35 की उम्र के बाद मां बन रही हैं तो इन 3 बातों का रखें विशेष ध्यान

अगर आपकी उम्र 35 वर्ष या इससे ज्य़ादा है और आप गर्भवती हैं तो सजग रहें।

Rashmi Upadhyay
Written by: Rashmi UpadhyayUpdated at: Aug 09, 2018 13:36 IST
35 की उम्र के बाद मां बन रही हैं तो इन 3 बातों का रखें विशेष ध्यान

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अगर आपकी उम्र 35 वर्ष या इससे ज्य़ादा है और आप गर्भवती हैं तो सजग रहें। उम्र की वजह से आपको अतिरिक्त परीक्षण करवाने और डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहने की आवश्यकता हो सकती है। प्रसव के दौरान भी आपको डॉक्टर की विशेष मदद की ज़रूरत पड़ सकती है। आजकल कई स्त्रियां मां बनने का निर्णय देर से लेती हैं। यहां तक कि 35+ में भी प्रेग्नेंसी के मामले काफी देखे जा रहे हैं। यदि आप 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र में मां बन रही हैं तो हो सकता है कि गर्भावस्था और प्रसव पर बढ़ती उम्र के असर को लेकर आप चिंतित हों।

अपनी गर्भावस्था की फाइल या कागजों पर एल्डरली प्राइमीग्रेविडा यानी अधिक उम्र में पहली बार मां बनना लिखा होना भी आपको तनाव में डाल सकता है। मगर, चिंता न करें। अपना परिवार शुरूकरने का निर्णय देर से लेने वाली बहुत सी स्त्रियों की गर्भावस्था एकदम स्वस्थ गुजरती है और शिशु का जन्म भी आराम से हो जाता है। मगर इस दौरान आपको कुछ बातों का खास खयाल रखना जरूरी है। 

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डायबिटीज का खतरा

गर्भावस्था के लिए 30 से कम आयु को उत्तम माना जाता है। ऐसे में जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, स्त्रियों के शरीर में आने वाले बदलावों से कुछ कॉम्प्लिकेशन भी बढ़ जाते हैं। 35 से अधिक की उम्र में गर्भधारण में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं के कारण जोखिम अधिक रहता है। ये स्थितियां आपकी सेहत के साथ-साथ गर्भावस्था और डिलिवरी को प्रभावित कर सकती हैं। अधिक उम्र की स्त्रियों में गर्भपात की आशंका ज्य़ादा होती है। साथ ही गर्भावधि, प्लेसेंटा प्रिविया  यानी यूट्रस का बहुत नीचे खिसक जाना, प्री एक्लेम्प्सिया  यानी हाई ब्लड प्रेशर के कारण होने वाली समस्याएं और समय से पहले जन्म जैसी गर्भावस्था की जटिलताएं भी अधिक उम्र में अधिक रहती है।

ज्य़ादा देखभाल की जरूरत

यह जरूरी नहीं है कि बढ़ती उम्र के साथ आपको इस तरह की परेशानियों का सामना करना ही पड़े। कई बार अधिक उम्र में भी स्त्रियां नॉर्मल प्रोसेस को एंजॉय करती हैं। क्योंकि हर स्त्री का शरीर और प्रेग्नेंसी अलग होती है, ऐसे में कुछ स्त्रियों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ सकती है। पूरे वक्त डॉक्टर की सलाह को इग्नोर नकरें। 

शिशु पर असर 

45 वर्ष की उम्र के आसपास भी इस बात की पूरी संभावना रहती है कि आप एक स्वस्थ शिशु को जन्म दें लेकिन अधिक उम्र में मां बनने पर शिशु में कुछ आनुवंशिक असामान्यताएं होने का जोखिम भी रहता है। इन असामान्यताओं में डाउन सिंड्रोम या दुर्लभ गुणसूत्र संबंधी स्थितियां जैसे कि एडवड्र्स   सिंड्रोम या पटाउज सिंड्रोम  आदि शामिल हैं। सभी स्त्रियों को, चाहे उनकी उम्र कितनी भी हो, गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है। जांच के परिणाम के जरिये शिशु में कोई समस्या होने के खतरे का अनुमान लगाते समय आपकी उम्र को भी ध्यान में रखा जाता है। इस टेस्ट के जरिये अगर शिशु में कोई असमान्यता नजर आती है तो डॉक्टर आपको इस बारे में आगाह कर देते हैं, जिससे कि आप उस बारे में कोई फैसला ले सकें।

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सिजेरियन की आशंका 

लेट प्रेग्नेंसी में प्रसव के समय शिशु की अवस्था ऐसी हो सकती है, जिसमें सामान्य प्रसव मुश्किल हो। ऐसा विशेषकर तब ज्य़ादा होता है, जब आपकी उम्र ज्य़ादा हो और आप पहली बार मां बन रही हों। ऐसे में डॉक्टरों द्वारा सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। एक अध्ययन के मुताबिक, 15 से 24 वर्ष की स्त्रियों की तुलना में 25 से 29 वर्ष की स्त्रियों के सिजेरियन ऑपरेशन होने की संभावना 1.8 गुना अधिक रहती है। दूसरी ओर 30 से 40 वर्ष की स्त्रियों में यह संभावना चार गुना अधिक हो सकती है। कुछ शोधों में पता चला है कि अधिक उम्र में मां बनने वाली स्त्रियों में फीटल डिस्ट्रेस अधिक सामान्य है, खासकर 40 साल से अधिक की उम्र में पहली बार मां बनने वाली स्त्रियों में। यह भी एक वजह है, जिससे इस आयु वर्ग में सिजेरियन ऑपरेशन अधिक होते हैं।

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