
हाल ही में बहुत सारे अभिनेताओं की मृत्यु हार्ट अटैक आदि के कारण हुई है। इनमें से ज्यादातर लोग काफी फिट थे। यही कारण है कि ऐसी खबरों के बाद आम आदमी के मन में ये ख्याल जरूर आता है कि क्या हार्ट अटैक इतना कॉमन हो चुका है कि किसी भी उम्र में और किसी को भी कभी भी आ जाए? इस कारण बहुत सारे लोग दिल की सेहत को बेहतर बनाने के लिए काफी प्रयास भी करते हैं। कुछ लोग रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते हैं ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सके। आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि दिल की सेहत का पता लगाने के लिए ईसीजी, कार्डियोग्राम आदि टेस्ट ही होते हैं। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि अब एक ऐसा ब्लड टेस्ट भी हैं, जिससे आप पहले से ही हृदय रोगों के रिस्क का पता कर सकते हैं। इसे कार्डियो सी-रिएक्टिव प्रोटीन (Cardio C Reactive Protein) कहते हैं। आइए जानते हैं इस टेस्ट के बारे में।
कार्डियो सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट क्या है?
कार्डियो सी रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट को हाई सेंसिटिव सी रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ब्लड टेस्ट होता है। यह एक इन्फ्लेमेटरी मार्कर है। जब भी शरीर में कहीं भी इंफेक्शन बढ़ता है, तो ब्लड में सीआरपी लेवल बढ़ जाता है। ब्लड में सीआरपी लेवल शरीर के मुकाबले ज्यादा सेंसिटिव होता है। जब भी एक स्वस्थ शरीर में सीआरपी लेवल बढ़ जाता है तो इसका मतलब है यह एक चेतावनी है कि आपके हृदय में आर्टरी ब्लॉकेज का रिस्क हो सकता है। इससे अचानक हार्ट अटैक का रिस्क भी बढ़ सकता है।
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अगत्सा के मेडिकल एडवाइजर डॉक्टर अन्बू पांडियन के मुताबिक यह टेस्ट हाल ही में सामने आया है और आजकल ये फुल बॉडी चेकअप में भी शामिल किया जा रहा है। यह लो-लेवल और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का एक मार्कर होता है, जो इंफ्लेमेशन के लेवल बढ़ने पर बढ़ जाता है। इंफ्लेमेशन का कारण शरीर में कोई भी ऑटो इम्यून डिजीज हो सकती है।

क्या बढ़ा हुआ CRP लेवल चिंता का विषय है?
हालांकि कभी-कभी जब हृदय रोग नहीं होता, तब भी सीआरपी के लेवल बढ़ा हुए मिल सकता है। जिस वजह से बहुत से लोग इस टेस्ट में बढ़ा हुआ मार्क देख कर चिंतित हो जाते हैं। लेकिन कोविड के बाद से ही पूरे बॉडी के टेस्ट करवाना काफी आम हो गया है। इस बढ़े हुए लेवल का मतलब यह नहीं है कि हार्ट अटैक आने ही वाला है। इसलिए व्यक्ति को ज्यादा चिंता करने की भी जरूरत नहीं। इन टेस्ट के नतीजों को केवल अन्य टेस्ट के नतीजों की तरह ही लें। अगर इसमें बहुत ज्यादा हाई लेवल दिखाता है तो इसका मतलब हो सकता है कि हार्ट आर्टरी ब्लॉक हो गई हों या हार्ट फंक्शन कम कर रहा हो। इससे हार्ट स्ट्रोक और हार्ट अटैक आदि के साथ हार्ट फेलियर का भी रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए रिजल्ट में इसका लेवल ज्यादा दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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कब जरूरी है स्क्रीनिंग?
अगर आप की उम्र 40 वर्ष से ज्यादा है तो आपको इंफ्लेमेशन लेवल का ध्यान रखना चाहिए और इसके बढ़ने पर आपको डॉक्टर के पास जा कर सीआरपी लेवल का भी टेस्ट भी करवाना चाहिए। साथ ही इको-कार्डियोग्राफी, चेस्ट एक्स-रे, कोलेस्ट्रॉल ब्लड टेस्ट ईसीजी किडनी टेस्ट शुगर ड्राइवर टेस्ट और यही नहीं ट्रेडमिल टेस्ट भी कराना चाहिए। यदि कोई फैमिली हिस्ट्री है या व्यक्ति को सांस फूलना या चेस्ट पेन और बेचैनी जैसी समस्याएं अक्सर रहती हैं, तो पहले ही यह टेस्ट करा लेने चाहिए।
इस टेस्ट को लेकर पूरी तरह से इसके नतीजों पर विश्वास करके घबराएं नहीं। बल्कि अन्य रिस्क फैक्टर को भी ध्यान में रखें। समस्या होने पर डॉक्टर से ही राय लें, खुद से कोई टेस्ट या दवा का इस्तेमाल करें।
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