
आजकल की बदलती लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान और बच्चों का घरों में सीमित समय बिताना उनकी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। इन्हीं समस्याओं में एक बड़ी समस्या है शरीर में विटामिन D की कमी। पहले यह माना जाता था कि विटामिन D की कमी केवल बुजुर्गों या वयस्कों को होती है, लेकिन अब छोटे बच्चों से लेकर किशोरों तक में भी यह समस्या तेजी से देखने को मिल रही है। विटामिन D हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों की मजबूती और मांसपेशियों के विकास में अहम भूमिका निभाता है। यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जिससे हड्डियों का सही निर्माण होता है। लेकिन आजकल के बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल, टीवी या लैपटॉप स्क्रीन के सामने बीतता है और वे सूरज की रोशनी में कम समय बिताते हैं, जिससे विटामिन D प्राकृतिक रूप से नहीं बन पाता। इस लेख में आकाश हेल्थ केयर के डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट, आर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के हेड और प्रमुख डॉ.आशीष चौधरी (Dr. Aashish Chaudhry,Director & Head, Department of Orthopaedics & Joint Replacement, Aakash Healthcare) से जानिए, विटामिन D की कमी से बच्चों में कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
विटामिन D की कमी से बच्चों में होने वाली बीमारियां? - Vitamin D Deficiency Diseases In Children
डॉ.आशीष चौधरी बताते हैं कि विटामिन D शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, यह कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है, जो हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। विटामिन D की कमी से बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें सबसे प्रमुख रिकेट्स (Rickets) और किशोरों में ऑस्टियोमलेशिया (Osteomalacia) की समस्याएं शामिल हैं। इन दोनों स्थितियों में हड्डियों की कमजोरी होती है, जिससे बच्चे और किशोर समस्याओं का सामना करते हैं।
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1. रिकेट्स - Rickets
रिकेट्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हड्डियां कमजोर, मुलायम और विकृत हो जाती हैं। यह समस्या मुख्य रूप से छोटे बच्चों में होती है, जब उनके शरीर में विटामिन D, कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो जाती है। रिकेट्स की वजह से बच्चों की हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और उनका आकार विकृत हो सकता है। इसका इलाज विटामिन D और कैल्शियम सप्लीमेंट्स के जरिए किया जाता है। इसके अलावा, बच्चों को सूर्य की रोशनी में अधिक समय बिताने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सूर्य की किरणों से विटामिन D की प्राकृतिक प्राप्ति होती है।
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2. ऑस्टियोमलेशिया - Osteomalacia
ऑस्टियोमलेशिया एक ऐसी स्थिति है जो मुख्य रूप से किशोरों में देखने को मिलती है। इस स्थिति में हड्डियां नरम और कमजोर हो जाती हैं और हड्डियों का निर्माण सही तरीके से नहीं हो पाता। यह विशेष रूप से किशोरों में अधिक देखा जाता है, क्योंकि इस उम्र में हड्डियां तेजी से बढ़ती हैं और विटामिन D की कमी से हड्डियों की सघनता में कमी आती है। ऑस्टियोमलेशिया का इलाज भी विटामिन D और कैल्शियम सप्लीमेंट्स से किया जाता है। किशोरों को सही डाइट, सूर्य की रोशनी में समय बिताने और नियमित एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है।
निष्कर्ष
विटामिन D की कमी से बच्चों में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें रिकेट्स और किशोरों में ऑस्टियोमलेशिया प्रमुख हैं। सही डाइट, सूर्य की रोशनी में समय बिताने और डॉक्टर के द्वारा सुझाए गए सप्लीमेंट्स के जरिए विटामिन D की कमी के दूर किया जा सकता है। यह न केवल हड्डियों को स्वस्थ रखता है, बल्कि बच्चे के समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। अगर आपके बच्चे में विटामिन D की कमी के संकेत दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित उपचार अपनाएं।
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