लेख को पढ़ने से पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) को आखिर क्यों मस्तिष्क की सबसे खतरनाक बीमारी माना जाता है। दरअसल स्ट्रोक (Stroke) मरीज को संभलने का मौका नहीं देता है। जब तक मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए, तब तक मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं, जिससे या तो व्यक्ति कोमा में चला जाता है, उसके शरीर के कुछ हिस्से हमेशा के लिए खराब हो जाते हैं या उसकी मौत हो जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में हर 2 सेकंड में एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार होता है, जबकि हर 6 सेकंड में एक व्यक्ति की स्ट्रोक के कारण मौत हो जाती है।
स्ट्रोक आमतौर पर दो स्थितियों में होता है- पहला जब मस्तिष्क तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजनयुक्त खून न पहुंच पाए, जिससे कोशिकाएं मरने लगें, और दूसरा- जब मस्तिष्क की किसी कोशिका में खून जम जाए, जिसकी वजह से कोशिका फट जाए। ऐसी स्थिति में खून फटी हुई कोशिका से निकलकर बाहरी मस्तिष्क में फैलने लगता है, इसलिए व्यक्ति की मौत हो जाती है। दोनों ही स्थितियां मेडिकल इमरजेन्सी की स्थितियां हैं और बेहद खतरनाक हैं।
शहरों के मुकाबले गांवों में बढ़े मामले
विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ दशकों में भारत में स्ट्रोक के मामले लगभग 100% तक बढञ गए हैं। इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि स्ट्रोक के मरीजों की संख्या शहरों के मुकाबले गांवों में तेजी से बढ़ रही है। ये बातें गुरूवार को Integrated Health & Wellbeing (IHW) Council द्वारा आयोजित पहले स्ट्रोक समिट में विशेषज्ञों ने कही हैं। विशेषज्ञों ने स्ट्रोक के बढ़ते मामलों में पर चिंता जताई और सरकार से इसके लिए उपाय खोजने की अपील भी की है।
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भारत में लगभग 18 लाख लोग हर साल होते हैं स्ट्रोक का शिकार
एम्स नई दिल्ली की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एम.वी. पद्मा श्रीवास्तव ने बताया कि 1996 में जहां स्ट्रोक मौत के सबसे बड़े कारणों में 12वें नंबर पर आता था, वहीं 2016 में ये 5वें नंबर पर आ गया। भारत में हर साल लगभग 18 लाख लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, जबकि हमारे पास महज 2000 के लगभग न्यूरोलॉजिस्ट्स हैं। उन्होंने यह भी बताया कि, "स्ट्रोक के मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है"। दरअसल डॉ. पद्मा का कहना यह है कि अगर स्ट्रोक के मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो उसका इलाज संभव है। लेकिन जैसे-जैसे देर होती जाती है, मरीज को बचा पाना उतना ही मुश्किल होता जाता है।
भारत में बढ़े 100% से ज्यादा मामले
Global Burden of Disease (GBD) द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक साल 2013 में स्ट्रोक के कारण 2.57 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित थे, जिनमें से 65 लाख की मौत हो गई थी। उसी साल स्ट्रोक के 13 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए थे। इस स्टडी के मुताबिक भारत जैसे कम आय वाले देशों में स्ट्रोक के मामले 100% से भी ज्यादा बढ़े हैं, जबकि विकसित देशों में ये मामले 42% तक घटे हैं।
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