इन 6 बीमारियों के महिलाओं और पुरुषों में दिखते हैं अलग-अलग लक्षण, जानें इनके बारे में

कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो महिला और पुरुष को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करती हैं। चलिए जानते हैं उन बीमारियों के बारे में-
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इन 6 बीमारियों के महिलाओं और पुरुषों में दिखते हैं अलग-अलग लक्षण, जानें इनके बारे में


वायरल हो या फिर कोई गंभीर बीमारी, हर एक बीमारी अलग-अलग लोगों में अलग-अलग ढंग से प्रभावित करती हैं। इतना ही नहीं लोगों में एक ही बीमारी के लक्षण अलग-अलग तरीकों से दिखते हैं। उदाहरण के लिए कोरोना महामारी को ही ले लीजिए। कोरोना के लक्षण हर एक व्यक्ति में काफी अलग-अलग दिखते हैं। इसके अलावा कुछ एक ऐसी बीमारियां हैं, जो महिला और पुरुषों को अलग ढंग से प्रभावित करती हैं। शायद ये बात सुनकर आप चौंक गए होंगे, लेकिन यह सच है। आज हम आपको इस लेख में 6 ऐसी बीमारियों के नाम बताने जा रहे हैं, जो महिला और पुरुष को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती हैं। चलिए जानते हैं उन बीमारियों के नाम-

1. स्ट्रोक

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1 लाख पुरुषों में 117 पुरुष स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं। वहीं, 1 लाख महिलाओं में 178 महिलाएं स्ट्रोक की समस्या से प्रभावित हुईं। इसका मतलब साफ है कि पुरुषों की तुलना में 52% ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसका कारण बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा हो जाता है। इसके अलावा कुछ महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियां भी लेती हैं, जो ब्लड प्रेशर बढ़ाती है। साथ ही माइग्रेन की वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। वहीं, लक्षणों की बात की जाए, तो स्ट्रोक के सामान्य लक्षण शरीर में अचानक कमजोरी, बोलने में परेशानी, खड़े होने में दिक्कत, उलझन जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन महिलाओं में इसके लक्षण अलग दिखते हैं, जैसे- बेहोशी, घबराहट, दर्द, उल्टी, हिचकी इत्यादि।

2. मल्टीपल स्क्लेरोसिस

पुरुषों को इम्यून सिस्टम प्रभावित करने वाले रोग अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। जैसे - मल्टीपल स्क्लेरोसिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। लेकिन अगर लगातार बढ़ने की बात की जाए, तो यह पुरुषों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करती है। यह बीमारी पुरुषों के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।

3 स्ट्रेस

ज्यादातार महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में ज्यादा स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। वैसे को गुस्सा और मांसपेशियों में स्ट्रेस के दौरान पुरुषों और महिलाओं को एक ही जैसा महसूस होता है। लेकिन महिलाओं को स्ट्रेस के दौरान सिर में दर्द, पेट खराब, आंखों में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं। वहीं, पुरुषों की बात की जाए, तो उन्हें स्ट्रेस में शारीरिक परेशानी कम होती है।

4. मुंहासे

हार्मोंस में बदलाव को मुंहासों का जिम्मेदार माना जाता है। महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मोनोपॉज के दौरान हार्मोन में काफी बदलाव होता है। इसलिए महिलाओं को मुंहासे होने की संभावना ज्यादा होती है। साथ ही पुरुषों और महिलाओं का उपचार भी अलग-अलग तरीके से होता है। जैसे अगर महिलाओं को  पीरियड्स की वजह से मुंहासे हो रहे हैं, तो उसका इलाज अलग ढंग से होता है। वहीं, पुरुषों को किसी क्रीम लगाने के कारण मुंहासे हो जाए, तो उसका इलाज अलग तरीके से होता है। 

5. दिल का दौरा

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग में साल 2016 में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार, पुरुषों को महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। हार्ट अटैक से आप सभी अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। इस बीमारी के कारण हृदय तक ऑक्सीजन युक्त ब्लड का फ्लो अवरुद्ध होने लगता है, जिसकी वजह से सीने में दर्द और छाती पर भार जैसा अनुभव होता है। वहीं, हार्ट अटैक के कारण महिलाओं के जबड़े में दर्द, सांस लेने में परेशानी, जी मिचलाना और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखते हैं। भले ही पुरुषों को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन अगर महिलाएं हार्ट अटैक की शिकार हो जाएं, तो उनके बचने की उम्मीद पुरुषों की तुलना में कम होती है।

6. ऑस्टियोपोरोसिस 

इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, 50 साल से अधिक उम्र के 24.6 फीसदी पुरुष वहीं 42.5 फीसदी महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या ज्यादा देखी गई है। बताया जा रहा है कि महिलाओं की हडि्डयां पुरुषों की तुलना में ज्यादा कमजोर होती हैं। इसके अलावा मोनोपॉज के दौरान हडि्डयों को प्रोटेक्ट करने वाला हार्मोन काफी तेजी से घटता है। इसलिए यह समस्या महिलाओं को अधिक होती है। इस बीमारी से बचाव के लिए 30 से 40 के पार दूध का सेवन जरूर करें। अपने भोजन में कैल्शियम युक्त चीजों को शामिल करें।

महिला और पुरुषों को यह बीमारी अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए अगर आपको किसी तरह के लक्षण महसूस हों, तो डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि आपके लक्षणों की पहचान कर उसका सही ढंग से इलाज किया जा सके।

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