आजकल प्रदूषण, मां द्वारा खाए गए खानपान में पोषण की कमी और कई कारणों से बच्चों को जन्म के तुरंत बाद ही कई प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। नवजात शिशुओं को होने वाली बीमारियों में से एक है जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म (Congenital Hypothyroidism)। यह बीमारी नवजात शिशुओं में थायराइड ग्रंथि की अपर्याप्त कार्यप्रणाली के कारण होती है। जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म का इलाज अगर समय पर न किया जाए, यह भविष्य में शरीर के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है।
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म क्या है, नवजात शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण क्या हैं और इसके इलाज के बारे में इस लेख में चर्चा करेंगे। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल के नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स विभाग की कंसल्टेंट डॉ. श्रेया दुबे (Dr Shreya Dubey, Consultant- Neonatology and Paediatrics, CK Birla Hospital Gurugram) से बात की।
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म क्या है?- What is congenital hypothyroidism?
डॉक्टर के अनुसार, थायराइड ग्रंथि गर्दन में स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism), विकास और अन्य कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए थायराइड हार्मोन (T3 और T4) का उत्पादन करती है। किसी भी नवजात शिशु को जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म तब होता है, जब गर्भ के अंदर थायराइड ग्रंथि का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है।
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के क्या कारण हैं?- What are the causes of congenital hypothyroidism?
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के एक नहीं बल्कि कई कारण होते हैं। आइए आगे जानते हैं इसके बारे में...
- गर्भ के अंदर थायराइड ग्रंथि का न बनना
- थायराइड का गलत स्थान पर होना
- थायराइडहार्मोन के उत्पादन में समस्या
- जेनेटिक कारणों से (अगर परिवार में किसी सदस्य को है तो)
- प्रेग्नेंसी में मां द्वारा ज्यादा मात्रा में दवाओं का सेवन करने से
इसे भी पढ़ेंः बच्चे की दूध की बोतल साफ करते समय जरूर रखें इन 5 बातों का ध्यान, वरना बीमार पड़ सकता है बच्चा
इसे भी पढ़ेंः सिर्फ भूख नहीं इन 3 कारणों से भी मुंह में उंगली डालता है बच्चा, डॉक्टर से जानें इसके बारे में
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण- Symptoms of Congenital Hypothyroidism
नवजात शिशुओं में इस बीमारी के कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे का विकास आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
बहुत ज्यादा नींद आना
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान परेशानी
सुस्ती और सामान्य बच्चों से कम एक्टिव होना
शरीर पर सूजन
त्वचा का ड्राई और ठंडा होना
शरीर का तापमान सामान्य से कम होना
नाभि का उभरा होना (Umbilical Hernia)
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म की जांच कैसे की जाती है?- How is congenital hypothyroidism diagnosed?
भारत में नवजात शिशु स्क्रीनिंग कार्यक्रम (Newborn Screening Program) के तहत जन्म के 48-72 घंटे के बीच एक खास तरह का ब्लड टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में डॉक्टर शिशु के TSH (Thyroid Stimulating Hormone) और T4 (Thyroxine) की जांच करते हैं। टेस्ट के दौरान अगर शिशु को TSH का स्तर बढ़ा हुआ और T4 का स्तर कम है, तो इसका मतलब है कि शिशु को हाइपोथायरायडिज्म है।
इसे भी पढ़ेंः हर पतला बच्चा नहीं होता है कमजोर, डॉक्टर से जानें क्या है हेल्दी बच्चे की निशानी
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म का इलाज- Treatment of congenital hypothyroidism
जन्म के बाद किसी शिशु में हाइपोथायरायडिज्म का पता चलता है, तो उसे प्राथमिक इलाज के तौर पर लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) दवा के रूप में किया जाता है। यह दवा शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी को पूरा करती है। नवजात शिशुओं को यह दवा डॉक्टर की सलाह पर एक सीमित समय तक और स्पेशल खुराक के तहत दी जाती है।
इसे भी पढ़ेंः शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है प्रदूषित हवा, पेरेंट्स इन 5 बातों का रखें ध्यान
निष्कर्ष
जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसे सही इलाज के जरिए ठीक किया जाता सकता है। न्यू पेरेंट्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे की थायराइड स्क्रीनिंग जन्म के बाद जरूर करवाई जाए।