Breathing Problems In Children During Weather Change In Hindi: बदलते मौसम में अक्सर बच्चों के स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ जाती हैं। बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण वे अक्सर सर्दी-जुकाम या खांसी से जूझ रहे होते हैं। इससे निपटने के लिए पेरेंट्स तरह-तरह के उपाय आजमाते हैं। कुछ पेरेंट्स इसे महज सर्दी-खांसी सोचकर उसी तरह की ट्रीटमेंट को इंपॉर्टेंस नहीं देते हैं। जबकि, आपको बता दें कि इस मौसम में अक्सर बच्चों को सांस से जुड़ी कुछ परेशानियां हो जाती हैं। पेरेंट्स को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं कि इस मौसम में सांस से जुड़ी किस तरह की परेशानियां बच्चों को हो सकती है और पेरेंट्स क्या कर सकते हैं।
बच्चों में सांस लेने की समस्या- Breathing Problems In Children During Weather Change In Hindi
अस्थमा होने की कंडीशन में- Asthma
अक्सर बदलते मौसम में अस्थमा की कंडीशन ट्रिगर हो जाती है। अगर पेरेंट्स इस दौरान बच्चों की सेहत का सही तरह से ध्यान न रखे और लापरवाही बरते, तो बच्चों की यह समस्या बढ़ सकती है। दिल्ली स्थित करुणा अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. कुट्टी शारदा विनोद कहती हैं, "अस्थमा होने पर सांस लेने की नली (श्वासनली ) संकुचित हो जाती है। ऐसे में बच्चों के लिए सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब बच्चे को खांसी, जुकाम और चेस्ट में भारीपन हो, तो ऐसे में अस्थमा की समस्या और भी बिगड़ सकती है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे यह समझें कि बच्चे का अस्थमा ट्रिगर क्यों हो रहा है। इसे मैनेज करने के लिए जरूरी हो, तो बच्चे को इनहेलर दें और डॉक्टर के परामर्श पर दवाईयां दें। इसके साथ ही, बच्चे को गंदी जगह में जाने न दें।"
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एलर्जी होने पर- Allergies
डॉ. कुट्टी शारदा विनोद के अनुसार, "कई बार बच्चे को एलर्जी होने पर भी बहुत ज्यादा खांसी-जुकाम हो जाता है। विशेष रूप से एलर्जिक राइनाइटिस, यह भी बच्चों में रेस्पीरेटरी हेल्थ से जुड़ी एक समस्या है। कुछ बच्चों को डस्ट, पोलन या जानवरों से एलर्जी होती है। इस कंडीशन में उन्हें बहुत ज्यादा छींके आती हैं, नैजल कंजेशन हो जाता है और कभी-कभी स्किन में इचिंग की समस्या भी हो जाती है। इसे कंट्रोल करने के जरूरी है कि पेरेंट्स अपने बच्चों को एलर्जिक चीजों से दूर रखें। एलर्जी से बचाव के लिए बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने पर विशेष ध्यान दें।"
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इंफेक्शन होने पर- Infections
वायरल रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, जैसे क्रुप और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी), सांस की नली में सूजन पैदा कर देते हैं। ऐसे में बच्चे के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। डॉ. कुट्टी शारदा विनोद की मानें, "इंफेक्शन होने पर अक्सर बच्चे की खांसी के दौरान मोटी आवाज आती है, नाक बंद हो जाता है और बुखार होने लगता है। इस तरह की समस्या छोटे बच्चों में विशेषकर देखने को मिलती है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए पेरेंट्स को चाहिए कि वे घर में ह्यूमिडिफायर लगाएं, बच्चे को भाप दिलवाएं और डॉक्टर से कंसल्ट के बाद ओवर-द-काउंटर दवाए दें। इससे बच्चे की सेहत में सुधार होने लगेगा।"
जन्मजात समस्याएं- Congenital Problems
कुछ बच्चों को सांस से जुड़ी समस्या जन्म से ही होती हैं। इस तरह की असामान्यताएं होने पर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। सिस्टिक फाइब्रोसिस या फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियां लंग्स के फंक्शन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि बच्चे को बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजिस्ट से ट्रीटमेंट करवाएं।
कुल मिलाकर कहने की बात ये है कि बच्चों में बदलते मौसम में सांस से जुड़ी अलग-अलग प्रॉब्लम हो सकती है। कभी-कभी यह जन्मजात या आनुवांशिक भी हो सकती है। इस तरह की कंडीशन में पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चे की प्रॉब्लम को समझें, उसके लक्षणों पर गौर करें और समय रहते डॉक्टर से बच्चे का इलाज कराएं। समस्या के कम होने में मदद मिलेगी।
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