Government schemes for Cancer Treatment: भारत में कैंसर का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। ब्लड कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, ब्रेन कैंसर , स्तन कैंसर, चर्म यानी स्किन कैंसर, सीबीसी और डब्ल्यूबीसी और सीटी स्कैन और एमआरआई कैंसर का आंकड़ा पिछले 5 सालों में तेजी से बढ़ा है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 के अनुसार, उस वक्त तक देश में कैंसर के 13 लाख से ज्यादा मामले थे। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जिस तरह से ये आंकड़ा बढ़ रहा है उसके मुताबिक 2025 तक भारत में कैंसर के मामले 15.7 लाख तक पहुंच जाएंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नैशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फार्मैटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल कैंसर प्रभावित पुरुषों की संख्या 6.8 लाख जबकि महिलाओं की संख्या 7.1 लाख रहेगा।
कैंसर एक ऐसी घातक बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही मरीज और उसके परिवारजनों की रूह कांप जाती है। इतना ही नहीं कैंसर का इलाज करवाने में लोगों को अपनी धन-संपत्ति तक बेचनी पड़ जाती है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैंसर के इलाज के लिए 5 सरकारी योजनाएं, जिसका लाभ सभी वर्ग के मरीज उठा सकते हैं।
इसे भी पढ़ेंः छठ में चढ़ाया जाने वाला सुथनी है बहुत गुणकारी, खाने से मिलते हैं ये 5 फायदे
कैंसर का इलाज कराने के लिए 5 सरकारी योजनाएं
स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान
कैंसर के मरीजों के लिए सबसे पहले शुरू की गई योजनाओं में से एक स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। पीआईबी द्वारा जारी किए बयान के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी) के तहत उन मरीजों को अधिकतम 1 लाख 25 हजार रुपए का राशि प्रदान की जाती है, जिनकी वार्षिक आय 1 लाख 25 हजार से अधिक नहीं है, जिससे कि सरकारी अस्पताल में भर्ती होने/उपचार कराने पर होने वाले व्यय के एक हिस्से को चुकाया जा सके।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) योजना या आयुष्मान भारत योजना (एबी-पीएमजेएवाई योजना)
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 50 करोड़ नागरिकों की स्वास्थ्य की देखभाल करना है। आयुष्मान भारत योजना (एबी-पीएमजेएवाई) वंचित परिवारों को नैदानिक लागत, चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने, पहले से मौजूद बीमारियों और अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी खर्चों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। कैंसर के अलावा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कई तरह की अन्य गंभीर बीमारियों में होने पर भी गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
इसे भी पढ़ेंः क्या हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं?
राज्य बीमारी सहायता कोष (एसआईएएफ)
ये मुख्य रूप से विशिष्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बीमारी सहायता कोष के तहत कैंसर मरीजों के लिए 1 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें आवेदन करने के लिए कुछ ही राज्यों के नागरिक कर सकते हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय आरोग्य निधि का गठन 1997 में किया। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले ऐसे रोगियों को वित्तीय सहायता देना था जो जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं ताकि वे सरकारी अस्पतालों में इलाजों की सुविधा का लाभ उठा सकें। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल संस्थानों और सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की गई है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय आरोग्य निधि का गठन 1997 में किया। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले ऐसे रोगियों को वित्तीय सहायता देना था जो जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं ताकि वे सरकारी अस्पतालों में इलाजों की सुविधा का लाभ उठा सकें। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों के सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों, संस्थानों और सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की जाती है।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version