. जो आपके बालों को हमेशा चमकदार, मजबूत, स्वस्थ और मुक्त रहने के लिए जरूरी हैं। आप आंवला और मेंहदी से बने हेयर पैक के लिए भी जा सकते हैं। पिसा हुआ आंवला दही और मेंहदी के साथ मिलाएं, और इसे अपने बालों पर लगाएं। दो घंटे के लिए उस पर छोड़ दें और फिर बाल धो लें।
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नीम - नीम के नियमित उपयोग से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और सिर में रक्त का संचार बेहतर होता है। इसके अलावा, नीम प्रभावी रूप से रूसी समस्याओं के लिए एक अच्छा उपाय है। इसके बस आप कुछ नीम की पत्तियों को उबालें और इसे ठंडा होने दें। उसके बाद घोल को छान कर एक तरफ रख दें।
रीठा - रीठा को वॉल्यूम और बालों की बनावट में सुधार के लिए जाना जाता है। रीठा का नियमित उपयोग आपके प्राकृतिक तेलों के बालों को नहीं हटाता है क्योंकि ये जड़ी बूटी स्वयं प्रकृति में बहुत सौम्य है। बस एक मुट्ठी रीठा पानी में भिगोएँ और रात भर छोड़ दें। अगले दिन घोल को उबालें और इसे शैम्पू की तरह इस्तेमाल करें।
बालों का झड़ना एक बड़ी समस्या है और इससे गुजरने वाले व्यक्ति को बेहद परेशान कर सकता है। बालों के झड़ने या इसके पैटर्न को संतुलित करने के लिए आपको अपनी आहार की आदतों और जीवन शैली में बदलाव करना पड़ सकता है। इस संदर्भ में, आयुर्वेद सबसे उपयुक्त उपचार विकल्प लगता है। औषधीय सप्लीमेंट, हेयर सीरम या महंगे हेयर ट्रीटमेंट के लिए जाने के बजाय, घर पर इन प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचारों का उपयोग करने पर विचार करें।
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