डायबिटीज में बंद हो सकती है पैरों में खून की सप्लाई, बदल जाती है त्वचा की रंगत

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो पारिवारिक हिस्ट्री से संबंधित होने के साथ ही हमारे लाइफस्टाइल से भी जुड़ी हुई है। दिनचर्या का संतुलित न होना और खानपान से पोषक तत्वों का गायब होना कहीं न कहीं डायबिटीज को निमंत्रण देता है। डायबिटीज होने पर व्यक्ति को अपनी सेहत पर काफी ध्यान देने की जरूरत होती है। इस बीमारी में अगर शरीर का कोई अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है तो वह है हमारे पैर। डायबिटीज के रोगी को अपने पैरों का खास ध्यान रखना चाहिए।
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डायबिटीज में बंद हो सकती है पैरों में खून की सप्लाई, बदल जाती है त्वचा की रंगत


डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो पारिवारिक हिस्ट्री से संबंधित होने के साथ ही हमारे लाइफस्टाइल से भी जुड़ी हुई है। दिनचर्या का संतुलित न होना और खानपान से पोषक तत्वों का गायब होना कहीं न कहीं डायबिटीज को निमंत्रण देता है। डायबिटीज होने पर व्यक्ति को अपनी सेहत पर काफी ध्यान देने की जरूरत होती है। इस बीमारी में अगर शरीर का कोई अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है तो वह है हमारे पैर। डायबिटीज के रोगी को अपने पैरों का खास ध्यान रखना चाहिए। डायबिटीज होने पर मरीज को अपने पैरों में हमेशा झनझनाहट महसूस होती है इसलिए उसे समय समय पर अपने शुगर लेवल की जांच करवानी चाहिए। इस रोग से पैरों को बड़ा नुकसान भी हो सकता है। 

क्यों होता है ऐसा

डायबिटीज की स्थिति में पैरों के ब्लड वेसेल्स में शुद्ध खून की मात्रा में कमी होने लगती है क्योंकि वहां फैट और कैल्शियम का संग्रह होने लगता है, जिससे ये नलियां सिकुड़ जाती हैं और वहां शुद्ध रक्त के प्रवाह में रुकावट पैदा होती है। इससे पैरों में दर्द और झनझनाहट जैसे लक्षण नज़र आते हैं। अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो पैरों में शुद्ध रक्त की सप्लाई बंद हो सकती है। इसके अलावा ऑटोनोमिक सिम्पैथेटिक न्यूरोपैथी होने की स्थिति में भी शुद्ध रक्त त्वचा में स्थित अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाता। ब्लड की सप्लाई में कमी आने के कारण पैरों में असहनीय दर्द के साथ त्वचा की रंगत में भी बदलाव आने लगता है।

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इसके अलावा सेंसरी और मोटर न्यूरोपैथी भी डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए बहुत नुकसानदेह होती है। इससे एड़ी और तलवे में दर्द के साथ झनझनाहट होती है। पैरों की मांसपेशियां सुन्न हो जाती हैं। पैरों की हड्डियों को पर्याप्त आधार न मिलने के कारण उन पर अधिक दबाव पडऩे लगता है, जोड़ों की क्रियाशीलता में भी कमी आ जाती है। इससे चलने-फिरने में तकलीफ होती है और दर्द की समस्या स्थायी बन जाती है। 

त्वचा को रूखेपन से बचाएं

डायबिटीज़ होने पर पैरों की त्वचा अत्यधिक रूखी हो जाती है। इस खुशकी की वजह से पैरों की एडिय़ों में गहरी दरारें बन जाती हैं। इससे  त्वचा में इन्फेक्शन भी हो जाता है, कई बार यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि पैरों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ती है। इसकी वजह से पैरों की हड्डियां और मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं। इससे तलवे पर निरंतर दबाव पड़ता है और त्वचा पर पत्थर जैसी सख्त गांठें बन जाती हैं, जिन्हें  गोखरू या कॉर्न कहा जाता है। 

बचाव एवं उपचार

  • डायबिटीज़ की समस्या हो तो घी-तेल, मैदा, चावल, आलू और मीठी चीज़ों से दूर रहकर अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखें।
  • एल्कोहॉल एवं सिगरेट का सेवन बिलकुल न करें। अगर पैरों में दर्द जैसे लक्षण नज़र आएं तो इसे आथ्र्राइटिस समझ कर अपने मन से दवा न लें बल्कि डॉक्टर से सलाह लें। 

  • दर्द का असली कारण जानने के लिए कुछ विशेष जांच, जैसे-डॉप्लर स्टडी और सी.टी. एंजियोग्राफी का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए हमेशा ऐसे अस्पतालों में जाएं, जहां ऐसी जांच की सुविधा हो। जांचों के परिणाम के आधार पर ही आगे इलाज की दिशा तय होती है।
  • गंभीर अवस्था में पैरों को कटने से बचाने के लिए बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी का सहारा लिया जाता है, जिससे पैरों के लिए शुद्ध रक्त की सप्लाई को बढ़ाया जा सके।
  • उपचार के लिए हमेशा ऐसे अस्पतालों मे जाएं, जहां अनुभवी कार्डियो वैस्कुलर सर्जन मौज़ूद हों। पैरों में ब्लड की सप्लाई को बढ़ाने के लिए कुछ ख़ास तरह की दवाओं का भी सहारा लेना पड़ता है।
  • उपचार की सफलता के लिए डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन ज़रूरी है।

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