कुछ रोग ऐसे होते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति का शरीर काम करना बंद कर देता है। इन्हीं रोगों में फाइलेरिया को भी शामिल किया जाता है। यह एक पैरासाइट डिजीज है, जो मच्छरों के काटने से होता है। बेशक आपने इस रोग के बारे में पहली बार सूना हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसे हाथी पांव के नाम से जाना जाता है। फाइलेरिया के लक्षण व्यक्ति में तुरंत दिखाई नहीं देते हैं। लिम्फैटिक फाइलेरियासिस मच्छरों के काटने के करीब 6 से 7 साल बाद इसके लक्षण शरीर में उभरना शुरू होते हैं। शुरुआत में आपको किसी एक पैर में हल्की सूजन दिखाई देती है। लेकिन, यह सूजन धीरे-धीरे इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति को चलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस रोग को विस्तार से समझने के लिए हमने चिराग दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. अनुपमा सिंह से बात की, तो उन्होंने फाइलेरिया रोग के कारण को बताया।
डॉक्टर से समझें क्यों होता है फाइलेरिया - How Lymphatic Filariasis Occur In Hindi
फाइलेरिया एक संक्रामक रोग (एक से दूसरे में फैलने वाला) है। इससे व्यक्ति को सूजन और बुखार हो सकता है। अगर, समय रहता इसका इलाज न किया जए तो अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर के अनुसार फाइलेरिया एक पैरासाइट डिजीज है, जो निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के कारण होती है। यह विशेष प्रजाति के मच्छर (Wuchereria bancrofti, Brugia malayi, and Brugia timori) के कारण होती है। इसके अलावा, खून चूसने वाले कुछ कीटाणु के कारण यह रोग हो सकता है। इस रोग में निमेटोड कीड़े आपके लिम्फेटिक सिस्टम में रूक जाते हैं। जिससे लिम्फेटिक सिस्टम का कार्य प्रभावित होता है। लिम्फेटिक सिस्टम वाटर रिटेनशन और बाहरी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होते हैं। लेकिन, जब इसका कार्य प्रभावित होता है, तो शरीर में वाटर रिटेनशन की प्रक्रिया में बदलाव होता है। जिसके चलते पैर में सूजन देखने को मिलती है।
फाइलेरिया के लक्षण क्या होते हैं – Symptoms of Filaria in Hindi
- बार-बार बुखार आना,
- फाइलेरिया होने के बाद व्यक्ति स्तनों व प्राइवेट पार्ट्स (हाइड्रोसिल) में सूजन महसूस हो सकती है।
- हाथ व पैरों में सूजन आना,
- इम्यून सिस्टम का ओवर एक्टिव होना, आदि।
फाइलेरिया का इलाज कैसे किया जाता है? How To Treat Lymphatic Filariasis In Hindi
डॉक्टर के अनुसार सबसे पहले बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर दवाओं से रोग की स्थिति को कम सकते हैं। इस रोग के मुख्य वजह बनने वाले कीटाणुओं रात के समय लिम्फेटिक सिस्टम से निकलकर ब्लड में पहुंचते हैं. ऐसे में इसका टेस्ट रात के लिए ब्लड सैंपल रात के समय लिए जाते हैं। रोग की पहचान होने के बाद दवा के जरिए रोग को कम करने के प्रयास किया जाता है। इसके अलावा, गंभीर मामलों में सर्जरी करने की भी आवश्यकता हो सकती है। इसमें हाइड्रोसिल की सूजन को कम करने के लिए सर्जरी की जाती है।
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इस रोग को हाथी पांव या इलिफैंटाइसिस (Elephantiasis) के नाम से भी जाना है। इसमें किडनी के कार्य भी प्रभावित हो सकते है। इससे बचने के लिए मच्छरों को घर के आसपास पनपने न दें। इसके अलावा शाम होते ही घरों के खिड़की व दरवाजों को बंद रखें। यदि बुखार और सूजन महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।