
अपने देश की स्त्रियों में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में उनके मन में कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब जानने बेहद जरूरी हैं।
आखिर ब्रेस्ट कैंसर किस शारीरिक दिशा को कहते हैं? इनकी पहचान कैसे की जाती है और इनके पीछे की वजह क्या है? इनकी जांच बचाव किस प्रकार होता है? इस तरह के सवाल हर स्त्री के मन में उठते हैं। आजकल नेट पर मिल रही जानकारी के आधार पर लोग खुद को बीमार समझ लेते हैं। ऐसे में सही ज्ञान ना मिलने पर वे और बड़ी परेशानी का सामना कर सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेनी बेहद जरूरी होती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित मुख्य जानकारी से रूबरू करवाएंगे। इसके लिए हम डॉक्टर एकता बजाज, हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग) , उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
किस शारीरिक दशा को ब्रेस्ट कैंसर कहा जाता है? (Breast cancer)
स्तन में गांठ तब बनती है जब कुछ कोशिकाओं का विभाजन अनियंत्रित ढंग से और असामान्य तरीके से होता है, ये गड़बड़ूी कैंसर का कारण बनती है। बता दें कि बेस्ट में पाए जाने वाली कुछ टिश्यूज दूध बनाते हैं और डक्ट के जरिए निप्पल से जुड़े होते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य टिश्यूज फाइबर, नाडियां, फैट, ब्लड वेसल्स आदि इनके चारों तरफ मौजूद होते हैं, जिनके माध्यम से ब्रेस्ट की संरचना हो पाती है। स्तन कैंसर मैं डक्ट के अंदर छोटे और सत्य कारण बनने लगते हैं या टिश्यूज एक जगह जमा हो जाते हैं, जिससे गांठ बन जाती हैं जो कई बार कैंसर का रूप ले लेती है। रक्त प्रवाह के जरिए यह बीमारी शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Breast cancer symptoms)
- ब्रैस्ट या आर्म में गांठ का होना,
- आकार में बदलाव होना,
- निप्पल का लाल होना,
- ब्रेस्ट का सख्त हो जाना,
- जलन, दर्द और खिंचाव होना,
- सिकुड़न महसूस करना,
- बेस्ट का हिस्सा अन्य की तुलना में अलग दिखना,
क्यों होती है ब्रेस्ट कैंसर की समस्या? (Breast cancer causes)
- ब्रेस्ट कैंसर के पीछे छिपे कारण को वैज्ञानिकों द्वारा अभी भी ढूंढा जा रहा है। लेकिन एक्सपर्ट आनुवंशिकता को इसका जिम्मेदार मानते हैं।
- जिन स्त्रियों की बहन, मां या मौसी को ऐसी समस्या रही है उनमें बेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
- इसके अलावा रक्त संबंधों में भी अगर किसी को ये समस्या हो तब भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- मेनोपॉज के बाद जो स्त्रियां हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेती है उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
- डॉक्टर एस्ट्रोजन हॉर्मोन की अधिकता को भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण मानते हैं।
- इसके अलावा जो स्त्रियां लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं उनमें भी आशंका बढ़ जाती है।
- ओबेसिटी या अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन करने से यह ब्रेस्ट कैंसर की समस्या बढ़ सकती है।
क्या हैं इसकी अवस्थाएं? ( Breast cancer stages)
डॉक्टर गंभीरता को देखते हुए इसे चार अवस्था में बांटते हैं-
- स्टेज 0- इसमें दूध वाले टिश्यूज या डक्ट में बना कैंसर वहीं तक सीमित रहता है। वह शरीर में फैलता नहीं है।
- स्टेज 1- कैंसरयुक्त टिश्यूज आसपास के स्वस्थ ऊतकों को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण कैंसर ब्रेस्ट के फैटी टिश्यूज और लिंफ नोड तक भी पहुंचता है।
- स्टेज 2- इस अवस्था में कैंसर तेज गति से फैलने लगता है।
- स्टेज 3 गांठ का आकार लगभग 5 सेंटीमीटर से बड़ा दिखने लगता है। साथ ही यह आर्म पिट्स के आसपास मौजूद लिंफ नोड तक पहुंच जाता है।
- स्टेज 4 इस अवस्था में कैंसर लीवर, लंग्स, हड्डियों तक पहुंच चुका होता है।
इसके बचाव के तरीके क्या हैं? (Breast cancer precaution)
महीने में एक बार शीशे के सामने खड़ें हो जाएं और सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें। इस प्रक्रिया के दौरान अपने ब्रेस्ट को चारों तरफ से दबा कर देखें। अगर छूने पर किसी गांठ के होने का अनुभव हो या तेज दर्द महसूस हो, इसके अलावा निप्पल की रंगत या ब्रेस्ट साइज में किसी तरह का बदलाव नजर आए या बाहों के नीचे सूजन या दिखाई दे तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इस तरीके से आप शुरुआत में ही इस बड़ी समस्या से बच जाएंगे।
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ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे होती है?
जिन महिलाओं में ऊपर दिए लक्षण नजर आते हैं, डॉक्टर मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, m.r.i. के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाते हैं।
इसका उपचार क्या है? (Breast cancer treatment)
इसका उपचार इसकी अवस्था यानि स्टेजेस पर निर्भर करता है। अगर आपको शुरुआती दौर में ही पता चल जाए तो सर्जरी के माध्यम से गांठ को हटाया जा सकता है। ऐसी अवस्था में कीमोथेरेपी की सलाह डॉक्टर नहीं देते हैं। लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं जिसमें सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी जरूर करनी पड़ती है। वहीं अगर बात स्टेज 4 की करें तो सर्जरी का विकल्प खत्म हो जाता है। इसीलिए कोशिकाओं को नष्ट करने की कोशिश की जाती है।
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उपचार के बाद कंसीव करने में दिक्कत आती है?
इस बात की निर्भरता स्त्री की सेहत पर करती है। कुछ महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती हैं तो कुछ महिलाएं ट्रीटमेंट लेने के बाद आसानी से कंसीव कर लेती है लेकिन बीमारी के बाद अगर आप पारिवारिक जीवन शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।
उपचार के बाद स्त्रियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जब स्त्रियों की कीमोथेरेपी होती है तो उनमें लूज मोशन, जी मिचलाना, बाल झड़ने, भूख न लगना, भोजन में अरुचि, शरीर में कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनसे बचाव के लिए डाइटिशियन की सलाह पर पोस्ट को संतुलित डाइट को शामिल करें। इसके अलावा रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों को भोजन में जरूर जोड़ें। अगर आप समझना चाहते हैं तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। दूसरी तरफ जब भी धर से बाहर निकले तो पहले मास्क जरूर पहनें। अगर इन सभी बातों का ध्यान रखा जाए तो पीड़ित सामान्य जीवन व्यतीत कर सकती है।
आयुर्वेदा में इसका इलाज संभव है?
गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी कहते हैं कि लोग आयुर्वेद पर तब भरोसा करते हैं जब उन्हें अंग्रेजी दवाओं से कोई लाभ नही मिलता। अगर वे शुरुआती लक्षणों के दौरान ही सीधे आयुर्वेद की मदद लें तो 3 से 4 महीने में निजता मिल सकती है। कई ऐसे लेप मौजूद हैं जिससे ब्रेस्ट कैंसर से राहत मिलती है। लोकिन उससे पहले डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी होती है।
(ये लेख डॉक्टर एकता बजाज, हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग) , उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित है।)
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