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क्या तैलीय त्वचा वालों की झुर्रियां कम बनती हैं? डॉक्टर से जानें

अक्सर लोगों को लगता है कि जिन लोगों की त्वचा तैलीय होती है, उनको झुर्रियां कम बनती है। क्या यह वाकई में यह सच है? इस लेख में आगे जानते हैं कि क्या तैलीय त्वचा वाले लोगों को झुर्रियों का समस्या नहीं होती है?
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क्या तैलीय त्वचा वालों की झुर्रियां कम बनती हैं? डॉक्टर से जानें


लोगों की स्किन अलग-अलग तरह की होती है। कुछ लोगों की स्किन ऑयली होती है तो कुछ लोगों की ड्राई। अक्सर यह माना जाता है कि ड्राई स्किन में रुखापन बने रहने के चलते यह झुर्रियां बनने की वजह बन सकता हैं। जबकि, ऑयली स्किन (Oily Skin) के लोगों की झुर्रियां कम बनती है। लेकिन, आपको बता दें कि ऑयली स्किन के लोगों को गर्मियों में चिपचिपी त्वचा, मुंहासे (Acne), ब्लैकहेड्स (Blackheads) और अन्य समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है। फिलहाल, एक्सपर्ट्स की मानें तो व्यक्ति की स्किन में झुर्रियां होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। इस लेख में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजी डॉ विजय सिंघल से जानते हैं कि क्या वाकई में तैलीय त्वचा वाले लोगों की झुर्रियां नहीं बनती है?  

तैलीय त्वचा क्या होती है? - What Is Oily Skin In Hindi 

तैलीय त्वचा वह होती है जिसमें सीबम (Sebum) नामक स्किन का नेचुरल ऑयल अधिक मात्रा में बनता है। यह तेल त्वचा को नम और कोमल बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन जब यह अधिक हो जाए, तो स्किन चिपचिपी और पिंपल्स से भरी नजर आ सकती है। चेहरे पर पसीना चमकना, रोमछिद्र का बड़ा होना, चेहरे पर ब्लैकहेड्स और बार-बार दाने या मुंहासे निकलना तैलीय त्वचा का एक सामान्य लक्षण होता है। 

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क्या तैलीय त्वचा वालों की झुर्रियां कम बनती हैं? - Does Oily Skin Have Less Wrinkles In Hindi 

एक्सपर्ट्स की मानें तो तैलीय त्वचा अन्य स्किन टाइप की तुलना में अलग तरह से उम्र बढ़ने के लक्षण दिखाती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि तैलीय त्वचा में झुर्रियां नहीं बनती हैं। इन लोगों की झुर्रियां रूखी त्वचा वाले लोगों की तरह गहरी नहीं होती है। झुर्रियों के अलावा भी उम्र बढ़ने के अन्य लक्षण होते हैं, जिसमें पिगमेंटेशन, त्वचा का पतला होना, पोर्स का बढ़ना और स्किन टोन में बदलाव को शामिल किया जाता है। 

आपको बता दें कि त्वचा का रूखापन झुर्रियां बनने का एक मात्र कारक हो सकता है, लेकिन, इसके अलावा कोलेजन और इस्लास्टिन फाइबर के टूटने और खत्म होने की वजह से त्वचा पर झुर्रियां बनती हैं। कोलेजन और इलास्टिन में यह बदलाव उम्र बढ़ने की वजह से होता है। इसके अलावा, व्यक्ति के फेशियल एक्सप्रेशन, लाइफस्टाइल और खानपान भी झुर्रियां होने का कारण होते हैं। यह कारक सभी प्रकार की त्वचा को प्रभावित करते हैं।  

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तैलीय त्वचा को अक्सर नेगेटिव रूप में देखा जाता है। लेकिन, रूखी त्वचा की अपेक्षा तैलीय त्वचा में गहरी और स्पष्ट झुर्रियां कम देखने को मिलती हैं। एजिंग की प्रक्रिया और उसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते है। लेकिन, यह कहना गलत होगा कि तैलीय त्वचा वालों को झुर्रियां नहीं बनती है। आप सही खानपान और लाइफस्टाइल से स्किन को चमकदार और हेल्दी बन सकते हैं। 

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