Eye Herpes Symptoms Causes And Treatment In Hindi: हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) के कारण सर्दी-जुकाम और कई अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसी तरह, एचएसवी के कारण आंखों में घाव हो सकता है, जिसे आई हर्पीज के नाम से जाना जाता है। आई हर्पीज को ऑक्यूलर हर्पीज के रूप में भी जाना जाता है। आई हर्पीज चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इस वजह से व्यक्ति को काफी असहजता हो सकती है। कुछ मामलों में, आई हर्पीज आंखों की अंदरूनी लेयर तक को भी नुकसाना पहुंचा सकता है। इस संबंध में हमने शार्प आई साइट हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉ. अनुराग वाही से बात की।
आई हर्पीज का कारण (Causes Of Eye Herpes)
मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, ‘हर्पीज बहुत आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है। यह हमारे शरीर में मौजूद स्रावित तरल पदार्थ में होता है। अगर इंफेक्टेड व्यक्ति छींक दे या खांस दे और मुंह का या नाक से निकला स्रावित फ्लूइड के संपर्क में स्वस्थ व्यक्ति आ जाए, तो वह भी इंफेक्टेड हो सकता है। इसी तरह, शरीर में स्रावित फ्लूइड हर्पीज के वायरस को पूरे शरीर में फैला सकता है। इसी कारण, यह आंखों तक पहुंचकर आई हर्पीज का कारण बनता है। कई मामलों में देखा गया है कि हर्पीज होने पर व्यक्ति को शुरुआती दिनों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। नतीजतन मरीज का इलाज शुरू नहीं हो पाता है। डॉक्टर वपायरस के इस रूप को निष्क्रिय अवस्था में पड़ा हुआ बताते हैं। कई बार, ऐसा होता है कि किसी कारणवश निष्क्रिय वायरस फिर से एक्टिव हो जाते हैं, जो आंखों में जलन या अन्य समस्याओं की वजह बन सकते हैं। इसमें अन्य लक्षण के तौर पर मरीज को बुखार, तनाव, सनबर्न, ट्रॉमा या सीवियर इंजुरी हो सकती है।’ वहीं, हेल्थलाइन की मानें, ‘आई हर्पीज एचएसवी वायरस के कारण आंखों तक फैलता है। जब आई हर्पीज की बात होती है, तो एचएसएवी वायरस आई लिड, कॉर्निया और रेटिना को प्रभावित करते हैं।’
इसे भी पढ़ें: हर्पीज (त्वचा पर पानी भरे दाने) को ठीक करने के लिए 5 आयुर्वेदिक उपाय
आई हर्पीज के लक्षण (Symptoms Of Eye Herpes)
जब किसी को आई हर्पीज हो, तो उसे कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। कभी-कभी यह बीमारी दोनों आंखों को प्रभावित करती है, तो कभी एक आंख को दूसरी आंख की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। इसके लक्षण निम्न हो सकते हैं-
- आंखों में चुभन होना या किसी चीज का आंखों में अटकने का अहसास होना।
- आई हर्पीज के कारण सिर में दर्द होना।
- लाइट सेंसिटिविटी होना यानी रोशनी की ओर आसानी से न देख पाना।
- आंखों में लालपन रहना।
- कभी-कभी पलकों के ऊपरी हिस्से में घावों जैसा महसूस होना। यह घाव,फफोले के साथ दाने जैसे हो सकते हैं।
- अगर हर्पीज वायरस कॉर्निया, आंख के अंदर या रेटिना को प्रभावित करे, तो आंखों की रोशनी धुंधली हो सकती है।
आई हर्पीज का ट्रीटमेंट (Treatment Of Eye Herpes)
आई हर्पीज से फिलहाल कोई बचाव नहीं है। अगर आई हर्पीज हो जाए, तो डॉक्टर से कंसल्ट कर उनकी दी हुई दवाइयां समय पर लेनी चाहिए। इसके बावजदू, आई हर्पीज का ट्रीटमेंट करने के लिए यह जान लेना जरूरी है कि हर्पीज आंखों के किस हिस्से में हुआ है।
- आईलिड (Eyelid): अगर आईलिड में हर्पीज हुआ है, तो डॉक्टर इसके लिए एंटी-वायरल या एंटीबायोटिक ऑएंटमेंट दे सकते हैं। इसे बहुत सावधानी पूर्वक आंखों की लिड में लगाया जाता है।
- आंखों की आउटर लेयर (Outer Layer Of Eye): अगर आंखों की आउटर लेयर में हर्पीज हुआ है, तो डॉक्टर आई ड्रॉप दे सकते हैं और ओरल एंटीवायरल मेडिकेशन दे सकते हैं। ये दवाईयां हर्पीज के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं और लक्षणों को जल्द से जल्द ठीक करने की कोशिश करती हैं।
- आंखों की डीपर आई लेयर (Deeper Layer Of Eye): अगर हर्पीज आंखों की अंदरूनी यानी डीपर लेयर को प्रभावित करते, तो डॉक्टर मरीज को एंटीवायर आई ड्रॉप और कुछ दवाईयां दे सकते हैं। इनकी मदद से आंखों की सूजन कम होती है।
image credit: freepik