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ब्रोंकोनिमोनिया की समस्या क्यों होती है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके

ब्रोंकोनिमोनिया, निमोनिया का ही एक रूप है। यह बीमरी आमतौर पर दो साल से कम उम्र के बच्चों को होती है।
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ब्रोंकोनिमोनिया की समस्या क्यों होती है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके

Causes Of Bronchopneumonia Symptoms And Preventions In Hindi: हमने हर साल देखा है कि सर्दियां आते ही हवा की क्वालिटी खराब होने लगती है। प्रदूषण का स्तर बढ़ जता है। इसका हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। खासकर लंग्स पर बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। प्रदूषण का बच्चों की हेल्थ पर भी असर देखने को मिलता है। हमारे यहां पांच साल से कम उम्र के बच्चों में लंग्स इंफेक्शन या निमोनिया के कारण बच्चों की मृत्यु के आम कारणों में से एक है। बच्चों में होने वाले निमोनिया में ब्रोंकोनिमोनिया सबसे प्रचलित प्रकार है। यह दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रेस्पीरेटरी सिस्टम के 85 प्रतिशत समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। बच्चों को इस तरह की गंभीर बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि पेरेंट्स को इसके बारे में जरूरी जानकारी हो। इसके साथ ही, यह भी पता हो कि ब्रोंकोनिमोनिया से कैसे बचा जा सकता है। फरीदाबाद स्थित एशियन हॉस्पिटल में Critical Care & Sleep Medicine के Director & Head- Respiratory डॉ. मावव मनचंदा ने इस बारे में पूरी जानकारी दी है।

ब्रोंकोनिमोनिया का कारण- Cause Of Bronchopneumonia

Cause Of Bronchopneumonia

ब्रोंकोनिमोनिया आमतौर पर बैक्टीरियल, वायरल और फंगल इंफेक्शन के कारण होता है। वृद्ध वयस्कों में भी इसका प्रकार की बीमारी देखने को मिलती है। खासतौर पर 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को ब्रोंकोनिमोनिया हो सकता है। ब्रोंकोनिमोनिया के कई तरह के रिस्क फैक्टर्स मौजूद हैं, इनमें इंफेक्शन, एचआईवी इंफेक्शन और ऑटोइम्यून डिजीज शामिल हैं। इन रोगियों को संक्रमण से बचने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि उनमें इंफेक्शन पैदा करने वाले माइक्रोऑर्गेनिज्म से संक्रमित होने की अधिक संभावना होती है।

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ब्रोंकोनिमोनिया के लक्षण- Symptoms Of Bronchopneumonia

Symptoms Of Bronchopneumonia

ब्रोंकोनिमोनिया इंफेक्शन के लक्षण अलग-अलग होते हैं और उन लोगों में गंभीर होने की संभावना अधिक होती है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इनमें छोटे बच्चे, वयस्क, या ऐसे लोग जो पहले किसी तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं। ब्रोंकोनिमोनिया होने पर मरीज को बुखार, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, खांसी, पसीना, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, थकान, भूख न लगना, खांसी के साथ बलगम या खून आना, मतली और उल्टी आदि शामिल हैं। आपको बताते चलें कि यह एक गंभीर बीमारी है। अगर स्थिति बिगड़ जाए, तो ब्रोंकोनिमोनिया बहुत गंभीर हो सकता है और मरीज की मृत्यु तक हो सकती है।

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ब्रोंकोनिमोनिया का बचाव- Preventions Of Bronchopneumonia

ब्रोंकोनिमोनिया से बचने के लिए जरूरी है कि पहले ही प्रीकॉशन लिया जाए। इसके अलावा, कुछ निम्न उपायों को भी आजमाया जा सकता है-

  • जो 60 साल से ज्यादा उम्र का है, उन्हें फ्लू का टीका लगवा लेना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को भी निमोनिया का टीकाकरण करवा लेना चाहिए। इससे ब्रोंकोनिमोनिया का रिस्ककम हो जाता है। साथ ही लंग्स से जुड़ी बीमारियों की आश्ांका में भी कमी आ जाती है।
  • पॉल्यूशन बहुत ज्यादा हो, तो घर से बाहर कम से कम निकलें। घर के अंदर रहें और दरवाजे बंद करके धर के अंदर रहें। बच्चों को बाहर खेलने न भेजें।
  • अगर बाहर जा रहे हैं, तो गाड़ियों से दूर रहें। जिन बच्चों को सांस से जुड़ी परेशानी होती है, उन्हें घर के अंदर ही रहने की सलाह दें। यहां तक कि घर की साफ-सफाई पर भी पूरा ध्यान दें।

image credit: freepik

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