दिल्ली की हवा में घुला जहर, सांस लेने का मतलब 50 सिगरेट रोज पीना

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, यह स्वास्थ्य की आपात स्थिति है, क्योंकि शहर व्यावहारिक रूप से गैस चैंबर में बदल गया है।
  • SHARE
  • FOLLOW
दिल्ली की हवा में घुला जहर, सांस लेने का मतलब 50 सिगरेट रोज पीना


देश की राजधानी दिल्ली की हवा खराब हो चुकी है। हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 451 तक जा पहुंचा है, जबकि इसका अधिकतम स्तर 500 है। इस हवा में सांस लेने का मतलब है करीब 50 सिगरेट रोज पीने जितना धुआं आपके शरीर में चला जाता है। बीमार लोगों के अलावा स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी यह हवा हानिकारक है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, यह स्वास्थ्य की आपात स्थिति है, क्योंकि शहर व्यावहारिक रूप से गैस चैंबर में बदल गया है।

हवा में घुले हैं प्रदूषक तत्‍व

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, धुंध एक जटिल मिश्रण है और इसमें विभिन्न प्रदूषक तत्व जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और धूल कण मिले होते हैं। यह मिश्रण जब सूर्य के प्रकाश से मिलता है तो एक तरह से ओजोन जैसी परत बन जाती है। यह बच्चों और बड़ों के लिए एक खतरनाक स्थिति है। फेफड़े के विकारों और श्वास संबंधी समस्याओं वाले लोग इस स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा, वायु प्रदूषण हर साल दिल्ली में 3,000 मौतों के लिए जिम्मेदार है, यानी हर दिन आठ मौतें। दिल्ली के हर तीन बच्चों में से एक को फेफड़ों में रक्तस्राव की समस्या हो सकती है।

घर के अंदर करें व्यायाम

अगले कुछ दिनों तक घर के अंदर रहने और व्यायाम या टहलने के लिए बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। आईएमए ने दिल्ली-एनसीआर के सभी स्कूलों के लिए सलाह या एडवाइजरी जारी करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री से पहले ही अपील की है, ताकि रेडियो, प्रिंट और सोशल मीडिया जैसे विभिन्न मीडिया माध्यमों से इसे प्रसारित किया जा सके। 19 नवंबर को एयरटेल दिल्ली हाफ मैराथन को रद्द करने के लिए भी अनुरोध किया है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, जब भी आद्र्रता का स्तर उच्च होता है, वायु का प्रवाह कम होता है और तापमान कम होता है, जब कोहरा बन जाता है। इससे बाहर देखने में दिक्कत आती है और सड़कों पर दुर्घटनाएं होने लगती हैं। रेलवे और एयरलाइन की सेवाओं में भी देरी होने लगती है। जब वातावरण में प्रदूषण का स्तर उच्च होता है तो प्रदूषक कण कोहरे में मिल जाते हैं, जिससे बाहर अंधेरा छा जाता है। इसे ही स्मॉग कहा जाता है।

उन्होंने कहा, धुंध फेफड़े और हृदय दोनों के लिए बहुत खतरनाक होती है। सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकता से क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस हो जाती है। उच्च नाइट्रोजन डाइऑक्साइड स्तर से अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है। पीएम10 वायु प्रदूषकों में मौजूद 2.5 से 10 माइक्रोन साइज के कणों से फेफड़े को नुकसान पहुंचता है। 2.5 माइक्रोन आकार से कम वाले वायु प्रदूषक फेफड़ों में प्रवेश करके अंदर की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रक्त में पहुंचने पर ये हृदय धमनियों में सूजन कर सकते हैं।

इस प्रदूषण में ऐसे बरतें सावधानी

  • अस्थमा और क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस वाले मरीजों को अपनी दवा की खुराक बढ़ानी चाहिए।
  • स्मॉग की परिस्थितियों में अधिक परिश्रम वाले कामों से बचें।
  • धुंध के दौरान धीमे ड्राइव करें।
  • धुंध के समय हृदय रोगियों को सुबह में टहलना टाल देना चाहिए।
  • फ्लू और निमोनिया के टीके पहले ही लगवा लें।
  • सुबह के समय दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें।
  • बाहर निकलना जरूरी हो तो मास्क पहन लें।

IANS

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Health News In Hindi

Read Next

इस गंभीर बीमारी का इलाज हुआ आसान, नई तकनीक की हुई खोज

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version