चींटी दिखने में बहुत छोटी है, लेकिन बड़े-बड़े काम करती है। हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो चींटियों के प्रयोग से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के उपचार में सहायता मिलती है। इस अध्ययन के मुताबिक, चींटियों में पाया जाने वाला एक केमिकल कैंसर की दवा का असर 50 गुना तक बढ़ा देता है। यह केमिकल 'बिच्छू घास' नाम के पौधे में भी पाया जाता है।
साइंस रिसर्च पत्रिका 'नेचर कम्युनिकेशंस' में छपे एक अध्ययन में कहा गया है कि चींटियों या बिच्छू घास में पाए जाने वाले इस केमिकल 'सोडियम फॉस्फेट' को कैंसर के एक विशेष उपचार में शामिल करने से दवा में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को खत्म करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
इस शोध के मुख्य लेखक और ब्रिटेन की वॉर्विक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर सैडलर के मुताबिक, 'कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए एक जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। जब इस प्रक्रिया को बाधित कर दिया जाता है तो कैंसरग्रस्त कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं और आखिर में समाप्त भी हो जाती हैं।
गर्भाशय कैंसर से ग्रस्त कोशिकाओं पर लैब में किए गए परीक्षण के दौरान जब कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा 'जेएस07' का इस्तेमाल सोडियम फॉस्फेट के साथ किया गया तो इसका असर 50 गुना तक बढ़ गया।
सैडलर की मानें तो, 'जेएस07 का जब गर्भाशय की कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं पर नए केमिकल के साथ परीक्षण किया गया तो यह बेहद प्रभावी साबित हुआ।'
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