मस्तिष्क आघात के इलाज में देरी से आपकी सेहत को काफी नुकसान हो सकता है। हाल ही में नेश्नल कॉन्फिडेन्शियल इंक्वायरी इनटू पेशैंट आउटकम एंड डेथ (एनसीईपीओडी) की रिपोर्ट से यह साफ होता है कि मस्तिष्क आघात (ब्रेन ट्रॉमा), खासतौर पर धमनी विकार से पीड़ित व्यक्ति की जांच या उसके इलाज में किसी प्रकार की देरी मरीज के स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण साबित हो सकती है। मरीजों की स्थिति और मृत्यु को लेकर एनसीईपीओडी की रिपोर्ट में बताया गया कि सामान्य रोग चिकित्सक ब्रेन ट्रॉमा के लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते, इससे स्वास्थ्य में किसी प्रकार के सकारात्मक बदलाव की संभावनाएं बिगड़ जाती हैं।
हालांकि एनसीईपीओडी ने ब्रेन ट्रॉमा के 58 प्रतिशत मामलों में बेहतर देखभाल पायी। ब्रिटेन में हर साल पांच हजार लोग सबअरैक्नॉइड हैमरेज से प्रभावित होते हैं।
एनसीईपीओडी की यह रिपोर्ट सबअरैक्नॉइड हैमरेज के 427 मामालों के विश्लेषण (एनेलिसिस) के आधार पर दी गई है। इस विश्लेषण में इंग्लैंड, वेल्स, उत्तरी आयरलैंड, द चैनल आइसलैंड और आइल ऑफ मैन के पीड़ित शामिल हैं। नतीजतन रिपोर्ट में इस तरह के ब्रेन ट्रॉमा के मरीजों की देखभाल में बड़े स्तर पर आने वाले इस बदलाव का एक उपलब्धि के तौर पर स्वगत किया गया है।
"सबअरैक्नॉइड हैमरेज के मुख्य लक्षण, तेज सिरदर्द की पहचान करने में सामान्य चिकित्सक विफल रहते हैं और 18 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराते वक्त तंत्रिका संबंधी जांच (न्यूरोलॉजिकल जांच) नहीं होती है।"
रिपोर्ट में कहा गया कि 90 प्रतिशत अस्पतालों में सप्ताह के सातों दिन सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध रहती है और 86 प्रतिशत मरीजों का इलाज आधुनिकतम एंडोवैस्कुलर तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। हालांकि दूसरे इलाकों में मरीजों को इस प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने के बाद हफ्ते के अंत तक इलाज में देरी होना आम बात है। केवल तीस प्रतिशत मरीजों को 24 घंटों के भीतर इलाज मिलता है, जबकि सामान्य दिनों में 70 प्रतिशत तक मरीजों का इलाज हो पाता है।
गौरतलब हो एनसीईपीओडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्जरी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाने पर देखभाल में सुधार हो सकने की संभावनाएं होती हैं।
रिपोर्ट के सह-लेखक और सलाहकार सर्जन प्रोफेसर माइकल गॉह ने कहा कि "सबअरैक्नॉइड हैमरेज के बहुत से मरीज अपनी बाकी के जिंदगी में रोजमर्रा के कामकाज के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते है। इसलिए यह जरूरी है कि इस बीमारी से पीड़ित सभी मरीजों की न ,सीर्फ सर्जरी के समय बल्कि बाद में भी सही देखभाल और रख-रखाव होना चाहिए।"
गॉह ने कहा कि जितना जल्दी संभव हो, मरीजों की उनके स्वस्थ होने में पूरी मदद की जानी चाहिए।
एनसीईपीओडी की इस रिपोर्ट में अस्पतालों को स्थानीय विशेषज्ञ तंत्रिकातंत्र केंद्र (लोकल एक्सपर्ट्स नर्वस सिस्टम) की सुविधा से लैस करने की सिफारिश की गई है, ताकि मरीजों का ठीक समय पर इलाज हो सके। साथ ही इस रिपोर्ट में मरीजों की जांच और प्रबंधन में आवश्यक सुधार कर देखभाल की मानक प्रक्रियाएं लागू करने की सिफारिश की गयी है।
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