

आवश्यक दवाओं की सूची में शमिल 348 दवाओं को नियंत्रित मूल्य नीति के तहत बाजार में लाने में अभी और समय लग सकता है। कारण यह है कि राष्ट्रीय दवा मूल्य प्रधिकरण (एनपीपीए) इन दवाओं के नियंत्रित मूल्य अभी तक तय नहीं कर पाया है।
रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि जब तक एनपीपीए दवाओं के मूल्य तय नही कर देता तब तक कंपनियों के लिए नई नीति के अनुसार दवाओं का निर्माण करना संभव नहीं होगा। इसलिए एक जुलाई से सस्ती दवाएं मिलने की संभावना नहीं है। मंत्रालय ने विगत 15 मई को एक आदेश जारी कर 348 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने की घोषणा की थी। नियमत: 45 दिन के भीतर यह प्रावधान लागू होने हैं क्योंकि ऐसी कानून बाध्यता है। लेकिन इस मामले में देरी एनपीपीए की तरफ से हो रही है। वह मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली कुल 348 दवाओं के करीब 650 फार्मूलों की कीमतें निर्धारित करने में विफल रहा है।
निदेशक स्तर के उक्त अधिकारी ने कहा कि एनपीपीए मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहा है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह कार्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद इन मूल्यों को अधिसूचित किया जाएगा। इसके बाद दवा कंपनियों को नए मूल्य के तहत दवाएं बनाने के लिए 45 दिन का वक्त दिया जाएगा। इस अवधि में उन्हें बाजार में अपने स्टॉक को भी खत्म करना होगा। अधिकारी के मुताबिक 45 दिन में बाजार में उपलब्ध स्टॉक खत्म हो जाएगा। यह समय कम नहीं है। हालांकि दवा कंपनियों की तरफ से और समय की मांग की जा सकती है।
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