आजकल की लाइफस्टाइल में हर इंसान एक प्लानिंग के साथ चलना चाहता है। सुबह उठने से लेकर, ऑफिस जाने, खाना खाने और रात को सोना कितने बजे है, इसका प्लान पहले से फिक्स होता है। बाकी चीजों की तरह ही आजकल प्रेग्नेंसी भी प्लानिंग के साथ होती है। लड़कियां पढ़ाई, नौकरी और करियर को प्राथमिकता देते हुए शादी के लंबे वक्त के बाद बच्चे की प्लानिंग करती हैं। ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि लड़कियां 30 की उम्र के बाद गर्भाधारण के बारे में सोचती हैं। जिसकी वजह से उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है, वह गर्भधारण करने से पहले डर जाती हैं और डॉक्टर से कई सवाल करती हैं। इन्हीं सवालों में से एक है क्या मोटापे की वजह से नॉर्मल डिलीवरी नहीं होती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिरला अस्पताल की स्त्री रोग विभाग की यूनिट हेड, प्रोफेसर और वरिष्ठ सलाहकार डॉ आस्था दयाल से बात की।
क्या मोटापा नॉर्मल डिलीवरी में बाधा बन सकता है?- Can an Obese Woman Have a Natural Birth
डॉ. आस्था दयाल का कहना है कि 9 महीने की प्रेग्नेंसी के बाद महिला की नॉर्मल डिलीवरी होगी या नहीं यह मरीज की कंडीशन पर निर्भर करता है। प्रेग्नेंसी के बाद नॉर्मल डिलीवरी तभी संभव हो पाती है, जब गर्भावस्था के 30 वें सप्ताह से गर्भावस्था के 34 वें सप्ताह के बीच जब भ्रूण अपने सिर की पोजीशन को बदलकर नीचे की ओर आ जाए। जब भ्रूण खुद से नीचे की ओर आ जाता है, तो नॉर्मल डिलीवरी होना स्वाभिक है। वहीं, भ्रूण जब खुद से पेट के अंदर पोजीशन न बदले, तो सी-सेक्शन डिलीवरी की जाती है। डॉक्टर के अनुसार, मोटापे की वजह से नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती है, यह बात एक भ्रम है। जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है वह भी नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म दे सकती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें बच्चा कंसीव करने के साथ ही लाइफस्टाइल थोड़ी सी एक्टिव रखनी चाहिए। लाइफस्टाइल को एक्टिव रखने के लिए आपको क्या चाहिए और क्या नहीं, इस विषय में आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
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क्या होती है नॉर्मल डिलीवरी?
इसमें वजाइना से शिशु को जन्म दिया जाता है। इस तरह की डिलीवरी में कोई सर्जरी नहीं होती है। डॉक्टर का कहना है कि महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी ही होनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि नॉर्मल डिलीवरी में सी-सेक्शन के मुकाबले रिकवर करने में कम समय लगता है। अगर कोई मेडिकल समस्या न हो तो नॉर्मल डिलीवरी ही करवाई जाती है।
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प्रेग्नेंसी से पहले वजन मापना है जरूरी
जब आप प्रेग्नेंसी की तैयारी करें, उसी दौरान अपना वजन माप लें। डॉक्टर के अनुसार प्रेग्नेंसी से पहले हर महिला को अपना वजन पता होना चाहिए। तभी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिलीवरी के समय आपका वजन सामान्य है या नहीं। आपका वजन बीएमआई के अनुसार होना चाहिए। बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स। यह आपकी हाईट और वेट के अनुसार तय होगा। अपना बीएमआई जानने के लिए आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
वजन कब बनती है समस्या
जब तक महिला का वजन उसकी प्रेग्नेंसी की वजह से बढ़ता है, तब तक उसका स्वास्थ्य सही माना जाता है। अगर स्थिति इससे अलग हुई यानी जब प्रेग्नेंसी की बजाय उसका अपना बॉडी वेट बढ़ने लगे, तो इससे डिलीवरी में समस्या उत्पन्न हो सकती है। दरअसल, जब महिला का वजन बढ़ता है, तो वह ओबेसिटी का शिकार हो जाती है। इससे उसकी डिलीवरी में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जैसे बीपी असंतुलित हो जाता है। यही नहीं, अगर महिला डिलीवरी के दौरान ओवर वेट है, तो बच्चे को जन्म के बाद भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।