
सर्दी के दौरान अक्सर लोग ठंड से बचने के लिए खुद को अलग-अलग तरीकों से गर्म रखने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे ही ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वो कोयलों से आग जलाकर सेंकते हैं और गर्म रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कोयलों की आंच आपके लिए कितनी सही या कितनी नुकसानदायक हो सकती है? आप ही नहीं बल्कि बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होगी कि सर्दी के दौरान कोयलों की आंच के पास घंटों बैठे रहने के कारण त्वचा और स्वास्थ्य पर इसका क्या असर होता है। आपको बता दें कि एक्सपर्ट और डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोयले की आग या आंच आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है। ये आग न सिर्फ आपकी त्वचा में समस्या पैदा करती है बल्कि ये आपके फेफड़ों की भी नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है। अगर आप भी कोयलों की आग या आंच के सामने घंटों बैठते हैं तो आपको भी ये जानना जरूरी है कि स्वास्थ्य के लिए ये कितनी सही या गलत है। इसके लिए हमने इस विषय पर बात की डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से।
स्वास्थ्य के लिए कैसी है कोयले की आंच
अक्सर हम सभी सर्दी के दौरान खुद को गर्म रखने और अपने बच्चों को गर्म रखने के लिए ब्लोअर और अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि लोगों को हकीकत में इससे काफी गर्मी मिलती है लेकिन इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है। जी हां, डॉक्टर राखी मेहरा का कहना है कि आमतौर पर लोग खुद को गर्म रखने के लिए कोयले की अंगीठी या आंच के पास बैठे रहते हैं जिसके कारण उनके शरीर में भारी मात्रा में कार्बन पहुंचने लगता है जो एक खतरनाक तत्व है। एक्सपर्ट का कहना है कि कोयले की आंच को सेंकना हर किसी के लिए खतरनाक हो सकता है इसमें बच्चों और बुजुर्गों को काफी स्वास्थ्य हानि हो सकती है।
शरीर से कम होता है ऑक्सीजन
मानव शरीर के लिए बहुत जरूरी है कि नियमित रूप से और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता रहे और कार्बन शरीर से निकलता रहे। एक्सपर्ट राखी मेहरा बताती हैं कि सर्दी के दौरान जलने वाली कोयले की आंच से भारी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड निकलने लगता है जो सीधा आपके शरीर में पहुंचता है। जबकि हम सभी के लिए मोनोऑक्साइड काफी खतरनाक होता है जो शरीर में ज्यादा होने पर आपकी जान को भी खतरा हो सकता है। इतना ही नहीं ये सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है बल्कि ये आपके मस्तिष्क को भी बहुत हानि पहुंचाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जितना जरूरी शरीर के अन्य अंगों को ऑक्सीजन की जरूरत और पर्याप्त मात्रा चाहिए होती है उतनी ही जरूरत आपके मस्तिष्क को चाहिए होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, मानव शरीर का मानसिक स्वास्थ्य तभी स्वस्थ हो सकता है जब आपके मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन होता है। अगर ऐसा नहीं होता तो आपको कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती है।
हीमोग्लोबिन का भी घटता है स्तर
शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा हमेशा पर्याप्त मात्रा में बनी रहनी चाहिए इससे आप कई गंभीर बीमारियों से बचे रह सकते हैं और खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। लेकिन जब आप कोयले की अंगीठी के सामने घंटों बैठते हैं तो इससे आपके शरीर में धीरे-धीरे करते हुए मोनोऑक्साइड आपके फेफड़ों तक पहुंचने लगता है। जिसके बाद ये आपके शरीर में घूम रहे खून में मिलने लगता है और हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है। साथ ही खून में मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण आप एक गंभीर स्थिति में जा सकते हैं। कई लोगों की मौत का कारण खून में भारी मात्रा में मोनोऑक्साइड और कम मात्रा में हीमोग्लोबिन के कारण होता है।
