
शहरीकरण के दौर में इंसान और उसके जीवन का विकास हुआ है कि नहीं ये बाद की बात है... लेकिन इतना जरूर है कि इससे इंसान तनाव तनाव और डिप्रेशन जरूर घिर गया है। शहरों में रहने वाले अधिकतर लोग डिप्रेशन और तनाव से ग्रस्त हैं। ऐसे में कोई इससे बचने के लिए लेट नाइट पार्टी कर रहा है तो कोई काउंसलर की मदद ले रहा है। वहीं कुछ लोग अल्कोहल या दवाईयों का सेवन कर रहे हैं। जबकि इसका इलाज आपके चलने में छुपा है।
रोजाना चलें
चलना वैसे भी सेहतमंद है और चलने से इंसान फिट भी रहता है। लेकिन क्या आपको मालुम है कि चलने से इंसान खुश भी रहता है। जी हां, कम ही लोग जानते हैं कि चलने-फिरने में खुशहाल रहने का राज छिपा हुआ है। हाल ही में एक रिसर्च आई है जो इस ओर इशारा करती है।
ये है रिसर्च के परिणाम
रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि, जो लोग बैठे रहते हैं उनकी तुलना में दिनभर चलने-फिरने वाले लोग ज्यादा खुश रहते हैं। चलना किसी भी तरह हो सकता है। चाहे इंसान जल्दी-जल्दी चलता हो या फिर रूक-रूक कर चलता हो, चलना हर तरह से फायदेमंद होता है।
इस रिसर्च को एक एप के जरिये किया गया है। इस रिसर्च के लिए के लिए लोगों के मोबाइल में एक ऐप डाला गया जिससे शोधकर्ताओं ने लोगों के चलने-फिरने को नोट डाउन करते रहे। इस ऐप के जरिए शोधकर्ताओं और लोगों को भी पता चला कि कौन दिनभर में कितना चलता है और कितना खुश रहता है। इस ऐप के द्वारा लगातार 17 दिनों तक 10 हजार से अधिक लोगों की एक्टिविटी रिकॉर्ड की गई।
शोध के परिणाम में पुष्टि हुई कि जो लोग इन 17 दिनों तक चलते रहे वे ज्यादा खुश भी रहे। शोध के परिणाम के अनुसार ये चलने वाले जितना शारीरिक तौर पर एक्टिव रहे उतना ही वे मानसिक तौर पर भी एक्टिव रहे। वहीं जो लोग कम चले, वे कम खुश और कम संतुष्ट पाए गए।
अब आप खुश रहने के लिए रिसर्च के नतीजों का उदाहरण लेकर चलना फिरना शुरू कर सकते हैं जिससे आप पर भी काम का तनाव नहीं बनेगा।
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