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धूल और धुआं जैसे प्रदूषकों के कारण हो सकती है इंटरस्टीशियल लंग डिजीज, जानें लक्षण और बचाव

Interstitial Lung Diseases in Hindi: प्रदूषित हवा में सांस लेने, स्मोकिंग और खराब जीवनशैली के कारण इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का खतरा रहता है।
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धूल और धुआं जैसे प्रदूषकों के कारण हो सकती है इंटरस्टीशियल लंग डिजीज, जानें लक्षण और बचाव

Interstitial Lung Diseases in Hindi: बढ़ते प्रदूषण, स्मोकिंग, खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण फेफड़ों से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां आज के समय में तेजी से बढ़ी हैं। कोविड-19 संक्रमण के बाद इसके मामले युवाओं में भी देखे जा रहे हैं। सही समय पर फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के लक्षणों को पहचानकर उचित कदम उठाने से आप इसका शिकार होने से बच सकते हैं। ज्यादातर लोग फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसा करने से कई गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (Interstitial Lung Disease) भी फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी है। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं इसके बारे में।

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज क्या है?- What is Interstitial Lung Diseases in Hindi

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (ILD) फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का एक समूह है। इस बीमारी में फेफड़ों के एक हिस्से को गंभीर नुकसान पहुंचता है। फेफड़ों में फाइब्रोसिस जैसी समस्या का कारण इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (ILD) ही माना जाता है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, "प्रदूषित हवा में सांस लेने, स्मोकिंग और खराब जीवनशैली के कारण इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (ILD) का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में लक्षणों को सही समय पर पहचान कर उचित कदम उठाने से मरीज जल्दी ठीक हो सकता है।"

Interstitial Lung Diseases in Hindi

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इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के मुख्य कारण- What Causes Interstitial Lung Disease in Hindi

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज या आईएलडी के मुख्य कारण इस तरह से हैं-

1. प्रदूषण: बढ़ते प्रदूषण के कारण फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के माले भी बढ़ रहे हैं। धूल, कार्बन मोनोऑक्साइड, धूम्रपान, और अन्य विषाणुओं की वजह से इस बीमारी का खतरा रहता है।

2. धूम्रपान: स्मोकिंग का चलन आज के समय में तेजी से बढ़ा है। युवा भी इस लत का तेजी से शिकार हो रहे हैं। स्मोकिंग की वजह से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और इसके कारण इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

3. ज्यादा देर तक धुएं में रहना: कुछ लोग कामकाज की वजह से ज्यादा देर तक धुएं के संपर्क में रहते हैं। फैक्ट्री या प्लांट आदि पर काम करने वाले लोगों में धुएं के कारण इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का खतरा रहता है।

4. बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र के कारण भी आप इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का शिकार हो सकते हैं। उम्र बढ़ने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इसकी वजह से भी इस बीमारी का खतरा रहता है।

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इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के लक्षण- Interstitial Lung Disease Symptoms in Hindi

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के कुछ प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-

1. फेफड़ों में खुजली या चुभन: यह एक प्रमुख लक्षण है जिसे इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के साथ जोड़ा जाता है। यह आमतौर पर फेफड़ों में इंफ्लेमेशन या स्कार के कारण होता है। 

2. खांसी: इंटरस्टीशियल लंग डिजीज में यह लक्षण भी सामान्य है। इस समस्या में खांसी के साथ बलगम और ब्लड भी आता है।

3. सांस लेने में दिक्कत: इंटरस्टीशियल लंग डिजीज में मरीज को सांस लेने में गंभीर समस्या होती है। लगातार यह स्थिति बनी रहे तो जांच जरूर करानी चाहिए।

4. सीने में दर्द: फेफड़ों में सूजन के कारण सीने में दर्द हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर गहरा होता है और सांस लेने पर बढ़ सकता है।   

5. तेजी से सांस आना: कुछ मामलों में, फेफड़ों में सूजन के कारण सांस की गति बढ़ जाती है। यह लक्षण गंभीर हो सकता है और मरीज की स्थिति खराब भी हो सकती है।

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज से बचाव के टिप्स- Interstitial Lung Diseases Prevention in Hindi

इंटरस्टीशियल लंग डिजीज की रोकथाम के लिए आप खानपान और जीवनशैली के अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें-

1. सांस से जुड़े व्यायाम: इस बीमारी से बचाव के लिए रोजाना सुबह के समय साफ हवा में सांस से जुड़े व्यायाम करें।  

2. प्रदूषण से बचें: प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बी इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचना चाहिए।

3. नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना और शारीरिक सक्रियता बढ़ाने से इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।

4. हेल्दी डाइट: हेल्दी डाइट का सेवन और पर्याप्त पानी पीने से भी आप इंटरस्टीशियल लंग डिजीज से बचाव कर सकते हैं।

इसके अलावा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के लक्षण दिखने पर बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर की सलाह के आधार पर जांच और इलाज कराने से आप इस बीमारी के खतरे से बच सकते हैं। इंटरस्टीशियल लंग डिजीज एक गंभीर बीमारी है और इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा भी हो सकता है।

(Image Courtesy: freepik.com)

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