इसे भी पढ़ें: सर्दियों में फिट रहना है तो हर रोज जरूर खाएं कम से कम 5 तरह की सब्जियां और 1 फल, जानें इसके फायदे
हृदय स्वास्थ्य भी हो सकता है प्रभावित
जिन लोगों को अस्थमा या हृदय रोग जैसी समस्याएं होती है उन लोगों के लिए कोयले की आंच और भी ज्यादा भयानक हो सकती है। डॉक्टर राखी मेहरा बताती हैं कि जिन लोगों को पहले से ही दिल से संबंधित बीमारियां या सांस की समस्या होती है उन लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इसके कारण दिल को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और इसकी जगह हानिकारक तत्व आपके शरीर में पहुंचते रहते हैं।
आंखों को भी होता है नुकसान
कोयले की आंच के कारण आपकी आंखों को भी काफी नुकसान होता है जिससे आप अभी तक अंजान हैं। कोयले से निकलने वाली गैस और कण आपकी आंखों में पहुंचकर जमा होने लगती है। इसके कारण आपकी आंखों से आंसू निकलने के साथ सूखापन बना रह सकता है। कई लोगों के साथ कई दिनों तक आंखों में जलन भी रह सकती है।
त्वचा में आता है रुखापन
ठंड के दौरान अक्सर ज्यादातर लोग वैसे भी सूखेपन का शिकार रहते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पानी की कम मात्रा लेते हैं जिसके कारण शरीर में पर्याप्त नमी नहीं रहती है। वहीं, जब लोग साथ में कोयले के सामने बैठे रहते हैं तो इससे निकलने वाली भारी मात्रा में हानिकारक तत्व आपके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही त्वचा के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इसके कारण आपकी त्वचा में काफी सूखापन आने लगता है और आपकी त्वचा में पहले से मौजूद नमी भी गायब होने लगती है। यही वजह है कि रोजाना आंच के सामने बैठने के कारण आपकी त्वचा फटने लगती है और रुखी हो जाती है।
जलने लगती है आपकी त्वचा
बहुत देर तक कोयले की आंच या अंगीठी के आगे बैठे रहने के कारण आपकी त्वचा एक समय पर जलने लगती है जिसके कारण आपको अपनी त्वचा में लालिमा नजर आ सकती है। अक्सर लोग कोयले की आंच को कमरे में रखकर काफी पास उससे तापते हैं लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं होता कि कोयले की आंच काफी तेज होती है जो आपकी त्वचा को तेजी से जलाने का काम करती है। बच्चों की त्वचा पर इसके जलने का असर ज्यादा देखा जा सकता है। जलने के कारण आपकी त्वचा में लालिमा या फिर त्वचा काली पड़ने लगती है जो एक लंबे समय तक बनी रह सकती है।
इसे भी पढ़ें: सर्दियों के दौरान घर पर इन 4 हेल्दी डेसर्ट को अपनाएं, आहार विशेषज्ञ स्वाती बाथवाल से जानें बनाने का तरीका
क्या है बचाव का तरीका
- कोयले से भारी मात्रा में हानिकारक कण निकलते हैं जिसके कारण आप अपने अंगों को नष्ट कर रहे होते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ दूरी पर ही आंच को तापें और खुद को बहुत देर तक आंच के सामने न रहने दें। ये बच्चों और बड़े दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- अक्सर जो लोग कमरे को पूरी तरह से बंद कर देते हैं उन लोगों को हमेशा कमरे को थोड़ा खोलकर रखना चाहिए जिससे आपका दम घुटने से बचा जा सके।
- त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप कोयले की आंच से दूरी बनाए रखें और बहुत ज्यादा गर्म होने की वजह से पास न बैठें।
- अगर आप आंच को सेंकने के लिए अपने सामने के शरीर पर सेंकते हैं तो इससे आपका पीछे का शरीर ठंडा रहता है इसलिए आप कुछ देर पीछे के शरीर को भी तापें।
- कोयले से निकलने वाले धुएं को आप जितना हो सके बाहर ही निकालकर अंगीठी को घर में लाएं, इससे ज्यादा से ज्यादा मोनोऑक्साइड धुएं की मदद से बाहर रह जाता है। हालांकि फिर भी काफी हद तक मोनोऑक्साइड इसमें मौजूद होता है।
(इस लेख में दी गई जानकारी डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से बातचीत पर निर्भर है)।