
Can Decaffeinated Coffee Cause Cancer: डिकैफिनेटेड कॉफी को डिकैफ कॉफी भी कहा जाता है। यह वह कॉफी होती है जिसमें से लगभग 97 प्रतिशत कैफीन को हटा दिया गया होता है। इसे कैफिनेटेड कॉफी की तरह ही बनाया जाता है, लेकिन इसमें कैफीन की मात्रा बहुत कम होती है। कई लोगों को कैफीन का सेवन करने से सिर दर्द, घबराहट, अनिद्रा आदि समस्याएं होती हैं। ऐसे लोगों के लिए डिकैफ कॉफी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा न के बराबर होती है। जो लोग कैफीन के नुकसान के बिना, कॉफी का आनंद उठाना चाहते हैं, उनके लिए डिकैफ कॉफी एक बेहतरीन विकल्प है। हाई बीपी, ह्रदय रोग या गर्भावस्था में डॉक्टर कैफीन का सेवन कम करने की सलाह देते हैं। ऐसे में डिकैफ कॉफी का सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इंटरनेट पर कॉफी समय से यह बहस चल रही है कि डिकैफ कॉफी का सेवन करने से कैंसर होता है। कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमें से एक अनहेल्दी खानपान भी है। लेकिन डिकैफ कॉफी और कैंसर के बीच का संबंध समझने के लिए हम आगे विस्तार से बात करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव और Holi Family Hospital, Delhi की डाइटिशियन सना गिल (Sanah Gill) से बात की।
डिकैफ कॉफी को कैसे तैयार किया जाता है?- How Decaffeinated Coffee is Prepared
डिकैफ कॉफी बीन्स बनाने के लिए कैफीन को निकालने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, जिसे डिकैफिनेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए मुख्य रूप से तीन तकनीकों का इस्तेमाल होता है-
स्विस वॉटर प्रोसेस- Swiss Water Process
यह एक प्राकृतिक और केमिकल-मुक्त विधि है, जिसमें केवल पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कॉफी बीन्स को गर्म पानी में भिगोया जाता है ताकि कैफीन और अन्य घुलनशील तत्व बाहर निकल सकें। फिर इस पानी को एक विशेष चारकोल फिल्टर से गुजारा जाता है, जो कैफीन को बाहर निकाल देता है। इसके बाद, बिना कैफीन वाला पानी बीन्स में वापस डाल दिया जाता है ताकि स्वाद को बरकरार रखा जा सके।
कार्बन डाइऑक्साइड प्रोसेस- CO₂ Process
यह एक आधुनिक तकनीक है जिसमें तरल या सुपरक्रिटिकल कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का इस्तेमाल किया जाता है। कॉफी बीन्स को पानी के साथ नम किया जाता है और फिर इसे एक दबाव वाले कंटेनर में रखा जाता है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) डाला जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) कैफीन को घोल देता है, जिसे फिर बाहर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया में कॉफी के स्वाद को अच्छी तरह से प्रिजर्व किया जाता है।
सॉल्वेंट बेस्ड प्रोसेस- Solvent Based Process
इस विधि में सॉल्वेंट्स जैसे मिथाइलीन क्लोराइड या एथिल एसीटेट का इस्तेमाल कैफीन को निकालने के लिए किया जाता है। कॉफी बीन्स को पहले पानी या भाप के साथ नम किया जाता है ताकि बीन्स का कैफीन घुलनशील हो जाए। इसके बाद बीन्स को सॉल्वेंट से धोया जाता है, जिससे कैफीन बाहर निकल जाता है। इसके बाद सॉल्वेंट को बीन्स से हटा दिया जाता है और बीन्स को सूखा लिया जाता है। एथिल एसीटेट आमतौर पर फलों से मिलता है, इसलिए इसे नेचुरल डिकैफिनेशन भी कहा जाता है।
इन तीनों तकनीक की मदद से कॉफी बीन्स से कैफीन को हटाया जाता है, ये प्रक्रिया सेहत के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं।
इसे भी पढ़ें- Instant Coffee: क्या आप भी पीते हैं इंस्टेंट कॉफी? जानें यह सेहत के लिए अच्छी है या बुरी
क्या डिकैफ कॉफी पीने से कैंसर होता है?- Can Decaffeinated Coffee Cause Cancer

पर्यावरण रक्षा कोष (Environmental Defense Fund), ब्रेस्ट कैंसर प्रिवेंशन पार्टनर्स (Breast Cancer Prevention Partners) जैसे संगठनों ने यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (U.S Food and Drug Administration) को एक याचिका भेजी जिसमें कैंसर फैलाने वाले 4 केमिकल्स को बैन कराने की बात कही गई थी। इस लिस्ट में मेथिलीन क्लोराइड (Methylene Chloride) का भी नाम है, जो कि एक सॉल्वेंट है जिसे डिकैफ कॉफी बनाने के लिए तैयार किया जाता है। मेथिलीन क्लोराइड का इस्तेमाल अगर भारी मात्रा में किया जाए, तो कैंसर के तत्व शरीर में पैदा हो सकते हैं।
डॉ सीमा यादव ने बताया कि डिकैफ कॉफी को किस प्रक्रिया से तैयार किया गया है, यह जानना जरूरी है। अगर डिकैफ कॉफी में से कैफीन को अलग करने के लिए पानी या कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया गया है, तो वह सुरक्षित है। वहीं डाइटिशियन सना गिल का मानना है कि कॉफी को पहले स्टेप में अगर मेथिलीन क्लोराइड के साथ उबाला भी जाता है, तो दूसरे स्टेप में कॉफी के बीन्स को 200 से 250 डिग्री हीट पर गर्म किया जाता है, जिससे मेथिलीन क्लोराइड के बचे हुए तत्व उड़ जाते हैं। इस स्टेप के बाद, कॉफी बीन्स में मेथिलीन क्लोराइड की बहुत कम मात्रा बचती है, जो कि सुरक्षित मानी जाती है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (U.S Food and Drug Administration) के तय मानकों के मुताबिक, निर्माता कंपनी को कॉफी में मेथिलीन क्लोराइड की 0.001 प्रतिशत मात्रा मिलाने की ही अनुमति है। यह मात्रा सेवन के लिए सुरक्षित मानी जाती है इसलिए आप डिकैफ कॉफी का सेवन कर सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
Petition Link: https://www.edf.org/media/petition-fda-must-stop-allowing-four-cancer-causing-chemicals-food-1
image credit: ncausa.org, lifeboostcoffee.com
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version