कभी चिठ्ठियां पहुचाने का काम करने वाले कबूतर आज लोगो में बीमारियों को फैला रहे है। इसके काफी हद तक जिम्मेदार हमारी पुण्य कमाने की लालसा है। गौरतलब है कि गर्मी के मौसम में जानवरों व पक्षियों को पानी पिलाना पुण्य का का काम माना जाता है। इसी कथित पुण्य को कमाने के चलते कई छोटे से लेकर दिल्ली मुबंई जैसे महानगरों मे भी लोग अपनी बालकनी में कबूतरों को के लिए खाना और पानी रख देते है। हालांकि ये तरीका उनकी सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है इस बात का शायद उन्हें अंदाजा भी नहीं होता है।
कबूतरों की प्रकृति
शहरों में कबूतरों की संख्या के बढ़ने का का सबसे बड़ा कारण लोगों का जगह जगह पर उनके लिए दाना रखना माना जाता है। जबकि प्राकृतिक रूप से अगर कबतरों को दाना ना भी खिलाया जाये तो भी वे जीवित रह सकते है। कबूतर सामान्यत: पहले प्राकृतिक रूप से मिलने वाले भोजन की जगह और समय के अनुसार ही अपना घोंसला बनाते थे, और एक समय के बाद दूसरी जगह चले जाते थे। लेकिन शहरों में उन्हे पूरे साल एक ही जगह से खाना मिल जाने के कारण अब वे घरों में ही घोंसलों को बना लेते है। जिससे उन्हे तो सुविधा होती है और उनका जीवन भी लंबा हो जाता है।
कबूतरों पर नियंत्रण
कबूतरों व अन्य पक्षियों की संख्या पर नियंत्रण प्राकृतिक फूड चेन के द्वारा किया जाता है। इसी के ही द्वारा काफी हद तक हर प्रजाति के पंछियों की संख्या, उनके प्रजनन, मौत आदि को रेगुलेट करती है। इस फूड चेन के तहत प्राकृतिक जगहों पर रहने वाले कबतरों को मांसभक्षी जानवर खा जाते है। इस तरह उनकी संख्या भी नियंत्रण में रहती है। लेकिन ये मांसभक्षी जानवर शहर में आते जिसके चलते कबतरों की संख्या भी बढ़ती जाती है।
इनसे फैलने वाली बीमारियां
एक शोध के अनुसार अगर कबूतर अच्छे से खाये तों सालभर में 12 किलो बीट देता है। जिसके सूखने के बाद उनमें परजीवी पनपने लगते है, जो हवा में घुल कर संक्रमण फैलाते है। जिससे सांस संबंधी हिस्टोप्लास्मोसिस व अस्थमा जैसे रोग हो सकते है। कई शोधों ने इस बात की पुष्टि भी की है कि कबूतरों के संपर्क में आने से लंग्स से संबंधित हाइपरसेंसटिविटी न्यूमोनाइटिस इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। कबूतर की बीट के 100 मीटर के दायरे मे गुजरने से भी इस बीमारी के चपेट में आ सकते है। इससे लोगो को एलर्जी की शिकायत भी हो जाती है। कबूतर की बीट में ग्रेनोलोमा नाम का पार्टिकल पाया जाता है। इससे कुछ लोगों को एलर्जी होती है। साथ इनके
कबूतर सिर्फ बीमारी ही नहीं घरों में गंदगी भी बढ़ाते है। इनकी सूखी बीट को साफ करना आसान नहीं होता है। साथ ही ये घरों में रखें सामानों को भी नुकसान पहुंचाते है।
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