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क्या नाक छिदवाने से प्रजनन क्षमता में सुधार होता है? जानें शादी से पहले लड़कियों का इसे करवाना अंधविश्वास है या साइंस

Andhvishwas or science: नाक छिदवाने की परंपरा भारत में सदियों से रही है। शादी से पहले यहां लड़कियों की नाक जरूर छिदवा दी जाती है और ऐसा मानते हैं कि इससे उनकी फर्टिलिटी बढ़ती है। लेकिन, क्या ऐसा सच में होता है। जानते हैं एक्सपर्ट की राय।
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क्या नाक छिदवाने से प्रजनन क्षमता में सुधार होता है? जानें शादी से पहले लड़कियों का इसे करवाना अंधविश्वास है या साइंस


Andhvishwas or science: भारत में लोगों का जीवन शुरुआत से कुछ यौगिक परंपराओं के साथ जुड़ा रहा है। कई ऐसी मान्यताएं रही हैं जिन्हें लोग आजतक फॉलो करते आए हैं, भले ही यह तथ्यपरक हो या नहीं। जैसे कि भारतीय परंपराओं से जुड़ा एक बेहतरीन उदाहरण है नाक छिदवाना। भारत में छोटी उम्र में लड़कियों की नाक छिदवाने की परंपरा रही है। अगर यह बचपन में नहीं होता तो शादी से पहले, इसे करवाना बेहद जरूरी माना जाता है। शादी में वर पक्ष से आने वाली नाक की नथ हमेशा सुहाग से जोड़कर देखा जाता रहा है और महिलाएं शुभ अवसरों पर इसे जरूर पहनती हैं। लेकिन, यहीं एक सवाल यह आता है कि शादी से पहले नाक छिदवाना क्यों इतना जरूरी है। क्या यह एक अंधविश्वास है या इसके पीछे कोई साइंस भी है। इन्हीं तमाम चीजों के बारे में हमने एक्सपर्ट Dr Purva Balkrishna Amin, Dr. Sagar Mahajan और Dr. Sharad Kumar M से बात की।

शादी से पहले लड़कियों का नाक छिदवाना क्यों जरूरी है-Why nose piercing important before marriage?

डॉ. शरद कुमार एम, सहायक प्रोफेसर, संहिता सिद्धांत विभाग (Dr. Sharad Kumar M, Assistant Professor, Department of Samhita Siddhanta) बताते हैं कि पारंपरिक ज्ञान से शरीर में 72,000 नाड़ियों में से "इड़ा नाड़ी" बाएं नथुने से जुड़ी होती है, जो स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है और इस नाड़ी को उत्तेजित करने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है और महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती है। छेदन की भूमिका नाड़ी में स्थानीय बिंदु को उत्तेजित कर सकती है और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसी वजह के शादी से पहले लड़कियों का नाक छिदवाना जरूरी हो जाता है ताकि उनकी प्रजनन क्षमता अच्छी रहे और वह अपना परिवार बढ़ा सकें।

भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां किसी को नुकसान न पहुंचाने की अवधारणा के साथ जुड़ी हुई हैं, इसलिए नाक छिदवाना आक्रामक सांस्कृतिक अभ्यास के अंतर्गत आता है। हालांकि, एक्यूपंक्चर और मर्म प्रथाओं ( Acupuncture and marma practices) में वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि नाक क्षेत्र संवेदी अंगों को दर्शाता है, इसे छेदन के साथ अप्रत्यक्ष रूप से उत्तेजित करने से ऊर्जा प्रवाह बढ़ (scientific reason for nose piercing) सकता है। इसलिए बाएं तरफ नाक छिदवाने पर अनुभवजन्य वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं, लेकिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से अंतर्निहित हैं।

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क्या नाक छिदवाने से प्रजनन क्षमता में सुधार होता है- Does nose piercing improve fertility in Hindi

