रीढ़ की हड्डी जो कि स्पाइन में सुरक्षित रहती है, में मसल्स् बालेस होते हैं जो पूरी बॉडी में ब्रेन और मसल्स/फाइबर्स को परस्पर सूचना पहुंचाती रहती हैं। रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर इस संपर्क को बाधित कर सकता है। इनकी कार्यप्रणाली को नुकसानन पहुंचा सकता है और यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर असामान्य कोशिकाओं के ढेर होते हैं जो रीढ़ की हड्डी, इसकी सुरक्षा परतों, या रीढ़ की हड्डी को आवरित करने वाली परत की सतह पर विकसित होते हैं। स्पाइनल ट्यूमर्स नियोप्लाज़्म नामके नये ऊतकों की अस्वाभाविक वृद्धि हैं।
ये रीढ़ की हड्डी में अपेक्षाकृत बहुत ही कम पाये जाते हैं। सामान्यतः नियोप्लाज़्म दो तरह के होते हैं- बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) और मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं)। बिनाइन ट्यूमर्स भले ही हड्डी के सामान्य ऊतकों को नष्ट करने वाले हों, लेकिन वे दूसरे ऊतकों को प्रभावित नहीं करते। लेकिन, मैलिग्नेंट ट्यूमर्स रीढ़ की कशेरुकाओं के अवयवों पर तो हमला करते हीं हैं, उसके साथ ही उनके अन्य अवयवों तक फैलने की भी आशंका रहती है।
अधिकतर नॉन-कैंसरस ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में फैलने के बजाय रीढ़ की हड्डी में ही विकसित होते हैं। इन्हें प्राईमरी ट्यूमर भी कहा जाता है और ये प्रायः नॉन-कैंसरस होते हैं। ये असामान्य हैं, जिसने रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर को वैज्ञानिक शोध का केन्द्र बना दिया है, क्योंकि ये कैंसर की रोकथाम और चिकित्सा के नए तरीके सुझा सकते हैं।
अधिकतर कैन्सरस सेल्स रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर सेकंडरी होते हैं, जिसका अर्थ है कि ये शरीर के अन्य भाग में फैलते हैं। रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर से ग्रस्त चार लोगों (जिनमें कैंसर पूरी तरह से फैल चुका होता है) में से एक व्यक्ति में ये ब्रेन या रीढ़ की हड्डी में भी फ़ैल जाता है। ये सेकंडरी ट्यूमर अधिकतर फेफड़ों के कैंसर या स्तन कैंसर का परिणाम होते हैं।
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर हर आयु के लोगों को प्रभावित करते हैं, परन्तु अधिक सामान्य रूप से ये युवा और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में देखे जाते हैं।
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के तीन मुख्य प्रकार हैं:
एक्स्ट्राड्यूरल ट्यूमर
एक्स्ट्राड्यूरल ट्यूमर हड्डी वाली स्पाइनल कैनॉल और ड्यूरा मेटर (रीढ़ की हड्डी की सुरक्षा करने वाली झिल्ली) के बीच में होता है।
एक्स्ट्रामेड्युलरी ट्यूमर
एक्स्ट्रामेड्युलरी ट्यूमर रीढ़ की हड्डी के बाहर और ड्यूरा मेटर के बाहर होते हैं।
इन्ट्रामेड्युलरी ट्यूमर
इन्ट्रामेड्युलरी ट्यूमर ड्यूरा मेटर के बाहर रीढ़ की हड्डी के अंदर विकसित होता है।
स्पाइनल टयूमर के लक्षण
किसी भी प्रकार के कैंसर के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और जब तक इसके लक्षण दिखते हैं तबतक पूरा शरीर इसके कब्जे में आ जाता है। ठीक उसी तरह रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर प्रायः धीरे धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो जाते हैं।
दर्द
पीठ का दर्द प्रायः सबसे प्रबल लक्षण होता है, परन्तु रीढ के हड्डी पर दबाब दर्द पैदा कर सकता है जिससे ऐसा महसूस होता है जैसे ये शरीर के विभिन्न भागों से आ रहा हो। ये दर्द गंभीर और प्रायः लगातार होता है और साथ में दर्द और जलन का एहसास भी हो सकता है।
सेन्सरी परिवर्तन
इसका असर दिमाग पर भी होता है। जिसके कारण चेतना शून्यता, चुभन और तापमान या ठण्ड का एहसास कम होना जैसी समस्याओं का रूप भी ले सकता है।
अन्य समस्याएं
स्नायु संपर्क को बाधित करने वाले ट्यूमर मांसपेशियों से सम्बंधित लक्षण भी उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे प्रगतिशील मांसपेशियों की कमजोरी या आंत्र या मूत्राशय पर नियंत्रण खोना।
इसे भी पढ़ें: ये 5 तरीके हैं ब्रेस्ट कैंसर के 'स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट', जानें कैसे किया जाता है इलाज
कमजोरी आना
जैसे-जैसे ट्यूमर फैलता है शरीर की शक्ति भी क्षीण होती जाती है और आदमी कमजोर हो जाता है। कई बार तो हांथों से वस्तुएं उठाने में भी दिक्कत होती है।
स्पाइनल ट्यूमर की चिकित्सा के तरीके
ग़ैर-सर्जिकल उपचार
नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट ट्यूमर के अनुसार होता है, इसमें यह देखते हैं कि ट्यूमर बिनाइन है या मेलिग्नेंट
ब्रेसिंग
ब्रेस या कॉर्सेट से रीढ़ की हड्डी को सहारा मिलता है और दर्द कम होता है। मरीज़ की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप ख़ास ब्रेस तैयार करने में ऑर्थोटिस्ट की सहायता ली जा सकती है।
कीमोथेरेपी
कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रजनन क्षमता को कीमोथेरेपी के जरिए रोका जाता है। उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं के प्रयोग से कैंसर का इलाज और उस पर नियंत्रण किया जाता है। कीमोथेरेपी की ऐसी कई प्रकार की दवायें हैं, जिन्हें अन्य उपचारों के साथ भी समन्वित किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: कान में कैंसर होने के संकेत हो सकते हैं ये 5 लक्षण, तुरंत कराएं जांच
रेडियेशन थेरेपी
रेडियेशन थेरेपी कै जरिए कैंसर की कोशिकाओं को समाप्त किया जाता है। ट्यूमर को छोटा करके या उसका बढ़ना रोककर, बीमारी पर काबू पाने में सहायता मिल सकती है। रेडियेशन मैलिग्नेंट कोशिका के डीएनए को निशाना बनाता है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Cancer In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version