मिर्गी यानी एपिलेप्सी क्रोनिक एक दिमागी समस्या है। मिर्गी की बीमारी में बार-बार दौरे पड़ते हैं। दौरों की वजह से व्यक्ति कभी भी, कहीं भी गिर सकता है और अपने होशवाश खो बैठता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ से ज्यादा लोग मिर्गी की बीमारी से जूझ रहे हैं। मिर्गी की वजह से लोगों की जिंदगी तहस-नहस हो जाती है। WHO के अनुसार मिर्गी जैसी लाइलाज बीमारी कम आय वाले देश के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। मिर्गी को लेकर कई मिथक हैं। मिर्गी से जूझ रहे परिवारों में अक्सर यह सवाल घूमता है कि क्या जेनेटिक हो सकती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम में न्यूरो सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी से बात की।
मिर्गी दौरे पड़ने के कारण- What Is Epilepsy In Hindi
डॉ. हिमांशु चंपानेरी का कहना है कि मिर्गी की बीमारी जेनेटिक हो सकती है या नहीं इसका पता लगाने से पहले, इसके कारणों का पता लगाना जरूरी है। मिर्गी मुख्य रूप से सिर में गंभीर चोट लगने, ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन ट्यूमर की वजह से हो सकती है। कार्डियोवस्कुलर डिजीज यानि हार्ट से जुड़ी बीमारियों की वजह से भी लोगों को मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। एक्सपर्ट की मानें तो मिर्गी की बीमारी दिमागी बुखार की वजह से भी देखने को मिलती है।
क्या मिर्गी की बीमारी जेनेटिक हो सकती है? - Can Epilepsy be Genetic?
डॉ. चंपानेरी की मानें तो मिर्गी जैसी बीमारी जेनेटिक हो सकती है। अगर परिवार में माता-पिता को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, तो बच्चों में भी इसकी संभावना रहती है। हालांकि मिर्गी की बीमारी के जेनेटिक होने के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। कुछ मामलों में यह भी देखा जाता है कि बच्चों को छोटी उम्र में जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। लेकिन उम्र के साथ मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि मिर्गी की बीमारी बहुत कॉमन नहीं है, इसलिए अगर किसी व्यक्ति को इसके दौरे पड़ते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर ब्लड टेस्ट, ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम) और मस्तिष्क के स्कैन (जैसे सीटी स्कैन या एमआरआई) करवाकर मिर्गी की बीमारी का पता लगा सकते हैं।
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मिर्गी के लक्षण क्या हैं?
मिर्गी के दौरे की शुरुआत अचानक से शरीर पर कंट्रोल खो देने से होती है। इसके बाद शरीर में जकड़न और मांसपेशियों में झटका महसूस होता है।
स्वयं की जीभ काटना
मूत्राशय पर नियंत्रण खोना
होश में आने पर भ्रम
बोलने में परेशानी
वस्तुओं को पहचानने में मुश्किल
सिरदर्द और घबराहट मिर्गी के आम लक्षण हैं।
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क्या मिर्गी के वजह से दिमाग कमजोर हो जाता है?
डॉक्टर की मानें तो मिर्गी की बीमारी में बेशक व्यक्ति दिमाग का संतुलन खो देता है। लेकिन इसमें दिमाग की कुछ ही कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। मिर्गी का दौरा पड़ने के बाद बेशक दिमाग अशांत महसूस करें। पर थोड़ी ही देर के बाद सब कुछ नॉर्मल हो जाता है। ऐसे में यह कहना गलत है कि मिर्गी के दौरों की वजह से दिमाग कमजोर हो जाता है। मिर्गी के दौरों से प्रभावित व्यक्ति अन्य लोगों की तरह एक नॉर्मल जिंदगी जी सकता है। वह अपने बच्चों को जन्म दे सकता है, नौकरी कर सकता है और घर-परिवार को भी संभाल सकता है।
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