
वजन कम करने की राह में सबसे पहला कदम डायटिंग की होता है। इससे मोटापे से तो भले ही मुक्ति मिल जाए, लेकिन इसका बुरा असर दिमाग पर पड़ता है। व्यक्ति की मानसिक क्षमता कमजोर होने लगती है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में 'हावर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि डायटिंग के दौरान लोगों को अपने खानपान की आदतों पर सख्ती से काबू करना होता है। ऐसे में उनका सारा ध्यान इस बात पर रहता है कि कहीं वे जरूरत से अधिक कैलोरी का सेवन न कर लें। इस जद्दोजेहद में उन्हें बाकी चीजों पर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता। उनकी इसी आदत के चलते मस्तिष्क की कार्य करने की क्षमता शिथिल पड़ने लगती है। शोधकर्ता सेंढिल मुल्लईनाथन बताते हैं, ' दिमाग के शिथिल पड़ने से रोजमर्रा के कई कामों में दिक्कत आती है। साथ ही इनसान की तर्कशक्ति, समस्याएं सुलझाने की क्षमता और नयी बातें सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
इतना ही नहीं व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इसका खामियाजा केवल दिमाग को ही नहीं बल्कि शरीर को भी उठाना पड़ता है। कई बार डायटिंग करने वाले लोग खानपान को लेकर गलत फैसले ले लेते हैं और कैलोरी से परहेज नहीं कर पाते। ठोस निष्कर्ष निकालने के लिए शोधकर्ताओं ने कुछ लोगों पर एक परीक्षण किया। इनमें से कुछ प्रतिभागी डायटिंग करने वाले जबकि, कुछ खानपान की सामान्य दिनचर्या का पालन करने वाले थे।
दोनों समूह के प्रतिभागियों को एक-एक चॉकलेट खाने को दी गई। सामान्य आहार लेने वाले चॉकलेट खाने के बाद अपना काम करने लगे। जबकि डायटिंग खाने वाले चॉकलेट खाने के बाद उसमें मौजूद कैलोरी का हिसाब-किताब करने लगे। उन्हें इस बात का मलाल भी हुआ कि उन्होंने चॉकलेट का सेवन क्यों किया। इस सब के बीच वे जरूरी कामों पर ध्यान देना भूल गए। इससे मस्तिष्क की कार्य करने की क्षमता प्रभावित हुई। शोधकर्ताओं के मुताबिक, डायटिंग अच्छी चीज है लेकिन हर वक्त इसके बारे में सोचना आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं।
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