कई बार अपने महसूस किया होगा कि बच्चा बिना किसी समस्या के रो रहा है। दरअसल, नवजात शिशु लेटते ही गहरी नींद में सो जाते हैं, जबकि वयस्कों को सोने में पैटर्न अलग-अलग होता है। शिशु के शारीरिक विकास में उनके स्लीप पैर्टन में बदलाव होता है, जिसकी वजह से उनको नींद नहीं आती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इस दौरान बच्चा बार-बार रोने लगता है। नींद न आने की वजह से बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। इस समस्या को ही स्लीप रिग्रेशन के नाम से जाना जाता है। मैक्स अस्पताल के बच्चों के डॉक्टर पीडियाट्रिक्स डॉ. उदित रोहतगी से जानते हैं बच्चों को स्लीप रिग्रेशन की समस्या क्यों होती है। साथ ही इससे बचाव के उपाय जानते हैं।
बच्चो में स्लीप रिग्रेशन क्या होता है? - What Is Sleep Regression In Babies In Hindi
शिशु का शारीरिक विकास निरंतर होता है। शारीरिक विकास में बच्चे के नींद एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। जब बच्चे को शारीरिक विकास के कारण नींद में परेशानी होने लगती है तो उसको स्लीप रिग्रेशन कहा जाता है। यह समस्या अगल-अलग उम्र में बच्चों को हो सकती है। शिशुओं को 4 माह, 8 माह, 11 माह, 18 माह व 2 साल में शिशु और बच्चों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हर बच्चे के शारीरिक विकास का पैर्टन अलग-अलग होता है। ऐसा आवश्यक नहीं है कि हर बच्चे को स्लीप रिग्रेशन की समस्या से गुजरना पड़े।
बच्चों में स्लीप रिग्रेशन के लक्षण क्या हैं? - Symptoms Of Sleep Regression In Babies In Hindi
इस दौरान बच्चे के नींद का तरीके में बदलाव हो रहा होता है। आगे जानते हैं कि बच्चे को स्लीप रिग्रेशन में क्या लक्षण दिखाई देते हैं।
- आपका बच्चा दिन में कम समय के लिए नींद लेता है।
- शिशु व बच्चा रात में देर तक जागने लगता है।
- नींद पूरी न होने के कारण बच्चे को थकान महसूस हो सकती है।
- बच्चा नींद से जानगे के बाद दोबारा सो नहीं पाता है।
- बिना किसी कारण के बच्चे का चिड़चिड़ा होना, आदि।
बच्चे में स्लीप रिग्रेशन को कैसे कम करें? - Prevention Tips Of Sleep Regression In Babies in Hindi
वैसे तो हर बच्चे को उम्र के अलग-अलग पड़ाव में अलग-अलग तरह से हैंडल किया जाता है। लेकिन, कुछ सामान्य तरीके बताए गए हैं, जिससे बच्चे के स्लीप रिग्रेशन की समस्या को कम करने में मदद मिलती है।
- बच्चे के कमरे में पैरिफायर का इस्तेमाल करें। यदि शिशु को सोने में परेशानी हो रही है तो उसको गोद में ही सुलाने का प्रयास करें। मां की गोद में बच्चा जल्द सो जाते हैं।
- बच्चे के सोने के लिए करीब दो रूटीन बनाने का प्रयास करें। इसके पहले रूटीन में बच्चे को दिन में दो बार सुलाएं, जबकि दूसरे रूटीन में एक में बच्चे को दो बार सुलाएं। इन दोनों ही पैटर्न में बच्चा जिसमें कंफर्टेबल हो उस रूटीन को फॉलो करें।
- कई बार बच्चा डर के कारण रात में सोना कर देता है। 11 माह, 18 माह और 2 साल में बच्चे को डर के चलते भी नींद में कमी आ सकती है। अगर बच्चे को ऐसा हो रहा है तो उसके कमरे में नाइट ब्लब जरूर लगाएं।
- बच्चे को स्लीप रिग्रेशन की समस्या हो रही है, तो उसकी लाइफस्टाइल में बदलाव करें। इसके लिए पॉटी ट्रेनिंग, बच्चे के सोने के कमरे और बिस्तर में भी बदलाव करें। कई मामले में पॉटी आदि के कारण भी बच्चे को नींद में परेशानी हो सकती है।
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बच्चे को शारीरिक विकास के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान अभिभावक घर के बुजुर्गों की मदद ले सकते हैं। शिशु यदि बार-बार रो रहा है, तो ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।