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बच्चे के दिमागी विकास को प्रभावित करता है ड्रेवेट सिंड्रोम, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और इलाज

डॉ. अमित गुप्ता का कहना है कि शिशुओं को होने वाले इस सिंड्रोम के लक्षण दिमाग के अलग-अलग हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं।
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बच्चे के दिमागी विकास को प्रभावित करता है ड्रेवेट सिंड्रोम, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और इलाज


आजकल की लाइफस्टाइल और हवा में मौजूद कई तरह के वायरस नवजात शिशु को भी घेर सकते हैं। आज शिशु के जन्म के साथ ही उसे कई तरह की बीमारियां और सिंड्रोम हो सकते हैं। इन्हीं सिंड्रोम में से एक है ड्रेवेट सिंड्रोम। ड्रेवेड सिंड्रोम को आम भाषा में मिर्गी के तौर पर जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में 1 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे ड्रेवेड सिंड्रोम यानी की मिर्दी से जूझते हैं। मिर्गी कई समस्याओं का समूह है, जिसमें बच्चे को दौरे पड़ते हैं। यह एक ऐसा सिंड्रोम है जिसकी वजह से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स का मामला है ड्रेवेड सिंड्रोम के ज्यादा मामलों में शिशु शरीर पर खुद को कंट्रोल खो देते हैं और बहुत ज्यादा रोते हैं। अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए तो यह शिशु के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। आज इस लेख में हम शिशुओं में होने वाले ड्रेवेड सिंड्रोम के लक्षण और इसका इलाज क्या है इस विषय पर चर्चा करेंगे। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ओनली मॉय हेल्थ की टीम ने नोएडा के मदरहुड हॉस्पिटल के पीड्रिटिशयन और सीनियर कंसलटेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. अमित गुप्ता से बात की। आइए जानते हैं इसके बारे में।

ड्रेवेड सिंड्रोम क्या है?

डॉ. अमित गुप्ता का कहना है कि ड्रेवेड सिंड्रोम अक्सर जन्म के शुरुआती 15 महीनों तक बच्चों को ज्यादा परेशान करता है। ड्रेवेट सिंड्रोम वाले बच्चों को विभिन्न प्रकार के दौरे पड़ते हैं और वक्त के साथ दौरे गंभीर होते जाते हैं। यह स्थिति कई लक्षणों के साथ आती है, जैसे सीखने और विकास में समस्याएं, भाषा बोलने और समझने में परेशानी, और संतुलन और चलने में कठिनाई। इस सिंड्रोम के अलग-अलग नाम होते हैं, जैसे शैशवावस्था की गंभीर मायोक्लोनिक मिर्गी, पॉलीमॉर्फिक मिर्गी और शैशवावस्था की पॉलीमॉर्फिक मिर्गी। कई बार इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को दौरे के बाद बहुत तेज बुखार भी देखने को मिलता है।

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ड्रेवेड सिंड्रोम के लक्षण क्या है?

डॉ. अमित गुप्ता का कहना है कि शिशुओं को होने वाले इस सिंड्रोम के लक्षण दिमाग के अलग-अलग हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों में दिखने वाले ड्रेवेड सिंड्रोम के कुछ आम लक्षण नीचे दिए गए हैंः

अचानक मांसपेशियों में झटके महसूस होना

मांसपेशियों में मरोड़ आना शरीर के किसी हिस्से का सुन्न होना

अचानक से मल और मूत्र का एक साथ निकलना

सांस लेने में परेशानी होना

बोलने में परेशानी महसूस करना

मानसिक विकास में देरी किसी की भाषा बोलने और समझने में परेशान होना।

कुछ मामलों में अगर शिशु 1 साल से कम उम्र का है और गर्म पानी से नहलाने पर उसे शरीर में कंपन्न महसूस हो रही तो यह भी ड्रेवेट सिंड्रोम का एक लक्षण हो सकता है। हालांकि यह कंपन्न शरीर के सिर्फ एक हिस्से में ही देखने को मिलती है।

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ड्रेवेट सिंड्रोम का इलाज क्या है?

डॉक्टर का कहना है कि पेरेंट्स और परिवार की हिस्ट्री, शिशु में किस उम्र में ड्रेवेट सिंड्रोम का पहला लक्षण देखा गया इसके आधार पर बच्चे का इलाज किया जाता है। इस सिंड्रोम के लक्षण अगर शरीर के एक हिस्से में नजर आते हैं तो उसका इलाज अलग तरीके से किया जाता है। वहीं, कुछ बच्चों का ब्लड टेस्ट करके ड्रेवेट सिंड्रोम का पता लगाया जाता है। डॉ. अमित गुप्ता का कहना है कि जब किसी बच्चे में ड्रेवेट सिंड्रोम के लक्षणों का पता लगता है तो हेल्थ एक्सपर्ट्स एंटीकॉन्वेलेंट्स लेने की सलाह देते हैं। हालांकि यह दवा हर शिशु के लिए सही नहीं है। बच्चों में ड्रेवेट सिंड्रोम के कौन से लक्षण हैं और इसका इलाज कैसे होना इसके आधार पर ही दवा दी जा सकती है।

With Inputs: By Dr Amit Gupta, Senior Consultant Paediatrician & Neonatologist, Motherhood Hospital, Noida

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