
शोधकर्ताओं ने लाखों लोगों पर एक अध्यन के माध्यम से पता लगाया है कि अवसाद कम करने के लिए दवा लेने वाले हजारों लोगों को डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
इस शोध के अनुसार किसी भी किस्म की अवसाद कम करने वाली दवा लेने वोले लोगों का वजन भी बढ़ जाता है। जिस कारण इन लोगों में टाइप टू डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है। लंदन के साउथहेम्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक तनाव खतम करने की दवाओं और डायबिटीज में संबंध होने के बाद भी यह पूरी तरह नहीं कहा जा सकता कि यह दवाएं ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।
वहीं यह बात भी सामने आई कि खुश रहने के लिए दवाएं लेने वाले मरीजों का वजन बढ़ने की ज्यादा गुंजाइश रहती है। इसी के चलते उनमें स्वस्थ लोगों की तुलना में डायबिटीज होने की ज्यादा संभावना होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर मामलों में चिकित्सक इन दवाओं से भविष्य में हो सकने वाले दुष्प्रभावों के बारे में सोचे बिना ही रोगियों को ये दवाएं दे देते हैं।
अवसाद खतम करने वाली इन दवाओं से मोटापा बढ़ता है और फैलाव आता है। साथ ही शरीर की रक्त शर्करा को नियत्रित करने की ताकत भी कम होती जाती है।
शोध में देखा गया कि टाइप टू डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों में से अधिकांश इन दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं।
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