
International Yoga Day 2023: योग के अभ्यास में हस्त मुद्राओं का खास महत्व है। हाथों की उंगलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाने को हस्त मुद्रा कहा जाता है। आयुर्वेद की मानें, तो हमारा शरीर 5 तत्वों से बना है- जल, पृथ्वी, अंतरिक्ष, वायु और अग्नि। हमारी पांच उंगलियां भी इन्हीं 5 तत्वों की प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इन तत्वों का संतुलन खराब होने से शरीर में बीमारियां हो सकती है। कई प्रकार की हस्त मुद्राएं हैं जिनमें से एक है चिन्मय मुद्रा (Chinmaya Mudra In Hindi)। चिन्मय मुद्रा का अभ्यास जागरूकता के प्रवाह को लाने के लिए किया जाता है। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य है योग के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना। इस मौके पर ओनलीमायहेल्थ आपको योग से संबंधित जानकारी दे रहा है। आगे हम जानेंगे चिन्मय मुद्रा के फायदे और प्रक्रिया। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के रवींद्र योगा क्लीनिक की योग एक्सपर्ट डॉ प्रिया श्रीवास्तव से बात की।
चिन्मय मुद्रा क्या है?- What Is Chinmaya Mudra In Hindi
चिन्मय एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब है 'सर्वोच्च जागरूकता'। अंगूठे और तर्जनी उंगली से बनने वाली मुद्रा को चिन्मय मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा को करने से शरीर में सांस लेने की प्रक्रिया को पहले से बेहतर बनाने का प्रयास किया जाता है। केवल शरीर के सांस लेने की प्रति जागरूक होने से शारीरिक और मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। चिन्मय मुद्रा का अभ्यास मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका उंगलियों को हथेली की ओर घुमाकर किया जाता है। जबकि तर्जनी उंगली और अंगूठा संपर्क में होते हैं।
चिन्मय मुद्रा करने से क्या फायदे मिलते हैं?- Chinmaya Mudra Benefits

चिन्मय मुद्रा करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं जैसे-
- तनाव और चिंता दूर होती है।
- जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या उन्हें यह मुद्रा करनी चाहिए।
- एकाग्रता को बढ़ाने के लिए चिन्मय मुद्रा फायदेमंद मानी जाती है।
- इस मुद्रा को करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है।
- शरीर की ऊर्जा बढ़ाने के लिए यह मुद्रा फायदेमंद होती है।
इसे भी पढ़ें- International Yoga Day 2023: योग करने के लिए मैट का इस्तेमाल करना क्यों जरूरी है? एक्सपर्ट से जानें
चिन्मय मुद्रा की प्रक्रिया- Chinmaya Mudra Steps
- चिन्मय मुद्रा करने से पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- गर्दन, सिर और रीढ़ को जितना हो सके सीधा रखें।
- तर्जनी उंगली को अंगूठे से जोड़ें ताकि उंगली का सिरा अंगूठे से स्पर्श करें।
- बाकी उंगलियों को हाथ के अंदर की ओर मोड़ें।
- हाथों को जांघों पर टिका लें।
- गहरी सांस लें और सांस छोड़ें।
- गहरी सांस भरने के तीन चक्र इस मुद्रा के साथ पूरा करें।
उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version