
छोटे बच्चे अक्सर अपनी नाक में बार-बार उंगली डालते हैं, जिसे पेरेंट्स छुड़ाने में लगे होते हैं। वहीं, कुछ बड़े भी ऐसे होते हैं, जिनकी नाक में बार-बार उंगली डालने की आदत होती है, जो कई बार शर्मिंदगी का कारण बन सकता है। नाक में उंगली डालना एक आम आदत है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक ज्यादातर लोग कभी न कभी अपनी नाक में उंगली डालते हैं। लेकिन अगर ये आदतें लगातार बनी रहे तो कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसलिए, अगर आपकी भी नाक में उंगली डालने की आदत है तो इसे जल्द से जल्द छोड़ने की कोशिश करें, क्योंकि हालही में एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि नाक में उंगली डालने की आदत आपके दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है, आइए जानते हैं कैसे?
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क्या नाक में उंगली डालने की आदत से डिमेंशिया हो सकता है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में 'Biomolecules' जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, नाक में उंगली डालने की आदत सिर्फ एक खराब हैबिट नहीं है, बल्कि भविष्य में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इस रिसर्च में बताया गया है कि जब हम नाक में उंगली डालते हैं तो नाखूनों और हाथों में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और फंगस सीधे नासिका के रास्ते में जाते हैं। बता दें कि नाक की आंतरिक परत दिमाग के बहुत करीब होती है। ऐसे में बार-बार नाक में उंगली डालने की आदत आपके नाक को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे घाव हो सकते हैं। ये घाव रोगाणुओं के लिए दिमाग तक पहुंचने का एक सीधा रास्ता खोल देता है, जिससे बैक्टीरिया दिमाग में पहुंच जाते है, जहां वे क्रोनिक न्यूरो इन्फ्लेमेशन यानी पुरानी सूजन की समस्या को बढ़ा सकते हैं। नाक के द्वारा दिमाग में जाने वाला इंफेक्शन और सूजन से लड़ने के लिए 'एमाइलॉयड-बीटा' नामक प्रोटीन जमा करने लगता है, जो अल्जाइमर बीमारी का मुख्य लक्षण है। हालांकि इस विषय पर ज्यादा रिसर्च की अभी जरूरत है।
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डिमेंशिया क्या है?
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रेरणा कोहली का कहना है कि, डिमेंशिया दिमाग से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति कमजोर होने लगती है। इस समस्या में याददाश्त, सोचने-समझने, तर्क करने और रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होता है। इस समस्या के कारण दिमाग को प्रभावित करने वाली कई नर्व संबंधी स्थितियों के कारण होती है। कई लोगों को लगता है कि डिमेंशिया उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्या है। हालांकि ऐसा नहीं है, डिमेंशिया कम उम्र के लोगों को भी हो सकता है।
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डिमेंशिया के लक्षण क्या हैं?
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रेरणा कोहली के अनुसार, डिमेंशिया की समस्या होने पर आपके शरीर में ये लक्षण नजर आ सकते हैं:
- याददाश्त कमजोर होना
- चीजों को जल्दी भूल जाना
- सोचने समझने में दिक्कत होना
- सही शब्द खोजने में कठिनाई होना
- समय और स्थान को लेकर भ्रमित होना
- मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन और सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करना
निष्कर्ष
नाक में उंगली डालने की आदत हाइजीन के नजरिए से खराब होने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खराब माना जाता है। भले ही नाक में उंगली डालने की आदत डिमेंशिया का कारण न बने, लेकिन इसके कारण नाक के द्वारा बैक्टीरिया दिमाग में जा सकता है, जो डिमेंशिया और अल्जाइमर का कारण बन सकता है।
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FAQ
नोज पिकिंग किसे कहते हैं?
नोज पिकिंग यानी नाक कुरेदना उंगली से बलगम निकालने की क्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति बार-बार नाक में उंगली डालता है, जिसे गंदी आदत मानी जाती है।नाक में उंगली क्यों नहीं डालनी चाहिए?
नाक में उंगली नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि इससे हाथों के बैक्टीरिया नाक के जरिए शरीर में जाकर इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं, खासकर नाक के अंदर की नाजुक झिल्लियों को चोट लग सकती है, जिससे खून बहना, घाव और बैक्टीरिया के पनपने का जोखिम बढ़ जाता है।नाक में उंगलियां डालना बंद कैसे करें?
नाक में उंगलियां डालना बंद करने के लिए नाक को नम रखें, हाथों को पॉकेट में या किसी काम में हाथों को व्यस्त रखें, नाक में खुजली होने के कारणों को पहचानें और साफ टिशू का इस्तेमाल करें।
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Dec 26, 2025 11:39 IST
Published By : Katyayani Tiwari
