35 साल की उम्र के बाद बेबी प्लान करना आजकल आम बात हो गई है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता (Fertility) पर असर पड़ता है। महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता और संख्या दोनों ही कम होने लगती हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना घट सकती है। पुरुषों में भी स्पर्म काउंट और क्वालिटी प्रभावित हो सकती है। साथ ही, उम्र बढ़ने पर गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज और मिसकैरेज जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। हालांकि, मेडिकल साइंस की तरक्की से अब लेट प्रेग्नेंसी को सेफ और आसान बनाया जा सकता है। कई कपल्स 35 के बाद हेल्दी प्रेग्नेंसी को अचीव कर रहे हैं, बशर्ते कि वे सही उपाय अपनाएं। डॉक्टर की सलाह, लाइफस्टाइल चेंज और सही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद से आप इस सफर को सुरक्षित बना सकते हैं। इस लेख में, हम डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए 6 प्रमुख फर्टिलिटी सॉल्यूशंस के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो 35 के बाद बेबी प्लान करने में मदद कर सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल की वरिष्ठ गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ विनिता दास से बात की।
1. जीवनशैली में बदलाव करें- Healthy Lifestyle Changes
35 की उम्र के बाद बेबी प्लानिंग करने का पहला कदम है स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना। यह फर्टिलिटी को बूस्ट करने में सबसे पहला और जरूरी कदम है। नियमित एक्सरसाइज करने, बैलेंस्ड डाइट लेने, स्ट्रेस को कम करने के उपाय अपनाने और पर्याप्त नींद लेने से गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। धूम्रपान और शराब का सेवन फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए इन्हें पूरी तरह से अवॉइड करना चाहिए।
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2. फर्टिलिटी टेस्टिंग करवाएं- Fertility Testing
35 के बाद बेबी प्लान करने से पहले फर्टिलिटी टेस्ट करवाना जरूरी होता है। महिलाओं के लिए एएमएच (AMH) टेस्ट, एफएसएच (FSH) टेस्ट और एनीमेट्रियल हेल्थ चेकअप किए जाते हैं, जबकि पुरुषों के लिए सीमन एनालिसिस (Semen Analysis) किया जाता है। ये टेस्ट डॉक्टर को फर्टिलिटी लेवल समझने में मदद करती है और सही ट्रीटमेंट प्लान करने में मदद करती है।
3. कंसीविंग तकनीक एआरटी- Assisted Reproductive Technologies
अगर नेचुरल कंसीविंग में दिक्कत आ रही हो तो एआरटी ट्रीटमेंट (ART Treatment) एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और इंट्रा-यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) जैसी तकनीकों से गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है। आईवीएफ में अंडाणु और शुक्राणु को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और फिर भ्रूण (Embryo) को गर्भाशय में स्थापित किया जाता है।
4. एग फ्रीजिंग और भ्रूण संरक्षण- Egg Freezing & Embryo Preservation
अगर कोई महिला भविष्य में प्रेग्नेंसी प्लान करना चाहती है लेकिन अभी बेबी कंसीव नहीं करना चाहती, तो वह एग फ्रीजिंग या एंब्रियो प्रिजर्वेशन का विकल्प चुन सकती है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है जो कैंसर ट्रीटमेंट या अन्य मेडिकल कंडीशन्स के कारण फर्टिलिटी खोने का जोखिम रखती हैं।
5. हार्मोनल और मेडिकल ट्रीटमेंट- Hormonal & Medical Treatments
फर्टिलिटी से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान हार्मोनल या मेडिकल ट्रीटमेंट से किया जा सकता है। ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, पीसीओएस (PCOS) और एंडोमेट्रियोसिस जैसी कंडीशन्स को मैनेज करने के लिए डॉक्टर दवाओं का भी सहारा लेते हैं।
6. फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लें- Consult a Fertility Specialist
अगर 6-12 महीने तक कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण नहीं हो रहा है, तो फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लेना जरूरी हो जाता है। विशेषज्ञ आपकी मेडिकल हिस्ट्री, हार्मोनल बैलेंस और लाइफस्टाइल फैक्टर्स को ध्यान में रखकर पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट प्लान बनाते हैं।
35 के बाद बेबी प्लान करने के लिए सही जानकारी और सही कदम उठाना जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव, समय पर फर्टिलिटी टेस्टिंग और डॉक्टर की सलाह से इस प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।
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