
Dialectical Behavior Therapy Benefits: हम शारीरिक समस्याओं में डॉक्टर से इलाज कराते हैं और दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि खराब मानसिक स्वास्थ्य का पूरा असर शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। मानसिक समस्याओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आर्थिक स्थिति, किसी बात का डर, किसी बुरी स्थिति में होना, बीमारी का शिकार होना या अन्य किसी दबाव के चलते व्यक्ति को तनाव, घबराहट, भूख न लगना, काम में मन न लगने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ के पास कई तरह की थेरेपी होती हैं। इन थेरेपी की मदद से वह मरीज का इलाज करते हैं। इन थेरेपी में से एक है डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी। आगे जानते हैं इस थेरेपी के फायदों के बारे में। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी क्या है?- Dialectical Behavior Therapy
डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (Dialectical Behavior Therapy or DBT) एक मनोचिकित्सा विधि है। यह उन लोगों की मदद करती है, जो मानसिक समस्याओं का शिकार होते हैं। इन समस्याओं में से एक है बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर। जो व्यक्ति असमंजस की स्थिति में होते हैं उनकी मदद करने के लिए इस थेरेपी की मदद ली जाती है। इस थेरेपी की मदद से व्यक्ति की मानसिक समस्या के कारण का पता लगाकर, काउंसलिंग की जाती है।
डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी के फायदे- Dialectical Behavior Therapy Benefits
- एंग्जाइटी दूर करने में मदद मिलती है।
- डिप्रेशन से जूझ रहे मरीजों के लिए यह थेरेपी लाभदायक है।
- अक्सर काम के बोझ के कारण तनाव में रहते हैं, तो इस थेरेपी की मदद ले सकते हैं।
- किसी विचारधारा के कारण परेशान होने वाले व्यक्तियों का इलाज इस थेरेपी से किया जाता है।
- किसी बड़े हादसे या मेंटल ट्रॉमा का शिकार हुए लोगों का इलाज इस थेरेपी से होता है।
- भूख संबंधित विकार की स्थिति में भी इस थेरेपी की मदद ली जाती है।
चार स्टेज में होता है इलाज- Stages of DBT Therapy
- इस थेरेपी की शुरुआत पहली स्टेज से होती है जिसमें गंभीर विचार जैसे- सोसाइडल विचारों पर बात की जाती है।
- दूसरी स्टेज में व्यक्ति की उन समस्याओं पर बात की जाती है जिससे उसकी निजी जिंदगी पर असर पड़ रहा है। यह समस्या पर्सनल भी हो सकती है और प्रोफेशनल भी।
- अगले स्टेज में रिश्ते और परिस्थितियों की बात की जाती है।
- चौथे और आखिरी स्टेज में काउंसलर या डॉक्टर मरीज को उसकी समस्याओं का सही समाधान बताते हैं और पुरानी बातों को भूलने की सलाह देते हैं।
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थेरेपी लेने से पहले इन बातों का ख्याल रखें
- आप थेरेपी पूरी लें। कोर्स को बीच में न छोड़ें। ऐसा न करने से आपकी समस्या कम होने के बजाय बढ़ सकती है।
- थेरेपी के दौरान आपसे कई ऐसे सवाल पूछे जाएंगे, जिन्हें आप डॉक्टर को बताना न चाहें। लेकिन यह समस्या कुछ दिन बाद दूर हो जाती है, जब आपका बॉन्ड डॉक्टर के साथ बन जाता है।
- थेरेपी के दौरान डॉक्टर को हर वह बात बताएं जिसके बारे में डॉक्टर को पता न हो। ऐसा न करने से आपका इलाज ठीक से नहीं हो पाएगा।
अगर आपको भी किसी तरह की मानसिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें। उम्मीद करते हैं यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
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