
क्या आपके शरीर की प्रकृति भी गर्म है? आयुर्वेद के अनुसार आपको हमेशा अपनी प्रकृति के अनुसार ही आहार-विहार करना चाहिए। ऐसा करने से आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं। हमारा शरीर वात, पित्त और कफ से मिलकर बना होता है। इनमें से किसी भी एक का असंतुलन होने पर शरीर कई रोगों से घिर जाता है। ऐसे में जरूरी है कि शरीर की प्रकृति की पहचान करके उसके अनुसार ही अपनी जीवनशैली तय की जाए।
आज हम पित्त प्रकृति के बारे में बात कर रहे हैं। अकसर हम अपने शरीर की मालिश करने के लिए घर पर मौजूद किसी भी तेल का इस्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन ऐसा करना आपके शरीर और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आपके शरीर में पित्त यानी अग्नि की अधिकता है, तो आपको गर्म तासीर वाले तेलों से मालिश करने से बचना चाहिए। शरीर की मालिश करने के लिए आप ठंडी तासीर के तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आयुर्वेद में पित्त प्रकृति वालों को ठंडी चीजों के साथ ही ठंडे तेलों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। गर्म चीजों से पूरी तरह से परहेज करना होता है। पित्त प्रकृति वाले अगर ठंडे तेल से शरीर की मालिश करतेे हैं, तो इससे उनकी त्वचा को कई लाभ होते हैं। साथ ही इससे उनका मन और दिमान भी शांत रहता है। राम हंस चेरीटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर श्रेय शर्मा (Dr Shrey Sharma, Ayurvedacharya of Ram Hans Charitable Hospital, Sirsa) से जानते हैं पित्त प्रकृति वाले लोगों को कौन-से तेलों से शरीर की मालिश करनी चाहिए-
1. पित्त प्रकृति के लिए नारियल का तेल (Coconut Oil For Pitta Dosha)
पित्त प्रकृति के लोगों के लिए नारियल का तेल बेहद लाभकारी माना जाता है। शरीर पर इसके इस्तेमाल से त्वचा को कई लाभ मिलते हैं। नारियल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह सभी सेहत के साथ ही त्वचा को भी लाभ पहुंचाते हैं। नारियल के तेल की तासीर काफी ठंडी होती है, इसलिए पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए इसे अच्छा माना जाता है। इससे शरीर की मालिश करने से त्वचा का रूखापन दूर होता है। नारियल तेल त्वचा को मॉयश्चराइज करने में भी मदद करता है। इससे त्वचा की मालिश करने से डेड स्किन सेल्स रिमूव होते हैं। आप नहाने के बाद पूरे शरीर की नारियल तेल से मालिश कर सकते हैं। आप चाहें तो रात को सोते समय भी इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पित्त प्रकृति के लोग नारियल के तेल का इस्तेमाल बेझिझक कर सकते हैं।
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2. पित्त प्रकृति के लिए चंदन का तेल (Sandalwood Oil for Pitta Dosha)
चंदन के तेल की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए इसे फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार चंदन का तेल त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होता है। अगर आपकी भी पित्त प्रकृति है, तो आप इस तेल का इस्तेमाल अपने शरीर की मालिश करने के लिए कर सकते हैं। चंदन के तेल से मालिश करने पर मन और दिमाग शांत होता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में निखार आता है और स्किन ग्लो करती है। चंदन के तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा पर बैक्टीरिया से होने वाले रोगों को दूर करता है। यह मुहांसों और दाग-धब्बों की भी दूर करने में सहायता करता है। आप चाहें तो इससे अपने शरीर की मालिश कर सकते हैं। इसे तेल से मालिश करने पर पित्त दोष को शांत किया जा सकता है।
3. चमेली का तेल (Jasmine Oil for Pitta Dosha)
आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर श्रेय बताते हैं कि चमेली का तेल इसके फूलों से तैयार किया जाता है। पित्त प्रकृति के लोगों के लिए यह तेल बेहद फायदेमंद होता है। आप इससे अपने शरीर की मालिश कर सकते हैं। इसमें भी एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटेरी गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया या कीटाणुओं से त्वचा का बचाव करने में मदद करता है। आप नहाने के बाद चमेली के तेल को पूरे शरीर पर लगा सकते हैं। इससे मालिश करने से शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है। साथ ही यह मन और दिमाग को भी शांत रखता है। चमेली के तेल की ठंडी तासीर होने की वजह से पित्त दोष होने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। चमेली का तेल त्वचा में भी नमी बनाए रखता है।
4. नीम का तेल (Neem Oil for Pitta Dosha)
नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से भी पित्त दोष शांत होता है। पित्त प्रकृति या गर्म स्वभाव वाले लोग नीम के तेल से भी शरीर की मालिश कर सकते हैं। नीम के तेल में एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटेरी गुण होते हैं, जो त्वचा को हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणुओं से बचाता है। नीम का तेल फंगल संक्रमण को भी दूर करने में सहायक होता है। अगर शरीर की प्रकृति या स्वभाव गर्म है, तो आप नहाने के बाद नीम और नारियल तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर लगा सकते हैं।
5. सरसों का तेल (Mustard Oil)
आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा कहते हैं कि अगर आपको त्वचा रोग है या आपके शरीर पर फोड़े, फुंसी या फिर छोटे-छोटे दाने हैं, तो आपको सरसों के तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए। लेकिन अगर आपको ऐसी कोई समस्या नहीं है, तो आप सरसों के तेल की मालिश कर सकते हैं। सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है, ऐसे में अगर इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर किया जाए तो बेहतर होता है। क्योंकि कई मामलों में पित्त प्रकृति वाले लोगों को सरसों के तेल से नुकसान भी हो सकता है। इसकी तासीर का सामान्य करने के लिए आप चाहें तो इसमें नारियल का तेल भी मिला सकते हैं।
इन तेलों का इस्तेमाल करने से बचें (Avoid These Oils in Pitta Dosha)
ऊपर बताए गए तेल पित्त प्रकृति के लोगों के लिए अच्छे माने जाते हैं। लेकिन गर्म तासीर वाले तेलों से पित्त प्रकृति के लोगों को भूलकर भी मालिश नहीं करनी चाहिए। इससे उन्हें फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
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तिल का तेल (Sesame Oil)
तिल के तेल की तासीर बहुत गर्म होती है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त प्रकृति के लोगों को कभी भी तिल के तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
अरंडी का तेल (Castor Oil)
अरंडी या कैस्टर ऑयल की तासीर भी बहुत गर्म होती है। ऐसे में आपको अपने शरीर की मालिश करने के लिए इस तेल का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए।
आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा बताते हैं कि अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो आपको ऊपर बताए गए तेलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। ये आपकी प्रकृति या स्वभाव के लिए अच्छे माने जाते हैं। कई बार जोड़ों या हड्डियों में दर्द होने पर गर्म तासीर के तेलों से आराम मिलता है। ऐसे में आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह पर ही गर्म तासीर के तेलों का इस्तेमाल करें।
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