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ईगो या अहंकार मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को कैसे प्रभाव‍ित करता है? एक्‍सपर्ट से जानें

क्‍या आपके आसपास भी ऐसे लोग हैं जो हर समय ईगो में रहते हैं? ऐसे लोग खुद के ल‍िए और दूसरों के ल‍िए बड़ी मानस‍िक समस्‍या का कारण बन सकते हैं। 
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ईगो या अहंकार मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को कैसे प्रभाव‍ित करता है? एक्‍सपर्ट से जानें


How Does Ego Affect Mental Health: ईगो का मतलब है अहंकार में रहना। ईगो के कारण, व्‍यक्‍त‍ि की मानस‍िक सेहत प्रभाव‍ित होती है। ईगो के कारण मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर पड़ता है। ईगो एक तरह का व्‍यवहार है ज‍िसके कारण व्‍यक्‍त‍ि अपने ल‍िए सही फैसले नहीं ले पाता। अगर यह स‍िर्फ व्‍यवहार होता, तो हमें इस पर बात करने की जरूरत नहीं पड़ती। लेक‍िन जब व्‍यवहार, आपके मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभाव‍ित करने लगे, तो उसे मेड‍िकल दृष्‍ट‍ि से देखना जरूरी हो जाता है। ईगो के कारण व्‍यक्‍त‍ि लोगों से कटने लगता है और ज्‍यादा लोगों के साथ उसका व्‍यवहार मेल नहीं खाता। ऐसे में यह समझना जरूरी है क‍ि ईगो या अहंकार, मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को कैसे प्रभाव‍ित करता है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्‍सलिंग साइकोलॉज‍िस्‍ट डॉ नेहा आनंद से बात की।

how does ego affect mental health

ईगो मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य को कैसे प्रभाव‍ित करता है?- How Does Ego Affect Mental Health

डॉ नेहा आनंद ने बताया क‍ि हमारे स्‍वभाव का गहरा असर, हमारी मानस‍िक स्‍थ‍ित‍ि पर पड़ता है। ज‍िन लोगों में ज्‍यादा गुस्‍सा या अहंकार होता है, उन्‍हें आलोचना सहने में परेशानी होती है। ऐसे लोगों के मन पर बॉस की डांट, टीचर की डांट या पर‍िजनों की बात का गहरा असर होता है। इस वजह से वे लोग न‍िराशा और असुरक्षा से भर जाते हैं। ऐसे लोगों में हमेशा सफल बनने की इच्‍छा होती है ज‍िस कारण से ये लोग हमेशा तनाव में रहते हैं। ज‍िन लोगों में ज्‍यादा ईगो होता है, वे इसल‍िए भी परेशान रहते हैं क्‍योंक‍ि उनमें जलन की भावना होती है। ऐसे लोगों में हमेशा प्रत‍िस्‍पर्धा की भावना देखी जाती है। इस कारण ऐसे लोग हमेशा, तनाव और च‍िंता में रहते हैं। इसल‍िए ईगो के कारण, लोगों की मानस‍िक सेहत प्रभाव‍ित हो सकती है। 

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ईगो से खराब हो रही मानस‍िक सेहत के ल‍िए क्‍या करें? 

  • ध्यान और योग का नियमित अभ्यास करें। ये तकनीकें मन को शांत करती हैं ज‍िससे ईगो को कंट्रोल क‍िया जा सकता है। 
  • दूसरों की मदद करने से आपका ध्यान खुद से हटकर दूसरों की जरूरतों पर जाता है। यह विनम्रता की भावना को बढ़ावा देता है।
  • संतुलित जीवनशैली फॉलो करें। टाइम मैनेज करें, नियमित एक्‍सरसाइज, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद की मदद ले सकते हैं।
  • आलोचना को स्वीकार करें और उसे व्यक्तिगत हमले के रूप में न लें बल्कि इसे सुधार के रूप में देखें।
  • नियमित रूप से आत्म-निरीक्षण करें और अपनी सोच, भावनाओं, और व्यवहार के गलत आचरण को सुधारने का प्रयास करें। इससे आपको अपने ईगो के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावों को पहचानने में मदद म‍िलती है।
  • सामाजिक रूप से सक्रिय रहें और अपने परिवार, दोस्तों के साथ जुड़े रहें। सामाजिक समर्थन आपके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखता है और आपके ईगो को संतुलित करता है।
  • अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं और नकारात्मक विचारों को पहचानकर उनसे निपटें।
  • खुद को विकसित करने के लिए नई चीजें सीखें और हॉबी फॉलो करें ताक‍ि आप सकारात्‍मक सोच सकें।

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