ओरल कैंसर वह कैंसर है जो मुंह या गले के ऊतकों में विकसित होता है। यह सिर और गर्दन के कैंसर नामक कैंसर के एक बड़े समूह से संबंधित है। अधिकांश आपके मुंह, जीभ और होंठ में पाए गए स्क्वैमस कोशिकाओं में विकसित होते हैं। भारत में कैंसर से होने वाली मौतों में ओरल कैंसर एक बड़ा कारण है। इस बीमारी के कई मरीज जानकारी के अभाव और सही समय पर सही इलाज न मिलने के कारण मौत का ग्रास बन जाते हैं। ओरल कैंसर के इलाज में सबसे जरूरी है कि डॉक्टर पहले इस बात का पता लगाएं कि आखिर कैंसर किस स्तर तक पहुंच चुका है।
अगर बीमारी गंभीर रूप धारण कर चुकी है, तो कई बार इसका पूरा इलाज संभव नहीं हो पाता। स्टेज 0 या स्टेज 1 होने वाला ट्यूमर टिश्यूज में पूरी तरह से हमला नहीं करता जबकि स्टेज 3 या स्टेज 4 का कैंसर पूरी तरह से टिश्यूज पर हमला कर आसपास के टिश्यूज़ को भी प्रभावित करता है। ओरल कैंसर का इलाज इस बात भी निर्भर करता है कि आखिर कैंसर किस रफ्तार से फैल रहा है। ओरल कैंसर की सबसे आम प्रकार की चिकित्सा है सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी।
ओरल कैंसर के प्रकार
- होंठ
- जीभ
- गाल की भीतरी स्तर पर
- मसूड़ों
- मुंह के ऊपरी सतह पर
- हार्ड और मुलायम ताल पर होने वाला कैंसर
ओरल कैंसर की चिकित्सा
सर्जरी
कैंसर की सबसे आम प्रकार की चिकित्सा है ट्यूमर को निकालना या कैंसर प्रभावित क्षेत्र को निकालना। बहुत सी स्थितियों में सीधी सर्जरी मुंह के रास्ते की जाती है। लेकिन कुछ स्थितियों में ट्यूमर गर्दन या जबड़े तक फैल जाता है। ऐसे में सर्जरी का दायरा भी बढ़ जाता है। जब कैंसर के सेल्स ओरल कैविटी तक या लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाते हैं, तो नेक डिसेक्शजन नामक सर्जरी की जाती है जिसमें कैंसर लिम्फ नोड्स को इस आशा में निकाल दिया जाता है कि वो शरीर के दूसरे भाग में ना फैलने पायें।
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रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी में अत्यंत शक्तिशाली किरणों की मदद से कैंसर के सेल्स को निकालने का प्रयास किया जाता है। यह छोटे ट्यूमर को निकालने का प्राथमिक उपचार है। इसे सर्जरी के बाद भी किया जा सकता है जिससे कि कैंसर प्रभावित सभी सेल्स को नष्ट कर दिया जाता है। इस थेरेपी को दर्द, रक्तस्राव, निगलने जैसी समस्या के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, यहां तक कि इसका इस्तेमाल तब भी किया जाता है जबकि यह कैंसर से बचाव ना कर सकें और इस प्रकार की चिकित्सा को पैल्यिटिव केयर भी कहते हैं।
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कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी में कैंसर को खत्म करने के लिए उन ड्रग्स का इस्तेमाल होता है जिससे कि सर्जरी से पहले ट्यूमर संकुचित हो जाता है। जब कैंसर प्रभावित क्षेत्र बहुत बड़ा हो जाता है कि इसकी चिकित्सा सर्जरी से नहीं की जा सकती तो ऐसे में कीमोथेरेपी के साथ रेडियेशन थेरेपी भी दी जाती है जिससे कि कैंसर की स्थिति में सुधार हो और ट्यूमर का आकार छोटा हो सके। दो सबसे आम प्रकार से कीमोथेरेपी में इस्तेमाल किये जाने वाले ड्रग्स का नाम है सिस्लैटिन और 5 फ्लोरोयूरासिल (5 एफ यू)।
मुंह के कैंसर से बचाव
अगर कैंसर का पता शुरूआती दौर में लग जाता है तो इलाज के सफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है। ट्यूमर के पहले और दूसरे स्टेज में कैंसर 4 सेन्टीमीटर क्षेत्र से कम होता है और इस स्थिति में कैंसर लिम्फ नोड्स तक नहीं फैल पाता है। इस स्थिति में ओरल कैंसर की चिकित्सा आसानी से सर्जरी के द्वारा या रेडिएशन थेरेपी के द्वारा की जाती है।
कैंसर की चिकित्सा के लिए आपका चिकित्सक कौन सी विधि चुनता है यह कैंसर के स्थान पर निर्भर करता है। अगर सर्जरी आपके बोलने या निगलने की स्थिति को प्रभावित नहीं करती है तो ऐसी चिकित्सा की सलाह दी जाती है। रेडिएशन के प्रभाव से मुंह के और गले के स्वस्थ टिश्यूज़ में जलन होने लगती है लेकिन यह कुछ प्रकार के ओरल कैंसर के उपचार का अच्छा विकल्प है।
ट्यूमर के 3 और 4 स्टेज पर जो कैंसर होते हैं वह अधिक उन्नत और इसमें ट्यूमर बड़े होते हैं और यह मुंह के एक से अधिक भाग में होते हैं या यह लिम्फ नोड्स तक फैले होते हैं। इस प्रकार के कैंसर की चिकित्सा के लिए सामान्यत: अधिक व्यापक सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी या दोनों ही प्रकार की सर्जरी की जाती है।
ओरल कैंसर की चिकित्सक के लिए पुनर्वास का भी सहारा लिया जाता है जिससे कि बोलने और खाने की क्षमता प्राप्त की जा सके जैसे अगर व्यापक सर्जरी की जा रही है तो उसमें कास्मेटिक सर्जरी भी की जानी चाहिए।
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