Dr. Purva Balkrishna Amin, BAMS MD बताते हैं कि आयुर्वेद में, बायां नथुना इडा नाड़ी (Ida nadi) से जुड़ा हुआ है, जो महिला प्रजनन प्रणाली से जुड़ी एक सूक्ष्म ऊर्जा का चैनल है। नाक के इस हिस्से को छेदने से हार्मोन को नियंत्रित करने, मासिक धर्म की ऐंठन को कम करने और समग्र प्रजनन स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद मिलती है। यह एक मर्म बिंदु से भी मेल खाता है, जो एक महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र है; इस बिंदु को उत्तेजित करने से दर्द प्रबंधन में मदद मिल सकती है, खासकर मासिक धर्म और प्रसव के दौरान।

left side nose piercing benefits for female

Dr. Sagar Mahajan, Wellness Operations Manager, Dharana at Shillim बताते हैं कि नाक छिदवाना, खास तौर पर बाईं ओर, प्रजनन क्षमता या प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है, जैसा कि कुछ परंपराओं में माना जाता है। आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय प्रथाओं में, नाक के बाएं हिस्से में छेद करना महिला प्रजनन प्रणाली से निकटता से जुड़ा हुआ है। यह विश्वास आंशिक रूप से मर्म चिकित्सा में निहित है, जहां नाक के पास स्थित फना मर्म बिंदु गर्भाशय और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। क्लासिक मान्यताओं के अनुसार, छेद करके इस बिंदु को उत्तेजित करने से मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने और प्रसव को आसान बनाने में मदद मिल सकती है। जबकि आधुनिक विज्ञान में इसका कोई सबूत नहीं है, यह अभ्यास प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक मूल्य रखता है, जो स्त्री रोग संबंधी कार्य को प्रभावित करने वाले एक्यूपंक्चर बिंदुओं के साथ दिलचस्प रूप से ओवरलैप करता है।

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नाक छिदवाने के फायदे-Nose piercing benefits for female

इसके अलावा, यह मानसिक स्पष्टता को बढ़ा सकता है और श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर कर सकता है। आयुर्वेद मर्म बिंदुओं को उन मूलभूत स्थानों के रूप में पहचानता है जहां शरीर की ऊर्जा या प्राण प्रवाहित होते हैं, जो एक्यूपंक्चर बिंदुओं के समान हैं। माना जाता है कि बाएं नथुने को छेदने से इस प्राण प्रवाह को प्रभावित किया जाता है। सांस्कृतिक रूप से, भारत में बाएं नथुने को छेदने की एक गहरी परंपरा है, जो सुंदरता और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक है। एक्यूपंक्चर और मर्म चिकित्सा जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में, इन दबाव बिंदुओं को संतुलन और समग्र कल्याण बनाए रखने के लिए जरूरी माना जाता है।

हालांकि, नाक छिदवाते समय नाक के कार्टिलेज और कोणीय शिरा के पास के क्षेत्रों से बचें। नाक छिदवाने के लिए स्टेराइल सुइयों का उपयोग करना सुनिश्चित करें। संक्रमण से बचने के लिए तत्काल देखभाल के रूप में एंटीसेप्टिक मरहम लगाएं।

FAQ

  • नाक छिदवाने पर हमें क्या लगाना चाहिए?

    नाक छिदवाने के बाद कोई इंफेक्शन न हो इसलिए, नाक छिदवाने के बाद नाक पर सरसों का तेल पकाकर लगाएं ताकि कोई इंफेक्शन न हो या फिर छिदवाने के बाद पस न बन जाए।
  • नाक छिदवाने के बाद हमें क्या नहीं खाना चाहिए?

    नाक छिदवाने के बाद बहुत ज्यादा तेल मसाले, दूध और चीनी से भरपूर चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर नाक छिदवाना के बाद घाव जैसी स्थिति हुई तो यह उसे सूखने में दिक्कत हो सकती है। 
  • नाक छिदवाने की उम्र क्या है?

    नाक छिदवाने की कोई सही उम्र नहीं है लेकिन जितनी कम उम्र में आप नाक छिदवा लेते हैं उतनी कम उम्र में नाक का घाव ठीक हो जाता है और यह जल्दी ठीक हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नाक की त्वचा छोटी उम्र में पतली होती है और छेदना आसान होता है और बड़ी उम्र में यह ज्यादा मोटो हो जाता है और छेदने में मुश्किल आती है और यह दर्द देने वाला और मुश्किल हो जाता है। 

 

 

 

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