फाइब्रोमायल्जिया एक प्रकार की बीमारी है शरीर की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का कारण बनती है और पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इसकी संभावना ज्यादा रहती है। गठिया और इसके लक्षण एक से होने की वजह से लोग अक्सर इसको गठिया समझ बैठते हैं। इस बीमारी की वजह से थकान व नींद और अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस स्थिति के गंभीर होने पर आपको भयंकर दर्द भी होता है। हालांकि यह गठिया की तरह जोड़ों में ज्यादा नुकसान नहीं करती है। फाइब्रोमायल्जिया वैसे तो किसी भी उम्र वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना सकता है, लेकिन ज्यादातर यह स्थिति 45 से 80 साल के लोगों में देखने को मिलती है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयां तो उपलब्ध हैं ही, लेकिन आप शारीरिक गतिविधियां जैसे एक्सरसाइज आदि करके व अपने आप को एक्टिव रख कर उसे ठीक कर सकते हैं। योग इन सभी शारीरिक गतिविधियों का एक मिश्रण है। इसलिए आप इस प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए योग का सहारा भी ले सकते हैं। पहले जानते हैं इसके लक्षण।
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण (Symptoms of Fibromyalgia)
फाइब्रोमायल्जिया में जबड़े में दर्द और जकड़न, चेहरे की मांसपेशियों में दर्द और थकान, सुबह के समय जोड़ों और मांसपेशियों में अकड़न, सिर दर्द, अनियमित स्लीप पैटर्न, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, दर्दनाक पीरियड्स, हाथों और पैरों में झुनझुनी और सुन्न होना, ठंड या गर्मी के प्रति संवेदनशीलता, मैमोरी और एकाग्रता में कमी जिसे "फाइब्रो-फॉग" भी कहते हैं, थकान, जी मिचलाना, पेल्विक और यूरिनरी समस्याएं, वेट गेन, सिर चकराना, ठंड या फ्लू जैसे लक्षण, त्वचा संबंधी समस्याएं, छाती के लक्षण, अवसाद और चिंता, साँस संबंधित परेशानी जैसे लक्षण शामिल हैं।
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फाइब्रोमायल्जिया बीमारी के कारण (Causes of Fibromyalgia)
हालांकि असल कारण तो अभी भी साफ नहीं है लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार सैंटर ब्रेन, दर्द को ट्रिगर करता है। साथ ही अन्य कारण हैं कोई तनावपूर्ण, दर्दनाक शारीरिक या भावनात्मक घटना, जैसे कार दुर्घटना, कोई आघात, रूमेटाइड अर्थराइटिस या अन्य ऑटोइम्यून रोग, जैसे कि ल्यूपस, सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम आदि। फाइब्रोमायल्जिया वंशानुगत भी है इसलिए यदि किसी महिला का बहुत करीबी फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित है तो इस बिमारी का अधिक खतरा होता है।
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इलाज क्या है? (Treatment for Fibromyalgia)
फाइब्रोमायल्जिया के इलाज से पहले पहचान में कुछ समय लग सकता है क्योंकि काफी लक्षण अन्य बिमारी जैसे हाइपोथायरायडिज्म से मिलते जुलते हैं। हालांकि इसकी पहचान मुख्य तीन बिंदुओं पर इसका इलाज निर्धारित करती है-पिछले सप्ताह के दौरान दर्द और लक्षण,थकान का स्तर, रेस्टलेस स्लीप, लक्षण जो कम से कम 3 महीने से दिख रहे हैं, किसी अन्य बिमारी या समस्या के लक्षण
फाइब्रोमायल्जिया में कुछ योग आसन है फायदेमंद (Yog In Fibromyalgia)
1. सेतु बांध या सर्वांगासन ( Sarvangasana)
इसे करने के लिए अपनी पीठ के बल लेट जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें और अपने दोनो पैरों को फ्लैट जमीन पर रख लें। अपने हाथों को भी सीधा रखें और हो सकें तो दोनो हाथों को अपने शरीर के नीचे रखे। अब धीरे धीरे अपने बीच के शरीर को ऊपर की ओर उठाएं और अपने हिप्स को टाइट रखें। इसी अवस्था में आधी से एक मिनट तक रखें। अब एक लंबी सांस छोड़ें और अपने शरीर को वापिस जमीन पर लेकर आएं। अपनी गर्दन को चोट लगने से बचाने के लिए अपने कंधों के नीचे एक ब्लैंकेट रख सकते हैं। यदि आपको गर्दन में कभी चोट लगी है तो आप इस पॉज को अवॉइड कर सकते हैं।
2. भुजंगासन (Bhujangasana)
इसे कोबरा पोज़ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें आपको एक सांप जैसी अवस्था बनानी होती है। इस अवस्था में आने के लिए सबसे पहले आपको अपने पेट के बल लेट जाना है। अब आपको अपने हाथों को व सिर को ऊपर की ओर करना है ताकि उनमें एक खीचाव महसूस हो। अपने हाथों को तब तक स्ट्रेच करें जब तक वह छाती के पीछे न चले जाएं। एक सांस लें और अपनी ऊपरी बॉडी को कुछ देर के लिए ऊपर की ओर ही रखें। 15 से 30 सैकंड बाद पहले वाली अवस्था में आ जाएं। यदि आप गर्भवती हैं या आपको सिर में दर्द या कमर में दर्द है तो आपको यह आसन करने से बचना चाहिए।
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3. शवासन (Shavasana)
इसे करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं। धीरे धीरे अपनी सांस अंदर व बाहर छोड़ें। सांस अंदर लेते समय यह सोचें की आप ऊर्जा को अपने अंदर लेकर जा रहे हैं जिससे आप रिफ्रेश हो रहे हैं। सांस बाहर छोड़ते समय यह सोचें की आप सारी चिंता व दर्द को बाहर छोड़ रहे हैं। इसी अवस्था में जब तक रहें जब तक आप इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो जाते। इस योग को रोजाना करने से आपको अच्छा महसूस होगा।
4. उत्तानासन (Uttanasana)
इसे करने के लिए सबसे पहले आपको सीधा खड़े होना है और आपके पैर एक दूसरे से थोड़ी थोड़ी दूरी पर होने चाहिए। अब हिप्स ज्वाइंट से आगे की ओर झुक जाएं। कोशिश करें की अपने हाथों को जमीन से टच करवा दें और यदि यह आपके लिए मुश्किल हो रहा है तो आप अपनी जांघों को या अपने घुटनों को भी छू सकते हैं। इस दौरान अपने घुटनों को न मोड़ें। एक या आधी मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद धीरे धीरे सीधे खड़े हों। जिन लोगों की पीठ में दर्द है वह अपने घुटनों को मोड़ सकते हैं।
एक शारीरिक गतिविधि के साथ साथ योग मानसिक स्थिति को एक अच्छी स्थिति में रखने का टूल भी है। इससे हमें रिलैक्सेशन मिलती है। बहुत सी रिसर्च बताती हैं कि फाइब्रोमायल्जिया में योग करने से काफी फायदे मिलते हैं। रोगी के दर्द या थकान में कमी आती है।
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