कोरोना महामारी ने लोगों के लाइफस्टाइल को बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले घटे हैं। साथ में कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन अभियान भी चलाया जा रहा है। लेकिन कोरोना का प्रभाव अब भी कई लोगों में दिख रहा है। कोरोना निगेटिव के बाद भी लोगों में कई साइड-इफेक्ट्स नजर आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर। जी हां, हाल ही में हुए रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना से ठीक हुए पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हुई है।
जर्नल ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टेटलिटी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों में कोरोना से इलाज के करीब 30 दिनों बाद शुक्राणुओं की संख्या कम देखी गई है। रिसर्च के अनुसार, 10 में से 1 पुरुषों में कोरोना के बाद स्पर्म काउंट का असर देखा गया है। इतना ही नहीं रिसर्च में यह भी बताया गया है कि इससे स्पर्म काउंट की गतिशीलता पर भी प्रभाव पड़ता है। हालांकि, इस रिपोर्ट को लेकर कई विशेषज्ञ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं। क्योंकि इस रिसर्च में यह नहीं बताया गया है कि पुरुष कितने दिनों में इनफर्टिलिटी की समस्या से रिकवर हो सकते हैं। चलिए इस बारे में नोएडा स्थित निराम्या द माइंड सेंटर के सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर संजीव कालरा से जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टर संजीव कालरा का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों के कई ऑर्गन्स प्रभावित हो रहे हैं। कई लोगों में पोस्ट कोविड लक्षण जैसे - हार्ट बीट बढ़ना, स्लीपलेस (नींद कम आना, डिस्टर्ब नींद), भूख कम लगना जैसी समस्याएं हो रही हैं। साथ ही अन्य कॉम्पलीकेशन्स हो रहे हैं, जिसकी वजह से स्पर्म काउंट पर भी असर पड़ सकता है।
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इसके अलावा कोरोना मरीजों को कई सारी कॉकटेल मेडिसिन दी जाती हैं। इसमें कुछ मरीजों को एंटी बायोटिक्स और एंटी वायरल की दवाएं दी जाती हैं। क्योंकि कोरोना का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है, ऐसे में मरीजों के लक्षणों के आधार पर उनका इलाज किया जाता है। ऐसे में इन दवाओं का असर कहीं न कहीं टेस्टीकुलर पर इसका असर पड़ता है। इसके अलावा जिन लोगों को नींद नहीं आती है, उन्हें यह परेशानी काफी ज्यादा हो रही है, क्योंकि हमारी बॉडी के लिए रिचार्जर की तरह कार्य करता है। ऐसे में नींद के अभाव की वजह से टेस्टिस पर इसका असर पड़ना शुरू हो जाता है। शरीर में एनर्जी कम होने के कारण भी इनफर्टिलिटी की परेशानी हो सकती है।
कोविड के बाद हुई इंफर्टिलिटी की समस्या से कितने दिन में हो सकती है रिकवरी?
डॉक्टर कालरा का कहना है कि कोविड रिकवरी के बाद हुई इनफर्टिलिटी की समस्या को रिकवर किया जा सकता है। हालांकि, यह इस बात पर डिपेंड करता है कि मरीज को कोविड ने किस हद तक प्रभावित किया है। कुछ मरीजो में 1 से 2 महीने के अंदर यह समस्या ठीक हो सकती है। वहीं, कुछ मरीजों को ठीक होने में वक्त लग सकता है।
इंफर्टिलिटी की समस्या होने पर कैसा होना चाहिए आहार?
डॉक्टर कालरा का कहना है कि अगर कोविड से आप रिकवर कर रहे हैं या फिर रिकवर हो चुके हैं, तो अपने डाइट में विटामिन सी और जिंक को शामिल करें। जिंक फर्टिलिटी की समस्या को दूर करने में कारगर होता है। साथ ही यह स्पर्म काउंट और इसकी गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। कोविड से ठीक हुए मरीजों को करीब 2 से 3 महीने तक विटामिन सी, जिंक और विटामिन डी के सप्लीमेंट लेने चाहिएं। साथ ही बीच-बीच में अपना टेस्ट कराते रहना चाहिए, ताकि कोई गंभीर परिस्थिति होने पर डॉक्टर उसका इलाज कर सकें।
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क्या कोविड-19 वैक्सीन लेने से इंफर्टिलिटी पर पड़ता है असर?
डॉक्टर का कहना है कि अभी तक इस तरह के केसेज सामने नहीं आए हैं। वैक्सीन लेने से इंफर्टिलिटी की समस्या नहीं होती है। इसलिए वैक्सीन लेने से डरे नहीं। हाल ही में इस पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने भी अपना बयान जारी किया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि कोविड-19 वैक्सीन लेने से महिलाओं या फिर पुरुषों में फर्टिलिटी की समस्या हुई हो। इतना ही नहीं उन्होंने यह कहा कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद बांझपन की समस्या नहीं होती है। कोविड-19 से जुड़ी जानकारी के लिए सरकारी ऑफिशियल स्त्रोत पर ही विश्वास करें। लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों से दूर रहें।
After being administered #COVID19Vaccine, some individuals may have side effects like mild fever, pain at injection site & bodyache. This is similar to the side effects that occur post some other vaccines.
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 14, 2021
These are expected to go away on their own after some time. #StaySafe pic.twitter.com/VCnJzXu70S
डॉक्टर द्वारा बताई जानकारी से आप समझ चुके होंगे कि कोविड-19 से रिकवरी के बाद आपको कुछ समय के लिए इंफर्टिलिटी की परेशानी हो सकती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह आपको लंबे समय या फिर आजीवन हो। यह समस्या रिवर्सिबल है। इसका उचित इलाज भी मौजूद है। अगर आपको इस तरह की परेशानी हो रही है, तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। लोगों से अपनी परेशानी को शेयर करने में हिचकिचाएं नहीं।
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