कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों की बढ़ती संख्या इस समस्या के गंभीर होने का प्रमाण है। सरकार कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी उपकरण तैयार करने में जुटी है, मगर एक पहलू यह भी है कि इसके बचाव में प्रयोग किए जाने वाले मास्क की भारी कमी है। शायद, इस बात को संज्ञान में लेते हुए सरकार ने एक महत्पपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को सरकार द्वारा एक मैनुअल (नियम पुस्तिका) जारी किया गया है, जिसमें घर के बने मास्क पहने के फायदे से लेकर, इसे तैयार करने में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है।
सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने मंगलवार को पुरानी बनियान, टी-शर्ट और रूमाल जैसी आसानी से उपलब्ध वस्तुओं का उपयोग करके घर का बना मास्क (Homemade Mask) तैयार करने के लिए एक विस्तृत मैनुअल जारी किया, जिसमें जोर दिया गया कि वे कोरोनो वायरस के प्रसार को रोकने में "70 प्रतिशत प्रभावी" हैं। मास्क एक संक्रमित व्यक्ति से हवा में छोड़ी गई बूंदों के माध्यम से श्वसन तंत्र (Respiratory System) में प्रवेश करने की संभावना को कम करता है। यह विशेष रूप से इस तरह के मास्क पहनने की सिफारिश उन क्षेत्रों के लिए की गई है, जहां घनी आबादी है।
नियम पुस्तिका के अनुसार गर्मी, पराबैंगनी किरणें, पानी, साबुन और अल्कोहल का उपयोग करके तैयार मास्क को पहनकर वायरस को बाहर निकालने की संभावना को कम करने और इसके प्रसार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
जैसा कि नियम पुस्तिका में बताया गया है कि, 100 प्रतिशत सूती कपड़े की एक दोहरी परत, जो लगभग 70 प्रतिशत तक सर्जिकल मास्क की तरह प्रभावी है। इस प्रकार के कपड़े सांस लेने योग्य हैं और इसे घर के आसपास ढूंढना आसान है। इन मास्क का प्रयोग धोने के बाद दोबारा किया जा सकता है।
घर में मास्क कैसे बनाएं
मैनुअल के अनुसार, मास्क बनाने से पहले, कपड़े को अच्छी तरह से धोना जरूरी है। इसके अलावा, इसे नमक पानी में कपड़े को उबालने की सलाह दी गई है। मैनुअल बताता है कि, घर का बना ये रियूजेबल मास्क संक्रमित व्यक्ति द्वारा हवा में बूंदों के निकलने की संभावना कम करता है।
हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि "होम मेड मास्क पूरी सुरक्षा नहीं देते हैं। मास्क को प्रत्येक दिन धोया और गरम किया जाना चाहिए, जैसा कि निर्देश दिया गया है। बिना धोए के दोबारा उपयोग नहीं किया जाना चाहिए"
एक बयान में कहा गया है कि मैनुअल (नियम पुस्तिका) में एनजीओ और आम नागरिकों को इस तरह के मास्क बनाने और पूरे भारत में मास्क को अपनाने में सक्षम बनाने के लिए एक सरल रूपरेखा दी गई है। इसके मुख्य मानदंडों में- सामग्री तक आसान पहुंच, घर पर बनाने में आसानी और उपयोग में सहुलियत शामिल हैं।
इसे भी पढ़ें: हर किसी को मास्क पहनने की नहीं है जरूरत, मुंह पर मास्क लगाने से पहले जरूर जानें ये 8 बातें
रोका जा सकता है संक्रमण!
मैनुअल्स के विश्लेषण बताते हैं कि अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो केवल 50 प्रतिशत आबादी ही वायरस से संक्रमित होगी। अगर एक बार 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहन लेती है, इसका प्रकोप तुरंत रोका जा सकता है।
Inputs: ET
Read More Articles On Miscellaneous In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version