क्या साल 2030 तक कम हो सकता है एड्स का खतरा? जानें क्या कहती है यूएन एजेंसियों की रिपोर्ट

यूएन एंजेसी दुनियाभर में 2030 तक एड्स के कम होने की बात कही है। 
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क्या साल 2030 तक कम हो सकता है एड्स का खतरा? जानें क्या कहती है यूएन एजेंसियों की रिपोर्ट


यूएन एजेंसी यूएनएड्स ने एड्स को लेकर एक अपडेट में साल 2023 तक इसका खतरा काफी कम होने की बात कही है। एजेंसी के मुताबिक दुनियाभर में एक बड़ी महामारी के तौर पर देखे जाने वाली इस बीमारी को काबू किया जा सकता है। देशभर में एड्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए एजेंसी ने पॉलिटिकल और फाइनेंशियल सपोर्ट के द्वारा इस समस्या को काबू करने का हवाला दिया है। एजेंसी का मानना है कि इस संदर्भ में निवेश करके भी एड्स की रोकथाम की जा सकती है। 

हर साल जाती है इतने लोगों की जान 

एड्स होने के कारण दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोगों की जान जाती है। इस वायरस के कारण अबतक 40 मिलियन लोग जान गवां चुके हैं। वहीं आंकड़े यह भी कहते हैं कि साल 2022 के अंत तक लगभग 39 मिलियन लोग एड्स से ग्रसित थे। वहीं कुछ लोगों में इस बीमारी की पहचान कर पाने में भी देर हो जाती है, जो उनकी जान जाने का कारण बन जाता है। साल 2022 में करीब 9.2 मिलियन लोग एड्स का इलाज नहीं करा पाए। 

aids un report

क्या कहती है एजेंसी? 

यूएन एजेंसी के मुताबिक विज्ञान के अनुसार चलने, राजनेताओं द्वारा इस सेक्टर के लिए निवेश करने के साथ-साथ असमानताओं को कम कर एड्स की रोकथाम की जा सकती है। एड्स को रोकने और इससे बचाव करने के लिए भारत में नेश्नल एड्स और एसटीडी कंट्रोल प्रोग्राम सेंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत भारत सरकार द्वारा इसमें निवेश करने के साथ-साथ इसे फंड दिया जाता है, जिससे इस बीमारी से ग्रस्त लोगों का इलाज आसानी से हो सके।  

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जागरूकता से कम होगी बीमारी 

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में लगभग 1.3 मिलियन नए एचआईवी संक्रमण मामले आए थे, जोकि इस दशक में सबसे कम थे। ऐसे में एचआईवी के मामलों में गिरावट एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। एजेंसी ने यह भी कहा है कि एड्स जैसी गंभीर बीमारी अपने आप खत्म नहीं होगी, बल्कि इसके रोकथाक के लिए सरकार और एजेंसियों को बड़े कदम उठाने पड़ेंगे। लोगों में एड्स जैसी बीमारी के प्रति जागरूकता और सही इलाज उपलब्ध कराने से इस बीमारी का खात्मा किया जा सकता है। 

कुछ देशों में कम हो रहा खतरा 

एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पहले के मुकाबले कुछ देशों में एचआईवी संक्रमण का खतरा कम होता दिखा है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया, केनाडा, यूएस और टोगो आदि जैसे देशों में इस संक्रमण की दर में कुछ हद तक कमी आई है।

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