इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने अपने एक अनुसंधान में पाया है कि कि माउथवॉश का अत्यधिक इस्तेमाल (दिन में तीन बार से तक या इससे अधिक) से भी कैंसर का खतरे बढ़ा जाता है। गौरतलब है कि अभी तक मुंह और गले के कैंसर के लिए धूम्रपान, अधिक शराब पीने व गरीबी आदि कारणों को ही मुख्य मान जाता रहा है।
इस अध्ययन को जर्मनी के ब्रेमेन में लीबनीज़ इंस्टीट्यूट फॉर प्रिवेंशन रिसर्च एंड एपिडेमोलॉजी विभाग (बिप्स) ने किया जिसमें ग्लासगो यूनिवर्सिटी के डेंटल स्कूल के शोधकर्ता भी शामिल थे। इस अध्ययन को यूरोप के नौ देशों में 1,962 कैंसर रोगियों पर किया गया।
बिप्स के उप निदेशक प्रोफेसर वॉल्फगैंग ऐरेन ने इस अध्ययन के संदर्भ में कहा कि, ''अभी तक यह पता नहीं था कि दांतों की बिगड़ी सेहत के ये कारक मुंह और गले के कैंसर के ज्ञात कारणों- धूम्रपान, शराब पीने व गरीबी- से अलग हैं। '' उन्होंने यह भी कहा कि अध्ययन के नतीजे महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ बहुत ही सूक्ष्म हैं और कई अन्य कारकों से भी जुड़े हुए हैं। और मुंह की खराब सेहत का संबंध उन सभी लोगों से है जिनके पूरे या कम दांत हैं होते हैं या फिर जिनके मसूड़ों से खून बहता है।
ग्लासगो विश्वविद्यालय के डेंटल स्कूल के वरिष्ठ लेक्चरर डॉक्टर डेविड कानवे बताते हैं कि, ''लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि अगर वो नकली दांत का उपयोग करते हैं और उनका कोई भी दांत नहीं बचा है तो ऐसे में उन्हें दंत चिकित्सक के पास जाने की ज़रूरत ही नहीं है। यहां तक कि यदि आप नकली दांत इस्तेमाल करते हैं तब भी आप को नियमित जांच करानी चाहिए।''
हालांकि अध्ययन में शामिल लोगों द्वारा सालों पहले इस्तेमाल में लाए जाने वाले माउथवॉश की प्रकृति के बारे में विश्लेषण करने में शोधकर्ता असमर्थ थे। अध्ययन के नतीजों को ओरल ऑन्कोलॉजी में छापा जा रहा है।
Source: BBC
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