पितृपक्ष के बाद फेस्टिव सीजन शुरू होगा, पहले दुर्गा पूजा, फिर दिवाली और छठ पर्व की शुरुआत होगी। इस दौरान लोग जमकर जश्न मनाएंगे और आतिशबाजी करेंगे। इसी दौरान कई लोगों के पटाखों से जलने और आग से जलने की खबरें आती है। खैर ये हादसा किसी के साथ भी हो सकता है। जरूरी ये है कि इससे कैसे बचाव किया जाए। जमशेदपुर के साकची अस्पताल के बर्न विभाग के डॉक्टर एस मिंज बताते हैं कि यदि किसी को आग चल जाए तो उसे तत्काल इलाज की जरूरत होती है। जाने क्या है इमरजेंसी ट्रीटमेंट, लोगों को क्या करना चाहिए व नहीं, जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
माइनर बर्न और सीरियस बर्न में अंतर जानें
डॉक्टर बताते हैं कि सबसे पहले यदि कोई आग से जल जाए तो यह पता करें कि यह माइनर बर्न हैं या सीरियस बर्न। इसका पता टिशू डैमेज की जांच कर पता कर सकते हैं। यदि बर्न सीरियस है तो मरीज को इमरजेंसी में जल्द से जल्द लेकर जाना चाहिए व उपचार जितना जल्दी संभव हो करना चाहिए।
बर्न के चोटों को कई भागों में किया है वर्गीकृत
1. बर्न फर्स्ट स्टेज
बर्न के पहले स्टेज की बात करें तो उसमें जलने की वजह से ऊपरी स्किन लाल हो जाती है, जहां जला होता है वहां सूजन व दर्द का एहसास होता है।
2. बर्न सेकेंड स्टेज
इस स्टेज में जहां जला होता है उस भाग में फलोले (blisters) उभर आते हैं। वहां की स्किन अत्यधिक लाल हो जाती है, धब्बेदार स्किन (splotchy) दिखती है। इस कंडीशन में गंभीर रूप से दर्द होने के साथ सूजन की समस्या होती है।
3. बर्न का थर्ड स्टेज
डॉक्टर बताते हैं कि जलने के बाद यह सबसे गंभीर स्टेज होता है। इसे सीरियस बर्न की श्रेणी में रखा जाता है। आग से जलने की वजह से टिशू पूरी तरह नष्ट हो जाती है। स्किन की सभी लेयर जल जाती है। ये काफी घातक होता है।
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माइनर बर्न में फर्स्ट एड के तहत ये करें
10 से 15 मिनटों तक बहते पानी में घाव धोएं
डॉक्टर बताते हैं कि पहले स्टेज और दूसरे स्टेज का बर्न माइनर की श्रेणी में आता है। जहां जला होता है दर्द वहीं तक रहता है, यह बढ़ता नहीं है। सामान्य तौर पर इस तरह की बर्न की स्थिति में मरीज बच जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि इसके ट्रीटमेंट के लिए बहते पानी में घाव को 10 से 15 मिनटों तक के लिए धोना चाहिए। ऐसा करने से मरीज को दर्द का कम एहसास होगा। इससे सूजन कम होगी। ध्यान रहे कि जहां जला है वहां बर्फ न लगाएं। आप घाव वाली जगह पर पट्टी या फिर कोई अन्य चीज न बांधे। ताकि बर्न स्किन पर किसी प्रकार का प्रेशर न पड़े। उसे जितना संभव है खुली हवा में रखें। ताकि घाव को हवा लगता रहे।
थर्ड स्टेज का बर्न होता है घातक
डॉक्टर बताते हैं कि थर्ड स्टेज का बर्न काफी घातक होता है। यह स्किन की सभी टिशू को डैमेज करता है। इसके लिए आप इमरजेंसी में फोन करें या फिर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल लेकर जाएं। क्योंकि इस अवस्था में मरीज को डॉक्टरी जांच की जरूरत होती है, यदि समय से इलाज न किया गया तो मरीज की मौत तक हो सकती है।
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>फर्स्ट एड के तहत इन बातों का दें ध्यान
- आग लगने के वक्त मरीज ने जो कपड़े पहने थे उसे उतारने की कोशिश न करें
- >सीवियर बर्न की स्थिति में मरीज के घाव पर ठंडा पानी न डालें
- >मरीज जीवित है या नहीं इसकी जांच करें, इसके तहत मरीज अच्छे से सांस ले रहा है या नहीं मुवमेंट कर रहा है या नहीं ये देखें, यदि मरीज सांस नहीं ले रहा है तो उसे सीपीआर दें
- शरीर का जो हिस्सा जला है उसे कवर कर दें, नमी युक्त तौलिये से या फिर कॉटन के कपड़े से
मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना होता है जरूरी
बर्न के केस में यदि मरीज गंभीर है तो लोगों की पहली कोशिश यही होनी चाहिए कि उसे जल्द से जल्द अस्पताल लेकर जाया जाए। क्योंकि यदि जल्द मरीज को अस्पताल लेकर नहीं जाया गया तो उसकी मौत तक हो सकती है। इस कंडीशन में मरीज को इमरजेंसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है। फर्स्ट एड की जरूरत सामान्य तौर पर बर्न के पहले और दूसरे स्टेज में ही पड़ती है।
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