मोटे किशोरों में आत्महत्या का जोखिम ज्यादा होता है

मोटापे की वजह से किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर होता है जिसकी वजह से वे आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।
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मोटे किशोरों में आत्महत्या का जोखिम ज्यादा होता है


मोटापे की वजह से शारीरिक स्वस्थ्य पर बुरे प्रभाव के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पडता है जैसा की एक नए शोध ने बताया है । यह देखा गया है की मोटे किशोरों ,में अन्य की अपेक्षा आत्महत्या  करने का जोखिम ज्यादा होता है । यह बात दोनों लडके और लड़की के लिए सही है और यह बात बिलकुल शोधको के विचार के विरूद्ध जाती है ।

tips for weight loseइस शोध से एक अन्य बात यह पता चली है की वो किशोर जो की अपने मन में झूठी बात बिठाए रखते है  की वे मोटे हैं उनमे आत्महत्या करने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है । किशोरों के स्वास्थ्य की ऊपर एक अधयाय हुआ है जिसमे की १४००० से ज्यादा स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों सम्मिलित किये गए और उनमे उच्च बॉडी मॉस इंडेक्स (बीएमई ) और आत्महत्या करने की संभावना के बीच सम्बन्ध देखा गया। इस अध्ययन के मुख्य लेखक मोनिका श्वान , पीएचडी यह कहती हैं की मोटापे के कारण हो रही मानसिक  स्वास्थ्य समस्याओं की तरफ ज्यादा कोई ध्यान नहीं दे रहा है ।क्योंकि किशोरों में मोटापे के कारण मानसिक रोग बढ़ रहे हैं तो इसलिए स्वास्थ्य संस्थानों को अतिरिक्त मानसिक स्वास्थ्य सेवाए देना चाहिए ।

जो बच्चे अपने बराबर की उम्र के बच्चे के संपर्क में आते है  तो वे उसका मजाक बनाते है  जिसकी वजह से बच्चे में असलियत का गलत दृष्टिकोण बन जाता है । उस बात में विश्वास करने लगते है  जो की सही होकर भी सही नहीं होती है । अगर आप अपने मोटे बच्चे में डिप्रेशन के संकेत देखते है  तो उसे गंभीर रूप से लीजिए । इस शोध की नजर से वे बहुत ही भारी मानसिक दवाब से गुजर रहा होगा ।इस अध्ययन के शोधक  और अध्ययन  करने का सुझाव दिया है जिसमे की अत्याधिक वजनी असली में होना और ऐसा महसूस करने और आत्महत्या करने की आदत के बीच सम्बन्ध खोजे जायेंगे ।इस अध्ययन से हम उन कारकों का अध्ययन करेंगे जो की मोटापे से ग्रस्त किशोरों में आत्महत्या के जोखिम को कम करने में मदद करेंगे ।

 

मोटापे से बचें

अगर आप दोस्तों के सामने हंसी का पात्र नहीं बनना चाहते हैं तो आत्महत्या इसका कोई विक्लप नहीं है। इसके लिए आपको मोटापे की समस्या से निजात पाना जरूरी है। इसके लिए खान-पान में बदलाव लाएं। अपने आहार से जंक फूड, मिठाइयां, तेल-घी, कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे चावल, राजमा, आलू, केला, अंडा, मटन, अरबी आदि का त्याग करें। खूब पानी पिएं। भोजन में हरी सब्जियां, बीन्स, दालें, छोटी मछली आदि को शामिल करें। उबला, सिंक किया हुआ, ग्रिल किया हुआ और तंदूर में भुना हुआ भोजन खाएं। जूस पीने के बदले फल खाएं। मिठाई के बदले किशमिश, बादाम, अंजीर, मुनक्का, खुबानी, गुड़ आदि नियंत्रित मात्रा में लें।


ध्यान रखें

  • शारीरिक श्रम है जरूरी
  • लिफ्ट के बदले सीढ़ी का प्रयोग करें।
  • अपने गंतव्य स्थान से कुछ दूर पहले बस या मेट्रो से उतर कर पैदल जाएं।
  • बाजार साइकिल से या पैदल जाएं।
  • बच्चों को साइकिलिंग, फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन, स्केटिंग आदि के लिए प्रोत्साहित करें।

 

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