
आज भारत में बढ़ी संख्या में लोग डायबिटीज का शिकार हैं। इसका मुख्य कारण है असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, एक्सरसाइज की कमी है। इसी कारण यह रोग हमारे देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में 42 करोड़ लोगों को डायबिटीज है, जिनमें से 10 करोड़ लोग भारत में रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डायबिटीज पर पहली ग्लोबल रिपोर्ट में ये ताजा आंकड़े जारी किए हैं। आइए इस हेल्थ न्यूज के माध्यम से रिपोर्ट की सात बातों को जानें।

1980 में दुनिया में करीब 10 करोड़ वयस्क लोगों को डायबिटीज थी जो आंकड़ा 2014 में चार गुणा बढ़कर 42 करोड़ हो गया है। पिछले कुछ दशकों में डायबिटिक्स की तादाद विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में तेजी से बढ़ी है।
1980 में जहां दुनिया की आबादी के 4.7 प्रतिशत लोगों को ये बीमारी थी, 2014 में अब ये दर दोगुनी होकर 8.5 प्रतिशत हो गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस चलन से पता चलता है कि दुनियाभर में मोटापे से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है।
दुनिया के आधे डायबिटिक दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत देशों में हैं, जिनमें सबसे ज्यादा तादाद भारत और चीन में है। डायबिटीज को बढ़ती उम्र के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन सर्वे के मुताबिक अब ये बीमारी 20 साल की उम्र से होने लगी है और इससे होने वाली 43 फीसदी मौतें 70 से कम उम्र के लोगों की होती हैं।
दुनियाभर में डायबिटीज पर होने वाला सीधा खर्च 827 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। इसकी वजह पिछले दशक में बीमारी से पीड़ित लोगों की तेजी से बढ़ी संख्या और इलाज के लिए उपलब्ध तकनीक, दोनों ही हैं।
Source : WHO
Image Source : Getty
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