लॉकडाउन में काम ठप होने पर कारोबारी ने कारीगरों से बनवाए 2000 से ज्‍यादा मास्‍क, फ्री में बांट दिए

जानिए कैसे कोरोना वायरस से जारी जंग में एक व्‍यवसायी फ्री में मास्‍क बांटकर अपना योगदान दे रहा है। पढ़ें ये सच्‍ची और प्रेरणादायी कहानी।
  • SHARE
  • FOLLOW
लॉकडाउन में काम ठप होने पर कारोबारी ने कारीगरों से बनवाए 2000 से ज्‍यादा मास्‍क, फ्री में बांट दिए


पिछले दो महीनों से कोरोना वायरस से जंग जारी है। इस दौरान आपने देखा होगा कि कई ऐसे लोग आगे आए जिन्‍होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए कुछ न कुछ जरूर किया। वह चाहे भोजन की सुविधा हो या दवाई के लिए पैसे हो या मास्‍क और सैनेटाइजर की व्‍यवस्‍था। लगभग हर सक्षम व्‍यक्तियों ने अपना-अपना योगदान दिया है। ऐसा ही एक मामला दक्षिणी दिल्‍ली के सुखदेव विहार में देखने को मिला। यहां के एक कपड़ों के कारोबारी ने लॉकडाउन में काम ठप होने पर अपने कारीगरों को उनके घर भेजने के बजाए उन्‍हें मास्‍क बनाने का काम दिया, और इन मास्‍क को जरूरतमंदों में बांट दिया ताकि मास्‍क की वजह से कोई गरीब कोरोना से संक्रमित न हो।

coronavirus-in-india

दरअसल, सुखदेव विहार के रहने वाले कपड़ा कारोबारी श्‍याम गुप्‍ता न्‍यू फ्रेंड्स कॉलोनी के सेंट्रल मार्केट में कपड़ों का कारोबार करते हैं। इनके पास तीन कारीगर हैं, जो सिलाई का काम करते हैं। कोरोना संक्रमण के बीच 25 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की तब इनका काम ठप हो गया। जिसका असर उनके कारोबार के साथ-साथ सबसे ज्‍यादा कारीगरों पर पड़ा, लेकिन श्‍याम गुप्‍ता ने लॉकडाउन को सकारात्मकता के साथ स्‍वीकार किया। उन्‍होंने अपने कारीगरों को घर भेजने के बजाए, मास्‍क बनाने का काम दे दिया ताकि कारीगरों की रोजी-रोटी चलती रहे और कारीगरों के माध्‍यम से जरूरतमंदों की भी मदद हो जाए।

इसे भी पढ़ें: संक्रमण को रोकने के लिए 70% तक प्रभावी हैं घर के बने मास्‍क, जानें बनाने का तरीका

मास्‍क क्‍यों बांट रहे हैं श्‍याम गुप्‍ता? 

श्‍याम गुप्‍ता ने OnlyMyHealth से बातचीत करते हुए बताया कि, कोरोना वायरस का सबसे ज्‍यादा बुरा असर गरीबों और कम आय के लोगों पर पड़ा है, दिहाड़ी मजदूरों की रोजी रोटी छिन गई है। ऐसे में हमारा कर्तव्‍य है कि हम अपनी क्षमता के अनुसार ऐसे लोगों की मदद करें। 

श्‍याम कहते हैं "जब कोरोना का संक्रमण फैलना शुरू हुआ तो सबसे ज्‍यादा जरूरत मास्‍क की थी, मार्केट में मास्‍क की कमी थी। हमें लगा कि ऐसे समय में कपड़ों का मास्‍क तैयार करना बेहतर होगा, इससे जरूरतमंदों की मदद हो जाएगी। इसके बाद लॉकडाउन में मैने कारीगरों का पूरा ख्‍याल रखते हुए उन्‍हें मास्‍क बनाने का काम दिया। और हमेशा की तरह ही हर महीने पगार भी दे रहा हूं। ताकि उनके परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। ये कारीगर प्रतिदिन 70-75 मास्‍क तैयार करते हैं। जब ये इकट्ठा हो जाता है तो सोसाइटी में और आसपास रहने वाले गरीब और जरूरतमंदों को मैं खुद जाकर मास्‍क वितरित करता हूं। अब तक 2000 से ज्‍यादा मास्‍क बांट चुका हूं।"

इसे भी पढ़ें: घर पर बने और कपड़ों वाले मास्क को इन 4 तरीकों से साफ करके ही करें दोबारा इस्तेमाल, वर्ना बना रहेगा खतरा

श्‍याम गुप्‍ता बताते हैं कि मास्‍क की क्‍वालिटी काफी अच्‍छी है, ये धोने योग्‍य है। इसे लगाने के बाद इचिंग नहीं होती है और न ही सांस लेने में दिक्‍कत होती है। इसे पूरा मुंह और नाक ठका होता है। मास्‍क को आप लंबे समय तक कैरी कर सकते हैं। हमने मास्‍क बनाने के लिए कपड़ों की क्‍वालिटी का विशेष ध्‍यान रखा है।

प्रधानमंत्री मोदी से मिली प्रेरणा

कारोबारी श्‍याम गुप्‍ता कहते हैं कि "जब देश पर कोरोना का संकट आया तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने देश को संबोधित करते हुए गरीबों की मदद करने की अपील की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे लिए प्रेरणाश्रोत हैं। जब हमारे पुलिसकर्मी और डॉक्‍टर दिन रात मेहनत करके कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं तो एक अच्‍छे नागरिक होने के नाते हम सभी का कर्तव्‍य है कि हम अपने देश के लिए कुछ न कुछ जरूर करें। यही हमारी सच्‍ची राष्‍ट्रभक्ति है।"

Read More Articles On Miscellaneous In Hindi

Read Next

घर पर बने और कपड़ों वाले मास्क को इन 4 तरीकों से साफ करके ही करें दोबारा इस्तेमाल, वर्ना बना रहेगा खतरा

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version