भारत में परंपराओं और मान्यताओं का गहरा प्रभाव लोगों के जीवन पर देखने को मिलता है। सेहत से जुड़ी कई घरेलू मान्यताएं और उपचार विधियां सदियों से चली आ रही हैं। इन परंपराओं में कुछ उपाय ऐसे हैं जिनके पीछे वैज्ञानिक आधार भी है, लेकिन अधिकांश ऐसे हैं जो केवल परंपराओं और अंधविश्वासों पर आधारित हैं। इनमें से एक आम और विवादित मान्यता यह है कि किसी को चोट लगने या घाव हो जाने पर उस पर पेशाब लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर कुछ शहरी तबकों तक, यह धारणा आज भी कायम है कि इंसानी पेशाब विशेष रूप से खुद की पेशाब इंफेक्शन को रोक सकती है और घाव भरने में मदद करती है। कई लोग इसे नेचुरल एंटीसेप्टिक मानते हैं और इसका उपयोग घरेलू उपचार के तौर पर करते हैं। कुछ लोग तो इसके पीछे यह तर्क भी देते हैं कि पेशाब शरीर का शुद्ध तरल है और इसमें बैक्टीरिया नहीं होते, इसलिए यह नुकसान नहीं करती।
हमारे समाज में फैले इस तरह के अंधविश्वास और उनके पीछे की सेहत और खानपान जैसी चीजों से जुड़े मिथकों के पीछे छिपे साइंस के बारे में सही जानकारी देने के लिए ओन्लीमायहेल्थ "अंधविश्वास या साइंस" सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत हम आपको ऐसे ही अंधविश्वासों से जुड़े साइंस और वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में बताने की कोशिश करेंगे। तो आइए आज कि इस सीरीज में नोएडा के मेट्रो अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर आशुतोष सिंह (Dr. Ashutosh Singh, Sr. Consultant - Urology, Metro Hospital, Noida) से जानेंगे कि क्या चोट पर पेशाब लगाने से घाव भरता है?
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क्या चोट पर पेशाब लगाने से घाव भरता है? - Does Urine Help Heal Wounds Doctor Opinion
पेशाब मुख्य रूप से पानी (लगभग 95%) से बनी होती है, जिसमें यूरिया, क्रिएटिनिन, अमोनिया, लवण और कुछ अन्य अपशिष्ट पदार्थ होते हैं। वर्तमान में, पेशाब से घावों के इलाज के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। पेशाब में बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो घावों में इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पेशाब में यूरिया की सांद्रता इतनी कम होती है कि वह घावों के उपचार में प्रभावी नहीं हो सकती। पेशाब हमारे शरीर का अपशिष्ट पदार्थ है, जो किडनी के माध्यम से फिल्टर होकर मूत्राशय में इकट्ठा होता है और फिर शरीर से बाहर निकलता है। इसका मतलब यह है कि पेशाब वास्तव में शरीर के लिए हानिकारक या बेकार तत्वों का मिश्रण है, न कि कोई पोषक तत्वों का पानी।
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डॉ. आशुतोष सिंह बताते हैं कि जब पेशाब को घाव पर लगाया जाता है, तो हो सकता है कि व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए ठंडक महसूस हो, खासकर यदि पेशाब ठंडा हो। परंतु इसका यह मतलब नहीं कि पेशाब में कोई औषधीय गुण हैं जो घाव भरने में मदद करें। इसके विपरीत, पेशाब में मौजूद अमोनिया और यूरिक एसिड जैसे तत्व घाव को जलन दे सकते हैं और त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे घाव भरने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, और इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ सकता है। घाव पर पेशाब लगाना एक खतरनाक और अवैज्ञानिक तरीका है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी घाव की स्थिति में सबसे पहले उसे साफ पानी या सेलाइन से धोना चाहिए, फिर जरूरत हो तो एंटीसेप्टिक या एंटीबायोटिक मलहम का प्रयोग करना चाहिए। यदि घाव गहरा है या ठीक नहीं हो रहा, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ही उचित होता है।
निष्कर्ष
पेशाब से घाव भरने की धारणा पूरी तरह से एक अंधविश्वास है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उल्टा यह तरीका स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और इंफेक्शन की संभावना को बढ़ा सकता है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाएं और ऐसे पुराने और अवैज्ञानिक तरीकों से बचें। स्वस्थ रहने के लिए सही जानकारी और सही इलाज ही सबसे बेहतर उपाय है।
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FAQ
कटने पर किस से धोएं?
जब स्किन कट जाए तो सबसे पहले घाव को साफ रखना जरूरी होता है। कटने पर घाव को तुरंत साफ बहते हुए ठंडे पानी से धोएं ताकि धूल, मिट्टी या अन्य गंदगी निकल जाए। उसके बाद एंटीसेप्टिक घोल जैसे बीटाडीन को पानी में मिलाकर घाव को धोना सुरक्षित होता है। अगर एंटीसेप्टिक उपलब्ध न हो, तो साधारण साफ पानी भी उपयोगी है। घाव को रगड़ें नहीं, हल्के हाथ से धोकर साफ कपड़े या पट्टी से ढक दें। गंभीर या गहरा कट लगने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।कटे हुए घाव में क्या लगाना चाहिए?
कटे हुए घाव पर सबसे पहले उसे साफ पानी या एंटीसेप्टिक घोल (जैसे, बीटाडीन, डिटॉल या सैव्लोन) से धोना चाहिए ताकि इंफेक्शन का खतरा कम हो। घाव को हल्के हाथ से सुखाकर उस पर एंटीबायोटिक क्रीम या मलहम लगाना फायदेमंद होता है। इसके बाद घाव को साफ पट्टी या बैंडेज से ढक देना चाहिए ताकि धूल और बैक्टीरिया न लगें। यदि घाव गहरा हो या लगातार खून बह रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। घाव को बार-बार छूने या गंदे हाथों से छूने से बचें और पट्टी रोज बदलें।कटने के बाद टिटनेस का इंजेक्शन कब लेना चाहिए?
कटने के बाद टिटनेस का इंजेक्शन (टी.टी. इंजेक्शन) तुरंत या 24 घंटे के भीतर लेना चाहिए, खासकर यदि घाव गहरा, जंग लगे लोहे, गंदे या मिट्टी से सने किसी वस्तु से हुआ हो। टिटनेस एक गंभीर बीमारी है जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और घातक हो सकती है, इसलिए सावधानी जरूरी है। यदि पहले से टीकाकरण हुआ है, तो भी स्थिति के अनुसार डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होता है।