
बुदबुदाती केतली, मग से उठती ख़ुशबू और सुबह का पहला कड़वा निवाला, यह एक ऐसी रस्म बन गई है, जिसके बिना दुनिया के लाखों लोगों के लिए दिन की शुरुआत सोचना मुश्किल लगता है। दुनिया भर के ज्यादातर लोग कॉफी पीकर दिन की शुरुआत करते हैं।
अमरीकी अधिकारी स्नैक्स और एनर्जी ड्रिंक में कैफ़ीन की सुरक्षित मात्रा की जांच कर रहे है। वे इस शक्तिवर्धक पदार्थ के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। आजकल कैफ़ीन का प्रयोग बहुत से खाद्य पदार्थों में होने लगा है। क्या चाय और कॉफ़ी पीने वाले हमारे समाज की निर्भरता दुनिया भर में लोकप्रिय इस दवा पर बढ़ती जा रही है।
'न्यू साइंटिस्ट' नाम की पत्रिका के मुताबिक़ कैफ़ीन दिमाग़ पर प्रभाव डालने वाली दुनिया की सबसे लोकप्रिय दवा है। एक अनुमान के मुताबिक़ अमरीका में 90 फ़ीसदी से अधिक व्यस्क रोज़ाना इसका इस्तेमाल करते हैं।
कॉफी को लेकर किए जा रहे अध्ययनों में अलग-अलग तरह की बातें की जाती रही हैं। हालांकि एनर्जी ड्रिंक निर्माताओं का कहना है कि उनके उत्पाद सुरक्षित हैं और उनके इस्तेमाल से किसी नुक़सानदायक प्रभाव का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
कैफीन की लत का अध्ययन कर रहे जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार कैफीन छोड़ने की प्रतिक्रिया में थकान, सिरदर्द, एकाग्रता में परेशानी, मासंपेशियों में दर्द और उबकाई जैसे लक्षणों दिखाई देते हैं। कैफीन का प्रयोग हानिकारक है, इस पर वैज्ञानिक आम सहमति अभी बहुत दूर है।
हॉवर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ की ओर से अभी हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक़ कॉफ़ी पीने का स्वास्थ्य पर कोई ख़तरनाक़ प्रभाव नहीं पड़ता है। अध्ययन के मुताबिक़ एक दिन में छह कप से अधिक कॉफ़ी पीने से भी कोई नुक़सान नहीं होता है।
अध्ययन बताते है कि कैफ़ीन के प्रयोग से प्रोस्टेट और स्तन कैंसर का ख़तरा कम होता है। अभी हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक़ कॉफ़ी और चाय पीने से टाइप टू डायबीटीज़ का ख़तरा कम होता है। इन सबके परिणामस्वरूप एफ़डीए ने वादा किया है कि अब वह यह तय करेगा कि कैफ़ीन का कितना प्रयोग सुरक्षित है।
जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ सर्विस के डीन लायने गोल्डमैन कहते हैं, ''बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता है कि वे कितना कैफ़ीन ले रहे हैं।'' वे कहते हैं, ''इसके परिणामस्वरूप यह अनजाने में ही ख़ुद के लिए अनिद्रा, अपच और अपनी ब्लड प्रेशर के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं।''
कई लोग मानते हैं कि कॉफी पीने से विचार आते हैं। इतिहास में बहुत से ऐसे लोग हुए है जिनका कॉफ़ी से बहुत गहरा लगाव रहा है।
एक जीवनीलेखक के मुताबिक़ फ्रांसीसी उपान्यासकार और नाटककार बल्ज़ाक एक दिन में 50 कप तक कॉफ़ी पी जाते थे। वहीं फ़िल्मकार डेविड लिंच खाते समय सात कप कॉफ़ी पी जाते थे। वे अधिक चीनी वाली कॉफ़ी पीते थे। उनका कहना था कि इससे अधिक विचार आते थे।
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